मनोरंजन के साधन रेडियो का आविष्कार

लखनऊ

 05-07-2019 11:33 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

प्राचीन काल से ही मानव ने अपने मनोरंजन के लिये विविध प्रकार के तरीकों को अपनाया। किंतु समय बदलने के साथ ये तरकीबें आविष्कारों में परिवर्तित होने लगीं जिन्होंने लोगों को कई वर्षों तक मनोरंजित किया। रेडियो (Radio) भी इन्हीं आविष्कारों में से एक है। रेडियो का विकास पहले वायरलेस टेलीग्राफी (Wireless Telegraphy) के रूप में शुरू हुआ। किंतु बाद में इसने अपने इतिहास में प्रसारण को भी शामिल कर लिया। तो जानते हैं कि रेडियो है क्या और इसका आविष्कार कैसे हुआ।

वास्तव में रेडियो वह तकनीक है जो रेडियो तरंगों का उपयोग करके संकेत या संचार का माध्यम बनती है। रेडियो तरंगें 30 हर्ट्ज़ (Hertz) और 300 गीगाहर्ट्ज़ (Gigahertz) के बीच की आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं। ये तरंगे तब उत्पन्न होती हैं जब एक इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) उपकरण जिसे ट्रांसमीटर (Transmitter) कहा जाता है, को एक एंटीना (Antenna) से जोड़ा जाता है जिससे यह तरंगों को प्रसारित करने लगता है। ये तरंगे दूसरे एंटीना से जुड़े एक रेडियो रिसीवर (Receiver) द्वारा प्राप्त की जाती हैं। रेडियो के आविष्कार की प्रक्रिया और विकास ने बहुत समय लिया जिसे लेकर विविध प्रकार के सिद्धांत भी दिए गये।

रेडियो संचार के आविष्कार के लिये गुग्लीयेल्मो मार्कोनी को श्रेय दिया गया है। किंतु इसका इतिहास इतना ही नहीं बल्कि बहुत विस्तृत है। दरसल इनसे पहले 1860 में स्कॉटिश भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने रेडियो तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। 1888 में हेनरिक रुडोल्फ हर्ट्ज़ ने एक प्रयोग में चुम्बकीय तरंगों के वायु में संचरण को निर्णायक रूप से सिद्ध कर मैक्सवेल के विद्युत चुंबकत्व सिद्धांत की पुष्टि की। उन्होंने यह दर्शाया कि विद्युत प्रवाह के तेज़ बदलावों को रेडियो तरंगों के रूप में अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जा सकता है। इस बीच कई वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया। तत्पश्चात 1894 में इतालवी आविष्कारक गुग्लीयेल्मो मार्कोनी ने एयरबोर्न हर्ट्ज़ियन (Airborne Hertzian) तरंगों (रेडियो प्रसारण) पर आधारित पहला पूर्ण और व्यावसायिक रूप से सफल वायरलेस टेलीग्राफी सिस्टम बनाया। मार्कोनी ने सैन्य और समुद्री संचार में रेडियो के अनुप्रयोग का प्रदर्शन किया और रेडियो संचार सेवाओं और उपकरणों के विकास और प्रसार के लिए एक कंपनी शुरू की।

1920 में फ्रैंक कोनराड ने सरकार की अनुमति से पहली बार रेडियो स्टेशन शुरू किया और इसलिये वे रेडियो ब्रोडकास्टिंग (Radio broadcasting) के जनक कहलाये जाने लगे। इसके बाद कई सारे रेडियो स्टेशन की शुरुआत हुई जिनमें से लन्दन का बीबीसी रेडियो ब्रोडकास्टिंग अति विख्यात हुआ। भारत में ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) की स्थापना 1936 में की गयी जिसे 1957 में आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।

आपके लिये यह जानना बहुत रोचक होगा कि वास्तव में भारतीय भौतिक वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने भी इस आविष्कार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब हेनरिक हर्ट्ज़ ने विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की पुष्टि की तब बोस कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज (Presidency College) में शामिल हुए थे। हेनरिक हर्ट्ज़ के शोध पर प्रकाशित एक पुस्तक से वे बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों पर अध्ययन करना शुरू किया। यूं तो रेडियो का आविष्कारक मार्कोनी को माना जाता है किंतु वास्तव में इसका आविष्कार बोस ने किया यह कहना भी गलत नहीं होगा क्योंकि मार्कोनी के प्रदर्शन से पहले ही वर्ष 1885 में बोस ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में जगदीश चंद्र बोस ने दूर से एक घंटी बजाकर बारूद में विस्फोट कराया, जो तरंगों की ताकत का एक नमूना था। जे. सी. बोस ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने एक ऐसे यंत्र का निर्माण किया जो सूक्ष्म तरंगें पैदा कर सकता था। उनका यंत्र इतना छोटा था कि उसे एक छोटे बक्से में कहीं भी ले जाया जा सकता था। उन्होंने दुनिया को उस समय एक बिल्कुल नए तरह की रेडियो तरंग दिखाई जो कि ऐसी थी जिसे आज माइक्रोवेव्स या सूक्ष्म तरंग कहा जाता है। उन्होंने एक बेहद संवेदनशील कोहेरर (Coherer- एक ऐसा यन्त्र जो रेडियो तरंगों को ज्ञान कराता है) का निर्माण किया जिसे मार्कोनी ने अपने प्रदर्शन में उपयोग किया था। इस प्रकार रेडियो आविष्कार में उनके द्वारा दिये गये योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

रेडियो की पहुंच अब लगभग सभी जगह हो गयी है। लखनऊ सरकार ने क्षेत्रीय गीतों और मनोरंजन साधन प्रदान करने के लिए एक रेडियो कंपनी के साथ सहयोग किया। यह लखनऊ मेट्रो (Metro) के 8 स्टेशनों पर संगीत, मनोरंजन और सामान्य ज्ञान का प्रसारण करता है। इसने यात्रियों के सफ़र को एक सुखद अनुभव दिया है। कुछ महीनों पहले रेडियो सिटी (Radio City) ने नोएडा यात्रियों के सफ़र अनुभव को भी सुखद बनाने के लिये नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (NMRC- Noida Metro Rail Corporation) के साथ साझेदारी की है।

हालांकि टेलीविज़न (Television) और मोबाइल फोन (Mobile Phone) के कारण इनकी लोकप्रियता कम हो गई है लेकिन आज भी कई लोग रेडियो सुनना पसंद करते हैं क्योंकि यह मोबाइल्स जैसे छोटे उपकरणों पर भी मौजूद है। इन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम आज भी श्रोताओं को लुभा रहे हैं।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Invention_of_radio
2. https://en.wikipedia.org/wiki/History_of_radio
3. https://public.wsu.edu/~bryan.mclaughlin/Radio/Who_Invented_Radio.html
4. https://hackaday.com/2016/01/19/j-c-bose-and-the-invention-of-radio/
5. http://web.mit.edu/varun_ag/www/bose.html
6. https://en.wikipedia.org/wiki/All_India_Radio
7. https://bit.ly/2JmRiZr
8. https://bit.ly/2KYPLMi



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