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प्रसिद्ध फारसी महाकाव्य शाहनामा में सिकंदर महान के जीवन का एक विचित्र वर्णन किया गया है। इसे 7वीं शताब्दी में फारसी लेखक फिरदौसी द्वारा लिखा गया था। शाहनामा प्राचीन सम्राटों के मिथकों, किंवदंतियों और इतिहास का सम्मिश्रण है। आगे चलकर शाहनामे के कई संस्करण आये। इसके प्रारंभिक संस्करणों में किसी भी प्रकार के चित्र नहीं बनाए गए थे। किंतु 13-14वीं शताब्दी के मध्य इसमें लिखित घटनाओं के अनुसार चित्र भी बनाए जाने लगे।
अलग-अलग संस्करणों में चित्रों का स्वरूप बदलता गया, इनमें प्रायः एकरूपता का अभाव था। शाहनामा में सिकंदर को एक दार्शनिक, जिज्ञासु, सीखने के लिए तत्पर राजा के रूप में दिखाया गया है। इसके अनुसार, सिकंदर डेरियस द्वितीय और मैसेडोनिया के फिलिप की बेटी, का बेटा था। जब उनके सौतेले भाई डेरियस तृतीय की हत्या कर दी गई, तो सिकंदर ने उनकी जगह ईरान का शासन संभाला। शासन संभालने के बाद, ज्ञान की खोज में, सिकंदर ने दूर दराज़ के क्षेत्रों की यात्रा शुरू की। अपनी इस खोज के दौरान सिकंदर ने कई विरोधियों का सामना किया और विभिन्न संस्कृतियों से ज्ञान प्राप्त किया। इन घटनाओं को शाहनामा के विभिन्न चित्रों में भी दर्शाया गया है।
एक दृष्टांत में, सिकंदर अपने सामंतों के साथ एक वृक्ष नीचे बैठा हुआ है। इसमें वह अंदालस की बुद्धिमान रानी - क़ायदाफ़ा के बेटे तायनुष को संबोधित कर रहा है, जिसमें तायनुष अपने ससुर फुर, जिसे सिकंदर ने मार डाला था, की मौत का बदला लेने के अपने इरादे को छोड़ने हेतु सहमत हो जाता है। सिकंदर तायनुष को आश्वस्त करता है कि वह सुरक्षित है।
1335 से पहले लिखित डेमोटे शाहनामा (महान मंगोल शाहनामा) के एक चित्रण में, सिकंदर को हबाश (इथियोपियाई राक्षस) से लड़ते हुए दिखाया गया है। यह चित्र शाहनामा में पाए जाने वाले मिथक और वास्तविकता के बीच के सूक्ष्म अंतर को दर्शाता है। जिसमें सिकंदर को एक भयावह शत्रु के समक्ष वीरता पूर्वक लड़ते हुए दिखाया गया है।
सिकंदर महान की भारत यात्रा का भी इसमें उल्लेख देखने को मिलता है। जब वह भारत पहुंचा तो वह यहां कई विद्वानों से मिला। इन लोगों ने उसे बताया कि महत्वाकांक्षी व्यक्ति ऐसी चीज़ को पाने की कोशिश करता रहता है जो प्रयास के लायक नहीं होती और जब वह अपना सब कुछ खो देता है तब केवल उसके अच्छे कर्म ही उसके साथ होते हैं। वे सिकंदर को लालच और अत्यधिक अभिमान के विरूद्ध चेतावनी भी देते हैं। एक बार सिकंदर, डंडामिस नामक तपस्वी को संदेश भेजता है कि:
“ईश्वर का पुत्र और पृथ्वी का भगवान, सिकंदर आपको अपने समक्ष आमंत्रित करता है। यदि आप आते हैं, तो आप पुरस्कृत किए जाएंगे। यदि नहीं आए तो आप मारे जाएंगे।”
डंडामिस जवाब में कहते हैं, “केवल एक राजा है जिसकी अनुमति का मैं पालन करता हूं। वह जिसने प्रकाश और जीवन का निर्माण किया है तथा वह युद्ध को समाप्त करता है। जब तक सिकंदर मृत्यु के राजा के अधीन रहेगा, तब तक वह पृथ्वी का राजा कैसे हो सकता है? और वह मुझे पुरस्कार में क्या दे सकता है जब मेरी पृथ्वी माँ पहले से ही सब कुछ प्रदान करती है। मेरे पास कोई संपत्ति नहीं है जिसकी मुझे रक्षा करने की आवश्यकता है, इसलिए मैं रात को शांति से सोता हूं। सिकंदर मेरे शरीर को मार सकता है, लेकिन वह मेरी आत्मा को नहीं छू सकता है। अपने राजा से कहें कि मृत्यु के समय हममें से प्रत्येक को इस जीवन के कर्मों का हिसाब देना होगा। उससे पूछें कि वह उन लोगों की पीड़ा का लेखा-जोखा कैसे देगा, जिन पर उसने अत्याचार किए हैं और जिनकी उसने हत्या की है। आपका राजा उन लोगों को लुभा सकता है जो सोने की लालसा रखते हैं। वह उन लोगों को भयभीत कर सकता है जो मौत से डरते हों। लेकिन हम ब्राह्मणों को इसकी परवाह नहीं है। सिकंदर को बताएं कि उसके पास कुछ भी नहीं है जो मुझे चाहिए।” डैंडामिस का उत्तर सुनकर सिकंदर को स्वीकार करना पड़ा कि वह संत से हार गया है।
एक अन्य दृष्टांत "SIKANDAR BUILDS THE IRON RAMPART" यानी “सिकंदर ने बनाई लोहे की दीवार” सिकंदर के सबसे प्रसिद्ध कारनामों को दर्शाता है, जहाँ वह पौराणिक गोग (Gog) और मागोग (Magog) के जंगलियों का सामना करता है। सिकंदर ने स्थानीय लोगों को इन जंगलियों के आक्रमणों से बचाने के लिए, दुनिया भर के श्रमिकों को इकट्ठा किया और बुरे जंगलियों को खाड़ी में ही रखने हेतु उन्हें लोहे, तांबे और कार्बन (Carbon) से बनी दो दीवारों का निर्माण करने का आदेश दिया। 14वीं शताब्दी का चित्रण दीवार के सक्रिय निर्माण पर केंद्रित है और इसमें गोग और मागोग के निवासी पहाड़ियों के पीछे से झांकते हुए दिखाए गये हैं। चित्र में उनके चेहरे ऊंटों के हैं, जीभ काली है, और आंखों का रंग खून के समान है।
शाहनामा में सिकंदर के एक वृक्ष के साथ की कहानी लेखकों और चित्रकारों को काफी आकर्षित करती है। यह एक बोलने वाला वृक्ष है, जो इस्लामिक किंवदंतियों में काफी प्रसिद्ध है। फिरदौस ने सिकंदर के दुनिया के अंत तक पहुंचने का वर्णन किया है। जब सिकंदर दुनिया के अंत में पहुंचा, तो उसे दो शाखाओं वाला पेड़ मिला। एक शाखा में पुरुष के सिर थे, जो तेज़ डरावनी आवाज़ों में बात करते थे, जबकि दूसरी शाखा पर मादा सिर थे जो रात में मीठी आवाजों में बोलते थे। पुरुष सिर सिकंदर को चेतावनी देता है कि वह अपना अच्छा समय देख चुका है और "जब वह शासन के चौदह वर्ष पूरे कर लेगा, तो उसे अपना सिंहासन छोड़ना पड़ेगा।" मादा सिर उसे लालच न करने की सलाह देती है। अंत में, वे भविष्यवाणी करते हैं कि तुम्हारी मृत्यु निकट है तथा तुम किसी ऐसे अंजान प्रदेश में मरोगे, जहां तुम्हारा अपना कोई नहीं होगा। वास्तव में होता भी यही है। वह अपने घर से बहुत दूर बेबीलोन में मरता है तथा उसके मृत शरीर को एक सोने के ताबूत में मिश्र ले जाया जाता है, जहां उसके अनयुयायी शोक अभिव्यक्त करते हैं।
सिकंदर एट द टॉकिंग ट्री (SIKANDAR AT THE TALKING TREE) की एक तस्वीर में कलाकार ने इस कहानी में कुछ बदलाव किए हैं। शाखाओं में नर-मादा के चेहरे के अलावा, अन्य जानवरों - एक खरगोश, एक लोमड़ी, एक मुर्गा, और एक पक्षी के सिर को भी सम्मिलित किया गया है। पेड़ के आधार पर, शाहनामा में वर्णित जानवरों की हड्डियों और खाल को प्रतिस्थापित करती, काल्पनिक आकृति की कवक और चट्टानें हैं, जो चीनी मॉडल (Model) से प्रेरित हैं। इनसे चित्र की भयानकता और बढ़ जाती है। यह सभी दृष्टांत हमें सिकंदर के जीवन का एक विशद चित्रण देते हैं । शाहनामा के कुछ अन्य रोचक किस्सों को हम अपने पिछले लेख (https://lucknow.prarang.in/posts/2834/Memorable-tales-of-Shahnamah-e-Firdausi-who-are-still-popular-in-Lucknow) में लिख चुके हैं।
संदर्भ:
1.http://www.bhagavatam-katha.com/story-about-king-alexander-the-great-alexander-of-macedonia-had-been-conquered-by-a-naked-old-man/
2.https://archive.asia.si.edu/explore/shahnama/iskandar.asp
3.https://www.learner.org/courses/globalart/work/31/index.html
4.https://www.fitzmuseum.cam.ac.uk/gallery/shahnameh/vgallery/section5.html