भारत के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों (Railway Stations) में से एक लखनऊ का चारबाग स्टेशन अपने भीतर लगभग एक सदी की ऐतिहासिकता को समेटे हुए है। इंडो-ब्रिटिश वास्तुकला शैली का प्रतिनिधित्व करता यह स्टेशन, पहले नवाबों द्वारा तैयार किया गया एक खूबसूरत बगीचा (चारबाग) था। जिसे बाद में अंग्रेजों द्वारा रेलवे स्टेशन में बदल दिया गया। इसका डिज़ाइन (Design) जे.एच. होर्निमन द्वारा बनाया गया था। स्टेशन की नींव 21 मार्च, 1914 को बिशप जॉर्ज हर्बर्ट द्वारा रखी गई थी और 1923 में लगभग 60-70 लाख रूपए में इसका निर्माण किया गया, जो 1 अगस्त, 1925 को पूरा हुआ।
लाल और सफेद रंग के इस स्टेशन का बाह्य स्वरूप राजपूत महल के समान दिखता है तथा इसका ऊपरी हिस्सा शतरंज के बोर्ड (Board) के समान बनाया गया है। इसके बुर्ज और गुंबद शतरंज की मोहरों के समान दिखते हैं। यह सभी मिलकर इसके अद्वितीय सौंदर्य को बढ़ा देते हैं। इस स्टेशन की एक और विशेषता है कि इसके जलाशय को बड़ी ही खूबसूरती से छिपाया गया है। इसकी वास्तुकला इतनी अद्भुत है कि वह इसके भीतर और बाहर आने-जाने वाली ट्रेनों की आवाज़ को अपने अंदर ही समाहित कर लेती है। इस प्रकार यह एक साउंड प्रूफ (Sound Proof) स्टेशन का कार्य करता है।
लखनऊ शहर अपनी गंगा – जमुना तहज़ीब के लिए जाना जाता है, और चार बाग भी इसी का एक हिस्सा है। चार बाग स्थित खम्मन पीर बाबा की दरगाह में शाह सैयद क़यामुद्दीन की कब्र है, जो कि लगभग 900 साल पुरानी है। एक खूबसूरत वास्तुकला वाली इस दरगाह के परिसर में एक मस्जिद भी बनायी गयी है। यह दरगाह हर धर्म के लिए आस्था का प्रतीक है और सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं। स्टेशन के मुख्य भवन के बाहर प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है जहां हर रोज़ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। गाँधी जी और नेहरू जी की पहली मुलाकात (दिसंबर, 1916 में) भी चारबाग स्टेशन पर ही हुयी थी।
लखनऊ के लिए प्रयोग किया जाना वाला संक्षिप्त कोड (Code) LKO भी चारबाग रेलवे स्टेशन से लिया गया है, जिसे उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल द्वारा संचालित किया जाता है। निकटवर्ती स्टेशन, लखनऊ जंक्शन NER (स्टेशन कोड LJN) भी चारबाग रेलवे स्टेशन का हिस्सा है। यह पूर्वोत्तर रेलवे की ब्रॉड गेज ट्रेनों (Broad Gauge Trains) का टर्मिनस (Terminus) भी है।
बीतते समय और बढ़ती आबादी के साथ, चारबाग स्टेशन में कई समस्याएं उभरकर सामने आ रही हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। हाल ही में, स्टेशन पर खराब जल निकासी व्यवस्था के कारण, प्लेटफार्मों (Platforms) और रेलवे पटरियों पर जलभराव हो गया था। बैंड हुई नालियों और छतों से बरसाती पानी के रिसाव से प्लेटफार्मों पर फिसलन हो गई और यात्रियों को इस फिसलन में ही चलना पड़ा। वेटिंग हॉल (Waiting Hall) और टिकट काउंटर हॉल (Ticket Counter Halls) में जगह की कमी बढ़ती जा रही है।
चारबाग को उत्तर भारत के सबसे अच्छे रेलवे स्टेशनों में से एक बनाने के उद्देश्य से, रेलवे ने इसके पुननिर्माण पर कार्य शुरू करवा दिया है। एक नंबर प्लेटफॉर्म पर 25 जून (2019) से काम शुरू हो गया है और यह परियोजना 12 जुलाई तक जारी रहेगी। पुननिर्माण का कार्य, ऐतिहासिक वास्तुकला में हस्तक्षेप किए बिना किया जाएगा। उत्तर रेलवे ने पुननिर्माण कार्य के कारण चारबाग स्टेशन से गुज़रने वाली 33 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। गोमती स्टेशन से गुज़रने वाली करीब 24 और जनता स्टेशन से गुज़रने वाली कुछ ट्रेनें भी प्रभावित हुयीं हैं। उत्तर रेलवे ने प्रभावित यात्रियों की सहायता के लिए कई बस सेवाएं भी शुरू की हैं।
चारबाग के अलावा, उत्तर रेलवे ने कुछ संबद्ध परियोजनाएं भी शुरू की हैं। ट्रांसपोर्ट (Transport) नगर में एक टर्मिनल (Terminal) का निर्माण शुरू हुआ है जिसमें एक वाशिंग लाइन (Washing line) शामिल है। आलमनगर से उतरेटिया तक एक रेल बाईपास (Rail Bypass) का जुड़ाव भी चल रहा है। रेलवे इस रूट (Route) पर ट्रैक को दोगुना कर रहा है जिससे कि कुछ ट्रेनें इन स्टेशनों से निकल सकें। बाराबंकी को जोड़ने वाले तीसरे और चौथे ट्रैक का काम भी चल रहा है, जबकि गोमती नगर मॉडल स्टेशन के निर्माण में भी तेजी लाई गई है। पहले चरण में रेलवे, इस परियोजना पर 550 करोड़ रुपये खर्च करेगा और परियोजना की कुल लागत लगभग 6000 करोड़ रुपये अनुमानित है।
इस योजना का उद्देश्य, रेल यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं जैसे कि आगमन और प्रस्थान के अलग-अलग क्षेत्र, दो-तरफा प्रवेश, 500 वाहनों के लिए भूमिगत पार्किंग (Parking), बजट होटल (Budget Hotel), सभी प्लेटफार्मों पर लिफ्ट (Lift) और एस्केलेटर (Escalator) आदि प्रदान करना है। स्टेशन को पूरी तरह से दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जाएगा। चारबाग स्टेशन लखनऊ मेट्रो से भी जुड़ा होगा और इसका विस्तार भी किया जाएगा।
हम सभी लखनऊ शहर के प्रसिद्ध स्लोगन "मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं" से परिचित हैं। कुछ साल पहले तक, स्टेशन के बाहर प्रदर्शित यह वाक्य, इस शहर की विरासत और तहज़ीब का सच्चा प्रतीक है। आशा है कि अपने नए अवतार में, चारबाग स्टेशन, लखनऊ के इस उद्देश्य को फिर से जीवंत कर देगा।
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