रामपुर को ज़रूरत है भूजल समस्याओं को समझकर भविष्य के लिए तैयार रहने की

लखनऊ

 27-06-2019 12:24 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

भूजल, सिंचाई के लिए पानी के हमारे सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक हैं। दुर्भाग्य से, भूजल प्रदूषण के प्रति अतिसंवेदनशील है। भूजल संदूषण तब होता है जब मानव निर्मित उत्पाद जैसे गैसोलीन (Gasoline), तेल, सड़क लवण और रसायन भूजल में मिल जाते हैं और इसके कारण यह दूषित हो जाता है और मानव उपयोग के लिए अयोग्य हो जाता है। उदाहरण के लिए, कीटनाशक और उर्वरक समय के साथ भूजल में मिल जाते हैं। भंडारण टैंक (Tank), सेप्टिक्स सिस्टम (Septics system), लैंडफिल (Landfills), अनियंत्रित खतरनाक अपशिष्ट, रासायनिक और सड़क लवण, पर्यावरण प्रदूषण आदि विभिन्न तरीकों से भूजल को दूषित करते हैं।

इनसे भारत के 50% से अधिक जिलों में नाइट्रेट (Nitrate) के स्तर मान्य सीमा से पार हो गए हैं। इन खतरनाक विवरणों से पता चलता है कि दिल्ली के 11 जिलों में से 7 में फ्लोराइड (Fluoride) की अधिकता, 8 में नाइट्रेट, 2 में आर्सेनिक (Arsenic) और 3 में कैडमियम (Cadmium) की अधिकता बताई गई है।

कैडमियम एक बेहद ज़हरीला भारी धातु है। कैडमियम का इस्तेमाल निकल-कैडमियम (Ni-Cd) बैटरियों(Battery) में, प्लास्टिक (Plastic) को रंगने में और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) उत्पादों में किया जाता है। इससे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। कुछ जिलों के कैडमियम सांद्रता विश्लेषण ने निम्नलिखित नतीजा प्रदर्शित किया (अधिक मात्रा से आगे की ओर घटते हुए) : बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, रामपुर। मानव शरीर में कैडमियम जम जाती है, खासकर गुर्दों में, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब हो जाते हैं। इसलिए, पानी की व्यवस्था की विषाक्तता और गुणवत्ता की नियमित निगरानी करना आवश्यक है। जल स्रोतों में छोड़े जाने से पहले अपशिष्ट जल का इलाज किया जाना ज़रूरी है।

इन हानिकारक रसायनों का एक बड़ा स्रोत रासायनिक उद्योग हैं। कई कारखाने जानबूझकर अनुपचारित अपशिष्टों को भूमि या जल स्रोतों में छोड़ देते हैं। जनवरी 1994 में, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), दिल्ली ने पहला बड़ा भूजल गुणवत्ता निगरानी अभ्यास किया था। दिसंबर 1995 में प्रकाशित रिपोर्ट (Report) ने भारत के 16 राज्यों में 22 स्थानों को भूजल प्रदूषण के गंभीर स्थलों के रूप में घोषित किया। CPCB ने औद्योगिक अपशिष्टों को भूजल प्रदूषण का प्राथमिक कारण पाया। मिनामाटा रोग (Minamata disease) (मस्तिष्क कार्यों को ख़राब करने वाला एक रोग), तंत्रिका संबंधी बीमारी, बच्चों में वृद्धि की मंदता, गर्भपात सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं इनसे होती हैं।

रामपुर वासियों द्वारा स्वयं बताई गयी भूजल समस्याओं को आप निम्न वीडियो में देख सकते हैं:

पूरी समस्या मूल रूप से भूजल प्रबंधन से संबंधित है। हमें सबसे पहले यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि भूजल भारत की जल जीवन रेखा है। दूसरा, हमें रिचार्ज सिस्टम (Recharge System) की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। तीसरा, हमें कृत्रिम रिचार्ज सिस्टम बनाने की आवश्यकता है।

सन्दर्भ:
1. https://www.groundwater.org/get-informed/groundwater/contamination.html
2. http://bit.ly/2N1YyyN
3. https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S1319562X18301669#s0020
4. http://www.rainwaterharvesting.org/Crisis/Groundwater-pollution.htm



RECENT POST

  • आइए देखें, कोरियाई नाटकों के कुछ अनोखे अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:24 AM


  • क्षेत्रीय परंपराओं, कविताओं और लोककथाओं में प्रतिबिंबित होती है लखनऊ से जुड़ी अवधी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:31 AM


  • कैसे, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, भारत के झींगा पालन उद्योग का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:32 AM


  • आनंद से भरा जीवन जीने के लिए, प्रोत्साहित करता है, इकिगाई दर्शन
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:36 AM


  • क्रिसमस विशेष: जानें रोमन सभ्यता में ईसाई धर्म की उत्पत्ति और विकास के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:35 AM


  • आइए जानें, सौहार्द की मिसाल कायम करते, लखनऊ के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:30 AM


  • आइए समझते हैं, कैसे एग्रोफ़ॉरेस्ट्री, किसानों की आय और पर्यावरण को बेहतर बनाती है
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:32 AM


  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id