सभी मांसाहारी लोग सफेद मांस और लाल मांस से भलि भांति परिचित होंगे। जिसमें प्रायः चिकन (Chicken) को सफेद मांस की श्रेणी में रखा जाता है तथा बकरी/गाय/भैंस इत्यादि को लाल मांस की श्रेणी में। किंतु कौन सा जीव सफेद मांस की श्रेणी में आता है तथा कौन सा लाल मांस की श्रेणी में, इसका निर्धारण मायोग्लोबिन (Myoglobin) या लाल रक्त के आधार पर किया जाता है। जो जीव शारीरिक रूप से ज्यादा श्रम करते हैं, उनमें मायोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है, जिसके आधार पर इन्हें लाल मांस की श्रेणी में रख दिया जाता है। इसके विपरीत जो पक्षी शारीरिक रूप से कम श्रम करते हैं, उनके शरीर में मायोग्लोबिन की मात्रा कम होती है। इसलिए इन्हें सफेद मांस की श्रेणी में रख दिया जाता है।
लाल मांस मुख्य रूप से तंतुओं और मांसपेशियों से बना होता है। इन्हें शिथिल तंतु कहा जाता है। इनमें मायोग्लोबिन की उच्च सांद्रता होती है। मायोग्लोबिन, हमारे शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) की भांति ही, ऑक्सीजन (Oxygen) का परिवहन करता है तथा इसे मांसपेशियों के तंतुओं में आवश्यकतानुसार पहुंचाता है। मायोग्लोबिन मांसपेशियों के तंतुओं में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। ऑक्सीजन का उपयोग निरंतर की जाने वाली गतिविधियों के लिए ऊर्जा के रूप में किया जाता है। मांसपेशियों का संकुचन जीव को चलने, उड़ने और भोजन पर कब्जा करने जैसी गतिविधियों को पूरा करने में सहायता करता है। लाल मांसपेशियों में तंतुओं को ऑक्सीजन प्रदान करने के लिए केशिकाओं की बहुतायत होती है। मायोग्लोबिन एक प्रचुर मात्रा में रंजित प्रोटीन है। यह कोशिकाओं में जितना अधिक होता है, मांस उतना ही गहरा लाल होता है।
सफेद मांस, सफेद मांसपेशीय तंतुओं से बना होता है, जिसे तीव्र तंतु भी कहा जाता है। इन तीव्र तंतुओं का प्रयोग त्वरित की जाने वाली गतिविधियों जैसे कि खतरे से भागने, के लिए किया जाता है। इन मांसपेशियों को ग्लाइकोजन (Glycogen) से ऊर्जा मिलती है, जो मांसपेशियों में भी जमा होती है। इन मांसपेशियों में ऑक्सीजन के संग्रह के लिए पर्याप्त मायोग्लोबिन नहीं होता है, जिस कारण कोशिकाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है। इनकी मांसपेशियां तीव्रता से संकुचित होने में सक्षम हैं। हालांकि, ये संकुचन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। थोड़े समय के बाद, लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) नामक एक अपशिष्ट उत्पाद कोशिकाओं में जमा हो जाता है, जिससे तेजी से स्फूरपेशी तंतु सिकुड़ने लगते हैं। इसलिए सफेद तंतु कुछ बहुत शक्तिशाली और मज़बूत संकुचन करने में सक्षम हैं, किंतु यह जल्द ही थक जाते हैं।
टर्की (Turkey) और चिकन जैसे पक्षियों का मांस मात्र सफेद मासपेशियों से ही नहीं बना होता है, इसमें कुछ अंश लाल मांसपेशियों का भी होता है। इनका वक्ष स्थल सफेद मासपेशीय तंतुओं से बना होता है, जबकि इनकी जांघ और पैर में लाल मांसपेशीय तंतु पाया जाता है। इन मांसपेशियों का प्रयोग चलने और ज़मीन को खोदने के लिए किया जाता है। इसी प्रकार लाल मांसपेशी तंतु वाले कबूतर के वक्ष स्थल में कुछ सफेद मांसपेशी भी मौजूद होती हैं। यह मांसपेशियां समय और आवश्यकता के अनुरूप कार्य करती हैं।
अक्सर सफेद मांस को लाल मांस की अपेक्षा पचाने में आसान और स्वाथ्य की दृष्टि से ज्यादा लाभदायक माना जाता है। परंतु ऐसा क्यों है, इसका कोई स्पष्ट कारण मौजूद नहीं है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2IlAimT
2. https://bit.ly/2WO1zaK
3. https://web.colby.edu/mainebirds/2011/01/13/bird-muscles/
4. https://www.quora.com/Is-human-a-red-or-white-meat
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