आज लगभग 264 प्रकार के बंदर इस दुनिया में रहते हैं। इनमें से कई प्रजातियां आपने लखनऊ के चिड़ियाघर में देखी ही होंगी। हम सभी को बचपन से बताया गया है कि बंदर हमारे पूर्वज हैं। ऐसा इसलिए माना गया क्योंकि वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में काफी शोध एवं खोजें की हैं। इसके अलावा हम सभी को यह भी बताया गया है कि बंदर केवल शाकाहारी होते हैं। परंतु यह पूरा सच नहीं है, बंदर वैसे तो मुख्यतः अपने खाने में फल, सब्जियां, पत्तियां आदि ही खाते हैं, लेकिन शाकाहार के उपलब्ध न होने पर वे माँसाहार भी करते है। शोध बताते हैं कि बंदर शाकाहारी होने के साथ-साथ मांसाहारी भी होते हैं। ये फल, फूल, पत्ते, पौधे और ज़रूरत पड़ने पर छोटे-मोटे कीड़ों, अण्डों और छिपकली आदि को भी खा जाते हैं, अतः ये सर्वाहारी होते हैं।
पहले ये माना जाता था कि चिंपैंजी शाकाहारी होते हैं, परंतु 1960 के दशक की शुरुआत में, जेन गुडॉल (Jane Goodall) द्वारा पूर्वी अफ्रीकी जंगल में किये गये अध्ययन से पता चला कि चिंपैंजी मांस का सेवन भी करते हैं। कई लोगों द्वारा उन्हें गलत भी बताया गया। यह बात तब तक नहीं मानी गई जब तक कि जंगलो में कई बार इनको शिकार करते हुये नहीं देखा गया। जैविक विज्ञान के प्रोफेसर क्रैग स्टैनफोर्ड बताते हैं कि बाद में पूरे वैज्ञानिक समुदाय ने स्वीकार किया कि मांस खाना चिंपैंजी के व्यवहार का एक मुख्य पहलू है। दुनिया में सबसे बड़े बंदर हैं गोरिल्ला। लेकिन, उनके विशाल आकार के बावजूद, गोरिल्ला शांतिपूर्ण प्राणी हैं जो ज्यादातर फल, तने, पत्तियां, छाल, बेलें, बांस, आदि खाते हैं। अधिकांश गोरिल्ला शाकाहारी होते हैं।
लेकिन यदि गोरिल्ला को भी पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां नहीं मिले तो वे घोंघे, कीड़े आदि तक खा जाते हैं। परंतु गोरिल्ला और चिंपैंजी के व्यवहार में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ये अपनी भूख के मुताबिक ही भोजन करते हैं और कभी भी व्यर्थ में अपने प्राकृतिक आवास के भोजन के स्रोतों का नाश नहीं करते हैं, फिर चाहे वो किसी भी प्रकार का शाकाहारी या मांसाहारी भोजन क्यों न हो। इतना ही नहीं, वे वनस्पति को इस तरह से काटते हैं कि यह फिर से जल्दी से बढ़ जाती है और इस प्रकार उन्हें भोजन की कमी नहीं होती। हम इंसानों को भी बंदरों की इस आदत से कुछ सीखना चाहिये।
वैसे तो भारतीय बंदर (जिन्हे रीसस मकैक (Rhesus macaque) या मकैका मुलाटा (Macaca mulatta) भी कहते हैं) पुरानी दुनिया के बंदरों की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक हैं और ये शायद ही कभी मांस खाते हैं, परंतु इन्हें भी दीमक, चींटियाँ और कीड़े खाते हुए देखा गया है। यह दक्षिण, मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया का मूल निवासी है और इनकी आबादी व्यापक रूप से हर जगह फैली हुई है। इनकी ज्यादातर प्रजातियों को फल आदि पसंद हैं परंतु कुछ प्रजातियों को मांस का सेवन करते हुये देखा गया है। अधिकांश वानर प्रजातियां अवसरवादी होती हैं, जो कुछ भी प्राप्त हो जाने पर उसे खा जाते हैं।
आपने अक्सर देखा होगा कि भारतीय बंदर स्थानीय लोगों के द्वारा दिये जाने वाले खाने को खा लेते हैं, परंतु अध्ययनों में पाया गया है कि ये दयालुता हमारे वन खाद्य जाल और पारिस्थितिकी तंत्र में एक बड़े बदलाव का कारण बन सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़ (National Institute of Advanced Studies - NIAS) की अस्मिता सेनगुप्ता और उनकी टीम के हालिया अध्ययन में पाया गया है कि मानव द्वारा पूजा स्थलों या अन्य स्थलों पर खाना खिलाने से उन्होंने जंगलों के पेड़ों से प्राप्त फलों का सेवन कम कर दिया है जिस कारण कई फलों की किस्मों के बीजों का फैलाव नहीं हो पा रहा है। इस प्रकार मनुष्यों द्वारा बंदरों को खाना खिलाना प्राकृतिक प्रक्रियाओं के लिए खतरनाक भी साबित होता जा रहा है।
संदर्भ:
1. https://www.quora.com/Do-monkeys-eat-meat
2. https://www.livescience.com/27944-monkeys.html
3. https://bit.ly/2WNWY3g
4. https://bit.ly/2BUzCQY
5. https://animalsake.com/what-do-monkeys-eat
6. https://en.wikipedia.org/wiki/Rhesus_macaque
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