मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इसके नाते इनके मध्य सामूहिक गतिविधियां होना भी स्वभाविक है। प्राचीन काल से ही मानव मनोरंजन के लिए भिन्न-भिन्न साधनों का सहारा लेता आ रहा है। जैसे प्राचीन भारत में महफिलें लगा करती थीं, खेलों का आयोजन हुआ करता था आदि, तो वहीं अंग्रेजों के आगमन के बाद क्लबों (Clubs) का निर्माण हुआ, जहां इन्होंने सामूहिक रूप से अनेक प्रकार की गतिविधियों जैसे – खेलना, मनोरंजन, विश्राम, व्यायाम, वार्तालाप, सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादि किया। उस समय क्लब सिविल स्टेशन (Civil Station) और छावनी के सामाजिक केंद्र थे, जो सेना के अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण थे। ब्रिटिश काल में भी क्लबों में प्रवेश के लिए विशेष ड्रेस कोड (Dress Code) हुआ करता था, जो भारत की पारंपरिक वेशभूषा से काफी भिन्न था। उस समय में बहुत से भव्य क्लबों की स्थापना की गई थी, जिनमें से कुछ आज भी अस्तित्व में हैं। ऐसा ही एक क्लब था “रामपुर क्लब”।
यह क्लब काफी बड़े परिसर में फैला हुआ था। कुछ वर्षों पहले ही इस क्लब की बिल्डिंग (Building) गिरा दी गयी। बिल्डिंग गिराने की अनुमति लखनऊ में हुई कैबिनेट मीटिंग (Cabinet Meeting) द्वारा दी गई थी। अब इस जगह पर ट्रांज़िट होस्टल (Transit Hostel) व गेस्ट हाउस (Guest House) बनाने के लिए निर्माण कार्य किया जायेगा और यह निर्माण कार्य पीडब्लूडी (PWD) द्वारा किया जायेगा। कुछ वर्षों पहले रामपुर जिले के स्वार से तत्कालीन कांग्रेस विधायक नवाब काज़िम अली खान ने दावा किया था कि उनके दादा ने अपनी रियासत में इस क्लब का निर्माण कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि, “राज्य सरकार द्वारा, यूपी शहरी विकास और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आज़म खान को ये संपत्ति सौंपी जा रही है। पहले एक गेस्ट हाउस के नाम पर, राज्य सरकार द्वारा एक भवन का निर्माण किया जाना था परंतु बाद में, इसे आज़म खान के जौहर ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।” उन्होंने ये भी बताया कि जेल रोड के पास स्थित ये इमारत 1,500 वर्ग फुट क्षेत्र में फैली हुई थी और इसकी कीमत 9.83 करोड़ रुपये थी, जो राज्य सरकार ने आज़म खान के निजी ट्रस्ट को 100 रुपये में स्थानांतरित कर दी’।
आज़म खान की मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित, रामपुर क्लब अभी भी एक भव्य इमारत है। परंतु यह इमारत पिछले एक दशक से अप्रयुक्त पड़ी हुई थी। नवाब काज़िम ने कहा कि उनके दादा मेजर जनरल नवाब सैयद रज़ा अली खान ने 1910 और 1920 के बीच रामपुर क्लब का निर्माण करवाया था। उस समय, केवल कुलीन वर्ग ही इस क्लब में आया करते थे। इसमें बिलियर्ड (Billiards), ताश और कई खेल खेलने की सुविधाएं थीं तथा दो टेनिस कोर्ट भी थे। परंतु मई 1949 में भारत में रामपुर रियासत के विलय के बाद, यह भवन राज्य सरकार को सौंप दिया गया था।
इस नयी परियोजना की कुल लागत लगभग 6 से 7 करोड़ रुपये होगी। रामपुर में रामपुर क्लब के अलावा भी और कई अन्य क्लब भी मौजूद हैं, जिनमें से एक रामपुर का लायंस क्लब (Lions Club) और एक रोटरी क्लब (Rotary Club) शामिल हैं जो रामपुर में सामाजिक विकास में योगदान दे रहे हैं। साथ ही कुछ नए क्लब जैसे कि कंट्री क्लब (Country Club) भी अपनी बिल्डिंग शादी-पार्टी आदि के लिए समाज में देकर इस ओर अपना योगदान दे रहे हैं। पिछले साल रोटरी क्लब और वनविभाग की ओर से शहर में वन महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शहर में वृक्षारोपण करके कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी।
रामपुर के लायंस क्लब की बात करें तो लायंस क्लब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के सबसे बड़े सेवा क्लब संगठनों में से एक है, जिसके दुनिया भर के 200 से अधिक देशों में 46,000 क्लब है जिसमें 14 लाख से अधिक सदस्य हैं। भारत में यह क्लब फरवरी 1956 में अस्तित्व में आया था। यह डॉ. विलियम पेरी वुड्स द्वारा 24 अक्टूबर 1916 को इवांसविल, इंडियाना में स्थापित किया गया था, और बाद में इसके सचिव, मेल्विन जोन्स के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के तहत यह एक अंतरराष्ट्रीय सेवा संगठन के रूप में विकसित हुआ। भारत में यह क्लब लायन रॉबर्ट विलियम्स (एक अमेरिकी सेना अधिकारी) और नोशिर के. जे. खान के प्रयासों के माध्यम से 1956 में आया। भारत में पहला लायंस क्लब 3 फरवरी, 1956 को बॉम्बे में 20 सदस्यों को लेकर बनाया गया था।
संदर्भ:
1. https://e-district.org/sites/321a2/page-10.php
2. https://bit.ly/2wSleH6
3. https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/rampur/demolish-the-building-of-rampur-club
4. https://bit.ly/2wRZoTW
5. http://e-clubhouse.org/sites/rampuru/index.php
6. https://bit.ly/2wQyVpP
7. https://www.openthemagazine.com/article/essay/class-race-and-the-colonial-clubs-of-india
8. https://en.wikipedia.org/wiki/Lions_Clubs_International
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