मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इसके नाते इनके मध्य सामूहिक गतिविधियां होना भी स्वभाविक है। जिसके लिए प्राचीन काल से ही भिन्न-भिन्न साधनों का सहारा लिया गया, जैसे प्राचीन भारत में मनोरंजन के लिए महफिलें लगा करती थीं, तो वहीं अंग्रेजों के आगमन के बाद क्लबों (Clubs) का निर्माण कर दिया गया, जहां इन्होंने सामूहिक रूप से अनेक प्रकार की गतिविधियों जैसे – खेलना, मनोरंजन, विश्राम, व्यायाम, वार्तालाप, सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम और कुछ सार्वजनिक विवादों का निस्तारण इत्यादि किया। देश के विभिन्न भागों में क्लबों का निर्माण किया गया, जिनमें से कुछ आज भी अस्तित्व में हैं। इनमें लखनऊ के जिमखाना क्लब (Gymkhana Club), गोल्फ क्लब (Golf Club) और मोहम्मद जिमखाना क्लब भी शामिल हैं।
अवध के जिमखाना क्लब की उत्पत्ति ‘गेंदखाना’ से हुयी है, जहां बालिकाएं गेंद का खेल खेलने के लिए गेंदे के फूल का उपयोग करती थीं। यह क्लब खेलों को बढ़ावा देने के लिए खोला गया था, प्रमुखतः टेनिस (Tennis) को। प्रारंभ में इसमें केवल टेनिस खिलाडि़यों को ही सदस्यता दी जाती थी। इसमें 16 टेनिस कोर्ट (Court) थे, जो कभी-कभी कम भी पड़ जाते थे। इस क्लब ने बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चैंपियनशिप (Championship) टेनिस मैचों की मेज़बानी की। धीरे-धीरे क्लब ने अपने स्वरूप में परिवर्तन करना प्रारंभ किया तथा इसमें अन्य गतिविधियों जैसे-बिलियर्ड्स (Billiards), टेबल टेनिस (Table Tennis) और ताश खेल को भी जोड़ दिया गया। अब यह पारिवारिक लोगों का पसंदीदा क्लब बन गया है।
विगत कुछ वर्ष पूर्व इस क्लब में कुर्ता पजामा वालों के प्रवेश को निषेध कर दिया गया था, जो एक विवाद का मुद्दा भी बना क्योंकि यह औपनिवेशिक काल की मानसिकता को दर्शाता है। और इस क्लब में मेहमानों के लिए ड्रेस कोड (Dress code) बना दिया गया जिसका सभी को पालन करना था। ब्रिटिश काल में भी क्लबों में प्रवेश के लिए विशेष ड्रेस कोड हुआ करता था, जो भारत की पारंपरिक वेशभूषा से काफी भिन्न था। जिमखाना के सचिव ने यह तर्क दिया कि, “हमने इस प्रकार का प्रतिबंध अनुचित वेशभूषा पर प्रतिबंध लगाने के लिए तथा उन लोगों को सुधारने के लिए उठाया है जो पान मसाले में सने कुर्ते पजामे पहने बड़ी शान से क्लब में चले आते हैं”।
नैसर्गिक वातावरण के बीच बने मोहम्मद बाग़ क्लब ने अपनी कई आधुनिक सुविधाओं को अपनाने के बाद भी अपनी ऐतिहासिकता को बरकरार रखा है। अंग्रेजों द्वारा स्थापित यह क्लब लखनऊ के श्रेष्ठ आवासीय क्लबों में से एक है। प्रारंभ में यह क्लब सिर्फ सैन्य अधिकारियों के लिए खोला गया था। 1947 से क्लब ने सिविल सेवा अधिकारियों, तालुकदार, सामंती वर्ग और अन्य प्रमुख नागरिकों को सदस्यता देना प्रारंभ कर दिया। क्लब में सात बंगले, पांच कुटिया, पुस्तकालय, वातानुकूलित बार (Bar), परिवार के लिए एक बैठक जिसमें टीवी लगा हुआ है, पार्टी रूम (Party Room), भोजनकक्ष, बिलियर्ड्स, कार्ड रूम, नृत्य कक्ष, बाहरी रसोई, टेनिस कोर्ट, एक विशाल विवाह लॉन (Lawn), खेल मैदान, स्विमिंग पूल, स्क्वैश कोर्ट (Squash Court), वॉकर्स ट्रैक (Walkers’ Track), बच्चों के खेलने के लिए पार्क, स्टाफ क्वार्टर (Staff quarters), फूलवाले की दुकान, साइकिल हब (Cycle Hub) जैसी अनेक सुविधाएं शामिल हैं। क्लब में समय-समय पर विभिन्न मनोरंजन गतिविधियां भी आयोजित कराई जाती हैं। किंतु इस क्लब में सदस्यता प्राप्त करने हेतु कड़ी नियमावली है, जिसके अनुरूप ही आप सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं।
लखनऊ का गोल्फ क्लब (Golf Club) औपनिवेशिक जीवनशैली का एक सक्रिय साक्ष्य है, जो मार्टिनपुरवा और कालिदास मार्ग के बीच बना हुआ है। लखनऊ में गोल्फ की शुरूआत का कोई स्पष्ट इतिहास नहीं है, किंतु संभावना है किे यहां गोल्फ 19वीं शताब्दी में कलकत्ता के बाद तथा दिल्ली से पहले आया होगा। यह दिल्ली के पूर्व और कल्कत्ता के पश्चिमी भाग में एकमात्र असैनिक गोल्फ कोर्स था। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में गोल्फ यहां काफी लोकप्रिय हो गया था। लखनऊ से कई श्रेष्ठ गोल्फ खिलाड़ी उभरे। 1857 की क्रांति ने लखनऊ को पूरी तरह तबाह कर दिया, जिसका प्रभाव गोल्फ पर भी पड़ा या कहें पूरी तरह समाप्त हो गया।
1948 में आठ पुराने समय के गोल्फर एक साथ आए और गोल्फ के खेल को पुनर्जीवित करने के लिए सदस्यता शुल्क (प्रत्येक से पाँच रुपये) लेकर एक कोष एकत्रित किया। इस प्रतीकात्मक विधि ने आधुनिक गोल्फ कोर्स की नींव रखी। 1949 में इस खेल को राज्य का संरक्षण प्राप्त हुआ। जिस कारण कुछ समय के लिए लखनऊ गोल्फ क्लब को राजभवन गोल्फ कोर्स के रूप में जाना गया। आज भी यह लखनऊ का श्रेष्ठ गोल्फ क्लब है, जिसकी सदस्यता क्षमता लगभग 1500 है, जो लखनऊ की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि को दर्शाती है। इस क्लब में नौ छिद्रों (Hole) वाला गोल्फ कोर्स है, जिसमें अक्सर लखनऊ के प्रशासनिक अधिकारी भी गोल्फ का आनंद लेते हैं।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Id58hA
2. https://www.ogc.org.in/about-ogc.html
3. http://www.mbclublucknow.org/Home/ClubHistory
4. http://www.lgc.in/History.asp
5. https://bit.ly/2Id58hA
6. https://dailym.ai/2MGSR9o
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