रामपुर के जामा मस्जिद से तो हम भली भांति परिचित हैं। जामा मस्जिद में एक अनोखा मुगल स्पर्श देखने को मिलता है। इसमें एक मुख्य बुलंद प्रवेश द्वार है, जिसमें विदेशी घड़ी और विदेशी ईंटों का भी प्रयोग देखने को मिलता है। जामा मस्जिद में तीन बड़े गुंबद और सोने के शिखर के साथ चार लम्बी मीनारें भी हैं। अधिकांश लोग तो यह जानते ही हैं कि मदीना में पैगंबर मुहम्मद के मूल घर को ही सबसे पहली मस्जिद माना जाता है। यह एक मिट्टी-ईंट की संरचना थी जिसमें एक संलग्न आयताकार आंगन तथा उसके एक तरफ निवास स्थान थे। इस शुरूआती वस्तुकला ने मस्जिदों के लिए एक मॉडल (Model) के रूप में कार्य किया।
वास्तुकला की दृष्टी से मस्जिद के विभिन्न भाग होते हैं:
मीनार :- एक मीनार बालकनियों (Balconies) या खुली दीर्घाओं वाला एक पतला बुर्ज होता है, जिसमें मस्जिद के मुअज्जिन हर दिन पाँच बार प्रार्थना करने के लिए श्रद्धालुओं को बुलाते हैं। मीनारें कई मस्जिदों की विशिष्ट पारंपरिक विशेषताएं हैं, हालांकि वे ऊंचाई, शैली और संख्या में भिन्न होती हैं। मीनारें चौकोर, गोल, षट्कोण, अष्टकोणीय या यहां तक कि सर्पिल भी हो सकती हैं और वे आमतौर पर एक नुकीली छत से ढकी होती हैं। मीनार शब्द अरबी भाषा में ‘प्रकाशस्तंभ/लाइटहाउस (Lighthouse)’ को संदर्भित करता है।
गुंबद :- कई मस्जिदों की छत में खासकर मध्य पूर्व में गुंबद को सजाया जाता है। कुछ परंपराओं में, गुंबद को स्वर्ग की तिजोरी का प्रतीक माना जाता है। एक गुंबद के आंतरिक हिस्से को आमतौर पर पुष्प, ज्यामितीय और अन्य पैटर्न के साथ सजाया जाता है। एक मस्जिद का मुख्य गुंबद आमतौर पर मुख्य प्रार्थना कक्ष को ढकता है। वहीं कुछ मस्जिदों में माध्यमिक गुंबद भी हो सकते हैं।
क़िबला :- क़िबला दीवार की ओर मुख करके मुस्लिम नमाज़ अदा करते हैं। हर मस्जिद की क़िबला दीवार मक्का की दिशा में रुख करती हुई बनाई जाती है।
मिहराब :- मिहराब क़िबला दीवार में मक्का की दिशा दर्शाने वाला एक झरोखा है। यह मस्जिद का सबसे अलंकृत हिस्सा होता है और इसे अक्सर क़ुरान के शिलालेखों से अलंकृत किया जाता है।
मिनबार :- मिनबार एक सीढ़ी के रूप में बनाया गया ढांचा है जो इमाम के लिए एक मंच है जिसपर खड़े होकर वे शुक्रवार की प्रार्थना के बाद धर्मोपदेश देते हैं। मंच आमतौर पर मिहराब के दाईं ओर स्थित होता है और अक्सर विस्तृत नक्काशीदार लकड़ी या पत्थर से बना होता है।
मुसल्ला :- प्रार्थना करने के लिए बनाये गए केंद्रीय क्षेत्र को मुसल्ला कहा जाता है। इस जगह को खाली रखा जाता है, क्योंकि प्रार्थना करते समय घुटने टेकने होते हैं और सीधे फर्श पर झुकना होता है। बुज़ुर्गों और विकलांग प्रार्थियों के लिए कुछ कुर्सियाँ आदि देखी जा सकती हैं। प्रार्थना हॉल (Hall) की दीवारों और स्तंभों पर आमतौर से कुरान की प्रतियां, लकड़ी की किताब स्टैंड (Stand), अन्य धार्मिक पढ़ने की सामग्री, और व्यक्तिगत प्रार्थना के आसनों को रखने के लिए पुस्तक तख्ता भी होता है।
प्रक्षालन गृह:- यह प्रार्थना करने की तैयारी का हिस्सा है। अधिकतम प्रक्षालन गृह के लिए शौचालय की जगह को निर्धारित किया जाता है या कई मस्जिदों में दीवार या आंगन में एक फव्वारे जैसी संरचना हो सकती है। साथ ही कई बार पैरों को धोने के लिए छोटे स्टूल (Stool) या सीटों को भी उपलब्ध कराया जाता है।
जूते रखने का स्थान :- विश्व भर के मस्जिदों में जूते रखने के लिए एक विशेष स्थान की व्यवस्था होती है। जूतों को दरवाज़े के पास रखने के बजाए अलमारियों में व्यवस्थित रूप से मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास रखा जाता है।
संदर्भ :-
1. https://www.metmuseum.org/learn/educators/curriculum-resources/art-of-the-islamic-world/unit-one/the-mosque
2. http://www.bbc.co.uk/guides/z297hv4
3. https://www.learnreligions.com/parts-of-a-mosque-2004464
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Rampur,_Uttar_Pradesh
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