भारतीय इतिहास का एक अनूठा बंधन- अकबर और उनके हाथी

लखनऊ

 07-06-2019 10:40 AM
स्तनधारी

मुग़ल शासकों में अकबर का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। वजह ये है कि अकबर ने सबके हित के लिए काम किया। अकबर ने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए ऐसी नीतियां अपनाई, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके। अकबर ने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था। परंतु अकबर के व्यक्तित्व का एक ऐसा पहलू भी है जिस पर लोगों का ध्यान कम ही जाता है, वो है हाथियों से उनका लगाव। हाथियों और उनका प्रेम, भारतीय इतिहास का एक अनूठा बंधन है, जिसके बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं।

मुगल बादशाह अकबर को हाथी जैसे बड़े जानवरों में बहुत अधिक रुचि थी। उनका मानना था कि हाथी मजबूती और शक्ति का प्रतीक होते हैं। अपने मनोरंजन के लिये वे अक्सर हाथियों के साथ लड़ाई भी किया करते थे। इस विडियो में आप देख सकते हैं कि फिल्म “जोधा अकबर” में भी अकबर (ऋतिक रोशन) को हाथी से मुकाबला करते हुये दिखाया गया है।
हाथी मुगल काल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे जिनका उपयोग अक्सर युद्ध, मनोरंजन (हाथी की लड़ाई, शिकार, हाथी की सवारी), सज़ा और यात्रा के लिए किया जाता था। अबुल फज़ल “अकबरनामा” में लिखते हैं कि ‘जब भारत में मुगलों का शानदार आगमन हुआ, तो उन्होंने हाथियों पर विशेष ध्यान दिया, जो कि दोनों ही रूप में (युद्ध और यात्रा के लिये) एक अद्भुत जानवर हैं। यदि इसके आकार के संबंध में उन लोगों को समझाया जाये जिन्होनें इसे नहीं देखा है, तो इसकी तुलना एक पहाड़ से करना भी काफी नहीं है। क्योंकि इस तुलना में उनकी खूबसूरती और तेज़ी का वर्णन नहीं हो पाता है।’ अबुल फज़ल इसकी गति को हवा के समान मानते हैं। वे मानते थे कि यह अद्भुत जानवर दूरदर्शिता, बुद्धिमत्ता और अक़्लमंदी में घोड़ों से कई आगे हैं।

अकबर को हाथियों की लड़ाई देखना बेहद पसंद था। वे अक्सर मनोरंजन के लिये हाथियों की लड़ाई का आनंद लिया करते थे। यहां तक कि अपने जीवन के अंतिम समय में भी अकबर ने हाथियों की लड़ाई का आयोजन करवाया था। अकबर की मृत्यु उनके 63वें जन्मदिन के दस दिन बाद आगरा में हुई थी, उससे पहले अकबर ने सलीम (स्वाभाविक उत्तराधिकारी और उनका सबसे बड़ा पुत्र) और खुसरो के प्रिय हाथियों के मध्य द्वन्द्व करवाया। क्योंकि खुसरो को भी सिंहासन चाहिये था परंतु सलीम उसका पहला उत्तराधिकारी था इसलिये ये द्वन्द्व अकबर द्वारा करवाया गया था, जिसमें सलीम की जीत हुई। इसके बाद सम्राट और भी बीमार हो गये तथा अपने अंतिम क्षणों में उन्होंने सलीम को अगला सम्राट घोषित किया। आगे चलकर सलीम सम्राट जहाँगीर के रूप में सफल हुए।

अबुल फज़ल द्वारा लिखे अकबरनामा से पता चलता है कि वह पहला हाथी जिस पर शहंशाह ने सवारी की थी उसका नाम दिलशंकर था। वह पहला हाथी जिसे शहंशाह ने अपनी सवारी के लिये चुना था उसका नाम दामूदर था, जिसे शहंशाह ने बैरम ख़ाँ को प्रस्तुत किया था, और वह पहला हाथी जिसका इस्तेमाल शहंशाह ने एक अन्य हाथी के साथ युद्ध में किया उसका नाम झालपा था। झालपा मानकोट की घेराबंदी के दौरान भी शहंशाह के साथ था और उस समय शहंशाह सिर्फ चौदह वर्ष के थे। इसके अलावा शहंशाह के पास कई हाथी थे जिनको आप विभिन्न चित्रकारों के चित्रों में आज भी देख सकते हैं।

अबुल फज़ल द्वारा बनायी गयी 1564 की एक पेंटिंग (Painting) में अकबर मालवा में जंगली हाथियों का पर्यवेक्षण कर रहे हैं। यह चित्रण अकबरनामा से लिया गया है। यह पेंटिंग उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले बनाई गई थी। यह चित्रण उनके शासनकाल की उस ऐतिहासिक घटना को दर्शाता है जिसमें उन्होंने मालवा में जंगली हाथियों के एक झुंड का पीछा किया और अपने शाही अस्तबल के लिए उनमें से कई हाथियों को अपने काबू में किया। इस दृश्य में अकबर घोड़े पर बैठे हुए हैं तथा दो पालतू हाथी उनका अनुसरण कर रहे हैं। मुगलों ने जंगली हाथियों को पकड़ा और फिर उन्हें एक साथ बांध दिया। साथ ही साथ अकबरनामा (1567) के एक अन्य चित्र में आप युद्ध में दो हाथियों के टकराव को देख सकते हैं। बसावन और चेतर मुंती द्वारा (1590-95) बनाये गये एक चित्र में आप अकबर और उनके प्रसिद्ध हाथी हवाई (जोकि बहुत ही शक्तिशाली और ख़तरनाक था) को देख सकते हैं। इसके अलावा कई चित्रकारों ने मुगल समय की कई ऐतिहासिक घटनाओं जैसे शिकार, हाथियों की लड़ाई, युद्ध, हाथियों की सवारी आदि को अपने चित्रों में दर्शाया है।

संदर्भ:
1. https://www.historytoday.com/archive/months-past/death-emperor-akbar
2. https://ranasafvi.com/mughal-elephants/
3. http://www.clevelandart.org/art/2013.309
4. https://www.youtube.com/watch?v=tx-gTxzrdss



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