वर्तमान समय में जीप (Jeep) से सफर करना हर किसी की अभिलाषा है किंतु हर कोई अपने इस सपने को पूरा नहीं कर सकता। आज यह उन महंगी कारों में से है जिन्हें रखना सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। जीप दुनिया की सबसे पुरानी ऑफ-रोड (Off-Road) अर्थात सड़क के साथ-साथ कच्चे रास्ते पर चलने में भी सक्षम रहने वाली गाड़ी है। 78 साल पहले इसे विशेषकर अमेरीकी सेना के लिए बनाया गया था, लेकिन इसकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण इसे आम लोगों के लिए भी डिज़ाइन (Design) किया गया। जिसने आज भी अपनी लोकप्रियता को कायम रखा है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना को एक ऐसे कम भार वाले वाहन की जरूरत थी जिसका उपयोग युद्ध के साथ-साथ सेना के अन्य सामान्य कार्यों में भी किया जा सके। जिसे तैयार करने के लिए सेना ने 135 कार निर्माता कंपनियों से संपर्क किया, लेकिन इसे बनाने के लिए सिर्फ दो ही कंपनियां, अमेरिकन बैंटम (American bantam), और विलीज़-ओवरलैंड (Willys-Overland) ही आगे आईं। सेना ने गाड़ी का एक नमूना तैयार करने के लिए 49 दिनों की समय सीमा निर्धारित की जो कि कंपनियों को असंभव लग रही थी। दोनों ही कंपनियों ने सेना से थोड़ा और समय मांगा लेकिन सेना ने इससे साफ मना कर दिया। बैंटम की ओर से एक स्वतंत्र कार डिज़ाइनर प्रोब्स्ट ने एक कार तैयार की, लेकिन यह कार सेना के दिए मापदंड़ों पर खरी नहीं उतर पायी। सेना को लगा कि बैंटम कंपनी जरूरत के मुताबिक वाहनों की पूर्ति करने के लिहाज़ से छोटी है। 16 जुलाई 1941 को विलीज़-ओवरलैंड को विली एमबी (Willie MB) के निर्माण का उत्तरदायित्व सौंपा गया।
विली एमबी जीप सेना के मापदण्डों पर खरी उतरी, युद्ध के मैदान में यह तेज़, फुर्तीली और मज़बूत साबित हुयी, जिसे किसी भी प्रकार के क्षेत्र में ले जाया जा सकता था और यदि कहीं यह फंस भी जाए तो इसे सैनिक आसानी से उठाकर ले जा सकते थे। इसने एंटी-टैंक (Anti-Tank) जैसे हथियारों को ढोने में भी मदद की, जिससे उन्हें शीघ्रता से तैनात किया जा सका। पैदल सेना से लड़ने के लिए इसमें मशीन गन को भी ले जाया गया। जीप ने युद्ध के मैदान में एम्बुलेंस (Ambulance) के रूप में भी काम किया। इस प्रकार इसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना में अपना लोहा मनवाया और विश्व भर के सैनिकों की एक लोकप्रिय पसंद बन गयी।
युद्ध के दौरान अमरिकी सेना को भारी मात्रा में जीप की आवश्यकता हुयी, तो विलीज़-ओवरलैंड ने अन्य कंपनियों को विलीज़ के विनिर्देशों का उपयोग कर वाहनों का निर्माण करने की अनुमति देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार को एक गैर-विशिष्ट लाइसेंस दिया। सेना ने फोर्ड (Ford) को दूसरे आपूर्तिकर्ता के रूप में चुना, लेकिन जीपों का निर्माण विलीज़ के डिज़ाइन के आधार पर करने का निर्णय लिया। विलीज़ ने फोर्ड को योजनाओं और विनिर्देशों की एक पूरी सूची की आपूर्ति की। युद्ध के दौरान अमरिकी सेना द्वारा प्रयोग किए गये कुल वाहनों में से 18% वाहन फोर्ड द्वारा तैयार किए गए। पहली जीप के निर्माता, अमेरिकन बैंटम ने युद्ध के अधिकांश समय में सेना के लिए हेवी ड्यूटी ट्रेलरों (Heavy Duty Trailers) का निर्माण किया। अब प्रश्न उठता है कि जीप शब्द की उत्पत्ति कैसे हुयी। माना जाता है कि यह ‘जीपी’ (GP) शब्द का अपभ्रंशित रूप है। जीपी का अर्थ कुछ इस प्रकार माना जाता था: GP- Government Purpose or General Purpose/सरकारी प्रयोजन या सामान्य प्रयोजन के लिए।
युद्ध के बाद विलीज़ कंपनी ने यात्री-कार मॉडल का उत्पादन करने की बजाए अपनी जीप वाहनों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। 1946 में जीप स्टेशन वैगन (Jeep Station Wagon), 1947 में जीप ट्रक (Jeep Truck) और 1948 में जीपस्टर (Jeepster) का शुभारंभ किया गया। 1953 में विलीज़ को कैसर मोटर्स (Kaiser Motors) को बेच दिया गया, जो 1963 में कैसर-जीप बन गयी। अमेरिकन मोटर्स कॉरपोरेशन (ए.एम.सी. (AMC)) ने 1970 में कैसर के घाटे में चल रहे जीप को खरीद लिया। फ्रांसीसी वाहन निर्माता रेनॉल्ट (Renault) ने 1979 में ए.एम.सी. में निवेश करना शुरू किया था। आगे चलकर क्रायसलर (Chrysler) ने ए.एम.सी. को कड़ी प्रतिस्पर्धा देते हुए उसे खरीद लिया। अंततः 2007 में क्रायसलर ने अपने अधिकांश शेयर एक प्राइवेट इक्विटी कंपनी (Private Equity Company) को बेच दिये।
विश्व भर के विभिन्न निर्माताओं द्वारा लाइसेंस के तहत जीपों का निर्माण किया गया। जिनमें से भारत में महिंद्रा (Mahindra), स्पेन में एब्रो (EBRO) और दक्षिण अमेरिका के कई निर्माता शामिल हैं। मित्सुबिशी (Mitsubishi) ने 1953 और 1998 के बीच जापान में जीपों के 30 से अधिक अलग-अलग मॉडल तैयार किये। उनमें से ज्यादातर मूल विलीज़-कैसर डिज़ाइन के सीजे-3बी (CJ-3B) मॉडल पर आधारित थे। महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कार निर्माण निगम है जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि इसकी स्थापना 1945 में मोहम्मद एंड महिंद्रा के रूप में हुई थी, जिसके संस्थापक मलिक गुलाम मोहम्मद और महिन्द्रा ब्रदर्स (भाई) थे। भारत पाक विभाजन के बाद मोहम्मद पाकिस्तान चले गये, जहां वे पाक के पहले वित्त मंत्री बने। 1948 में कंपनी ने इसका नाम बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया। यह भारत ही नहीं वरन विश्व के सबसे बड़े वाहन निर्माताओं में से एक है।
महिंद्रा ने 1947 में विलीज़ जीप का निर्माण करने के लिए लाइसेंस प्राप्त किया और विलीज़ सीजे3बी को बनाना प्रारंभ किया। कंपनी ने 1947 में विलीज़ जीप के आयात के साथ सैन्य वाहनों का निर्माण और संयोजन किया, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था। तब से महिंद्रा ने जीप का निर्माण जारी रखा। महिन्द्रा की नवीनतम जीप थार (Thar) है, जिसकी आकृति जीप सीजे5 पर आधारित है। प्रारंभ में महिंद्रा ने CJ3A और विलीज़ एमबी का निर्माण भारत में ही किया किंतु इसकी ब्रांडिंग विलीज़ के रूप में ही की गयी।
महिन्द्रा द्वारा अब तक तैयार किए गए जीप के विभिन्न मॉडल:
महिन्द्रा CJ3B
यह महिन्द्रा की पहली जीप थी तथा इसके हल्के वज़न और विशेष प्रकार की मशीनों के कारण इसे किसी भी स्थान में ले जाया जा सकता था।
महिंद्रा CJ4A
यह जीप थोड़ी लंबी व्हीलबेस (Wheelbase) पर आधारित थी। इसकी क्षमता करीब आठ लोगों तक को बिठाने की थी। एंबुलेंस और सरकारी वाहनों जैसे अनुप्रयोगों हेतु CJ4A धातु या फाइबर ग्लास (Fibre glass) से बनी छत का उपयोग करने के लिए अनुकूलित थी।
महिंद्रा CJ500D
यह पहली डीज़ल इंजन वाली जीप थी, जिसे बहुद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जा सकता था।
महिंद्रा CJ340
यह जीप CJ3B पर आधारित थी, लेकिन संशोधित उपकरणों के साथ इसमें डीज़ल इंजन भी लगाया गया था, इस वाहन में भी दरवाजे नहीं थे, लेकिन सीटें और डैशबोर्ड (Dashboard) संशोधित किए गए थे।
महिंद्रा क्लासिक सीएल340 डीपी
यह वाहन महिंद्रा क्लासिक CJ340 का ही विकसित रूप था। इसमें सिंगल-लीवर फोर-व्हील ड्राइव मैकेनिज्म (Single-lever four-wheel drive mechanism) को जोड़ा गया था।
महिंद्रा MM 440 / MM540 DP / MM550
महिंद्रा MM540 DP और वर्तमान की महिंद्रा थार लगभग समान दिखते हैं, इसे दरवाजों के साथ बेहतर रूप से डिज़ाइन किया गया था। गोल फेंडर (Fender) और बोनट (Bonnet) डिज़ाइन वाली यह पहली जीप थी। M540 को प्यूजोट (Peugeot) 2.1 लीटर डीजल इंजन द्वारा भी संचालित किया जा सकता था। इसलिए इसे थार का पितामाह भी कहा जाता है।
महिंद्रा CL550 / महिंद्रा मेजर
महिंद्रा ने CJ4A के ढांचे को बढ़ाकर CL550 का निर्माण किया, जो बाद में महिंद्रा मेजर में बदल गया। इसे भी बहुद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग किया जा सकता था।
महिंद्रा वैगनेट/ महिंद्रा कमांडर
यह पूर्ण धात्विय निकाय के साथ आई, जिसमें पांच दरवाजे थे। यह लंबे व्हीलबेस CJ5 के ढांचे पर आधारित थी।
महिंद्रा अर्माडा
इसमें पाँच दरवाजे, आरामदायक सीटें, एक उचित डैशबोर्ड थे साथ ही इसमें एयर कंडीशनिंग (Air Conditioning) का विकल्प भी था। अर्माडा में 2.5 लीटर प्यूजोट डीज़ल इंजन था।
महिंद्रा बोलेरो
यह महिंद्रा की पहली लक्जरी एसयूवी (Luxury SUV) थी। यह पांच गियर वाले गियरबॉक्स के साथ 2.5 लीटर डीज़ल इंजन द्वारा संचालित होती है। यह पूरी तरह से जीप के डिज़ाइन की नहीं थी, इसका ढांचा सीजे5 को विकसित करके तैयार किया गया।
महिंद्रा थार
महिंद्रा थार जीप आधारित डिज़ाइनों में से आखिरी होने की संभावना है। इसे महिंद्रा MM550 बॉडी के ढांचे पर तैयार किया गया है। जो आधी बोलेरो और आधी स्कॉर्पियो है, थार काफी हद तक एक मिश्रण है।
संदर्भ:
1. https://autoweek.com/article/car-life/how-has-jeep-gotten-here-check-out-their-miraculous-75-year-story
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Jeep
3. https://www.cartoq.com/the-many-many-jeep-clones-by-mahindra-stretching-a-legacy/
4. https://bit.ly/2YOgw9g
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Mahindra_%26_Mahindra
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