वर्तमान में एक नई अर्थव्यवस्था उभरी है, जिसे नाम दिया गया है “गिग अर्थव्यवस्था (GIG Economy)”। गिग अर्थव्यवस्था रोजगार का ही एक रूप है जिसमें श्रमिक अल्पकालिक परियोजनाओं या नौकरियों में स्वतंत्र रूप से संलग्न होता है। इसमें फ्रीलान्स (Freelance) कार्य और एक निश्चित अवधि के लिये प्रोजेक्ट (Project) आधारित रोज़गार शामिल होते हैं। अमेरिका में यह अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से स्थापित हो गयी है तथा यहां की एक तिहाई जनसंख्यां गिग (GIG) के माध्यम से स्वतंत्र, अल्पकालिक और अस्थायी रूप से काम कर रही है। इसने स्वतंत्र अनुबंध कार्य की सुविधा दी है जिसमें किसी को निश्चित कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं होती और काम के लिये व्यक्ति अपने मनमुताबिक समय भी चुन सकता है। उबर (Uber), लिफ़्ट (Lift), ओयो (Oyo) जैसी कंपनियों के द्वारा यह बहुत अधिक प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में संगीतकार, फोटोग्राफर, लेखक, ट्रक चालक और परंपरावादी लोग भी पारंपरिक रूप से गिग कार्यकर्ता बन रहे हैं। इंटुइट (Intuit) के सी-ई-ओ (CEO) ब्रैड स्मिथ (Brad Smith) के अनुसार 2017 में अमेरिका में लगभग 34% लोग "द गिग अर्थव्यवस्था” के तहत कार्य कर रहे थे और वर्ष 2020 तक यह आंकडा 43% हो जायेगा। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू (Harvard Business Review) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी अमेरिकी और पश्चिमी यूरोप में लगभग 150 मिलियन लोग गिग अर्थव्यवस्था के जरिये नौकरी कर रहे हैं। इसके कारण बाजार अधिक समृद्ध और जटिल होता जा रहा है। गिग अर्थव्यवस्था में दिन प्रतिदिन रुझान बढ़ता जा रहा है जिसके कारण निम्नलिखित हैं:
• अंशकालिक या अस्थायी पदों पर काम करने के इच्छुक लोगों की बढ़ती संख्या।
• बेरोजगारी की समस्या।
• पूर्णकालिक या अंशकालिक नौकरी में आय का कम होना।
• मनमुताबिक कार्यसमय।
• इसके अतिरिक्त अधिकतर गिग श्रमिक मानव मालिकों के अधीन नहीं होते वे ऐप्स (Applications) के माध्यम से काम करते हैं और यह केवल उन्हें गिग अर्थव्यवस्था के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है।
आधुनिक समाज के लिये यह एक चुनौती भी है क्योंकि गिग अर्थव्यवस्था में किसी व्यक्ति की सफलता उसकी विशिष्ट निपुणता पर निर्भर करती है। असाधारण प्रतिभा, गहरा अनुभव, विशेषज्ञान या प्रचलित कौशल के आधार पर ही आप गिग अर्थव्यवस्था के तहत कार्य कर सकते हैं। जो लोग इंटरनेट जैसी तकनीकी सेवाओं का उपयोग करने में संलग्न नहीं हैं, वे गिग अर्थव्यवस्था के लाभ को नहीं उठा पाते। इस अर्थव्यवस्था में श्रमिकों को आय संरक्षण, वेतन भत्ते, छुट्टियां, बीमार होने पर अतिरिक्त आय उपलब्ध नहीं हो पाती जो इसकी एक कमी है। इसके तहत विभिन्न वेबसाइटों या सामाचार पत्रों ke लिए आलेख लिखना, ऑनलाइन गेम्स खेलना, ब्लॉग बनाना, ई- बुक्स लिखना, ग्राफिक डिजाइनिंग करना आदि शामिल हैं जो कमाई का जरिया बन सकता है। भारत में 15 मिलियन फ्रीलांसर हैं, जो अपने गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों के साथ आईटी और प्रोग्रामिंग, वित्त, मानव संसाधन, डिजाइन, विपणन, एनीमेशन, सामग्री और शैक्षणिक लेखन के स्वतंत्र अनुबंध प्राप्त कर रहे हैं।
वर्तमान में भारत में बेरोजगार युवाओं की संख्या बहुत अधिक है, तथा इन्हें रोजगार देना सरकार के लिये बहुत चुनौतीपूर्ण है। भले ही इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जगह जगह उछाला ही क्यों न गया हो किंतु “मेक इन इंडिया", “राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” आदि योजनाओं के बाद भी कोई खास प्रगति होती नहीं दिखायी दी है। भारत में औपचारिक नौकरी को ही अधिक महत्ता दी जाती है जबकि वास्तव में भारत के रामपुर जैसे शहरों की अधिकांश जनसंख्या अनौपचारिक व्यवसाय पर ही निर्भर है। रामपुर और अन्य शहरों में हथकरघा और हस्तकला जैसे उद्योगों में अच्छी कमाई केवल तब ही होती है जब कोई विशेष ऋतु, त्यौहार, शादी या खास अवसर जैसे हस्तकला प्रदर्शन मेला आदि चल रहा हो। यहां के लोगों के लिये गिग अर्थव्यवस्था स्थायी रोजगार प्रदान करने में सहायक हो सकती है, जरुरत है तो बस उद्योगों को राजनीतिक रूप से उन्नत बनाये जाने की।
संदर्भ:
1. https://www.investopedia.com/terms/g/gig-economy.asp
2. https://bit.ly/2Hxg4X1
3. https://bit.ly/2PGu2qO
4. https://hbr.org/2018/03/thriving-in-the-gig-economy
5. https://bit.ly/30DRzPi
6. https://www.entrepreneur.com/slideshow/299713
7. https://www.dandc.eu/en/article/indias-informal-sector-backbone-economy
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