अक्सर ऐसा देखा गया है कि एक किसी विशेष क्षेत्र या स्थान पर एक विशेष तरह का उद्योग फलता फूलता और विकसित होता है। इसका कारण उस जगह पर संसाधनों की उपलब्धता, जनशक्ति या खास प्रतिभा का पाया जाना हो सकता है। उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले ने किसी ना किसी उत्पाद को बनाने में दक्षता हासिल कर रखी है। उदाहरण के तौर पर अलीगढ़ के ताले, फिरोजाबाद की चूड़ियाँ, मेरठ के खेल का सामान या फिर लखनऊ की चिकन कढ़ाई और औषधि निर्माण को लिया जा सकता है। अपने-अपने शहर में ये उद्योग इतने विकसित हो चुके हैं कि आज के समय में इन उद्योगों के कारण संबंधित शहरों का नाम दुनिया भर में प्रसिद्ध होता जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018-19 के लिए 4,28,384 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया था। उत्तर प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सबसे अधिक हिस्सेदारी तृतीयक क्षेत्र (47.1%) की है, इसके बाद प्राथमिक क्षेत्र (26.9%) की हिस्सेदारी और सबसे बाद में द्वितीयक क्षेत्र (26.0%) का योगदान है। यूपी आज भारत के उत्पादक का लगभग 5% हिस्सा है, हालांकि इसमें लगभग भारत की 17% आबादी रहती है। यहां पर बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण हुआ है खासकर लघु उद्योगों में राज्य के क्षेत्रों में प्रमुख उद्योगों में चीनी, सीमेंट (Cement), वनस्पति और सूती कपड़े और सूती धागों के उद्योग शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में स्थित विभिन्न लघु एवं कुटीर उद्योग और उनसे संबंधित राज्यों के नाम इस प्रकार हैं:
वर्ष 1999-2000 में, उत्तर प्रदेश में औद्योगिक गतिविधि (द्विअंकीय स्तर) का क्रम निम्न है:
उपरोक्त चित्र उत्तर प्रदेश में निर्मित उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला के वितरण को दर्शाता है। अगर औद्योगिकीरण का विकास सही प्रकार से किया जाए तो यह राज्य में उच्च स्तर की क्षमता को प्रदर्शित करता है। तालिका के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि राज्य को कई उत्पादों में उच्च तुलनात्मक लाभ हैं जिनमें भारतीय उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 20% से अधिक है। इसमें चीनी का विनिर्माण, आसुतीकरण, शुद्धीकरण, तरल पदार्थ का सम्मिश्रण, बिजली के लैंप (Lamp) और प्रकाश उपकरणों का निर्माण, और अन्य विनिर्माण शामिल हैं जो मुख्य रूप से मुरादाबाद में बनाये जाते हैं। उत्तर प्रदेश ने खाद्य पदार्थों के निर्माण और निर्यात में नेतृत्व प्राप्त कर लिया है। उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) के लिए नोएडा, पीतल के बर्तनों के लिए मुरादाबाद, खेल के सामान के लिए मेरठ, कालीन के लिए भदोही, वाराणसी और प्रतापगढ़, चमड़े के लिए कानपुर और आगरा, तालों के लिए अलीगढ़, सिरेमिक (Ceramic) के लिए खुर्जा, तेल के लिए कन्नौज और ढलाई के लिए आगरा प्रसिद्ध हैं।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2YxJH02
2. http://planningcommission.nic.in/plans/stateplan/upsdr/vol-1/chap%201.pdf
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