भारत में गंगा नहर प्रणाली गंगा नदी और यमुना नदी के बीच दोआब क्षेत्र को सिंचित करती है। इन नहरों का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए किया जाता है। कुछ हिस्सों में इनका उपयोग नौकायन के लिए भी किया जाता है। रामपुर में पूर्वी गंगा नहर प्रणाली मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस नहर का उपयोग यहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलों के लिए किया जाता है।
इस जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2,35,360 हेक्टेयर है, जिसमें से खेती योग्य कुल भूमि का क्षेत्रफल 1,11,190 हेक्टेयर है। खरीफ की फसल के लिए 37,972 हेक्टेयर और रबी के लिए 29,768 हेक्टेयर है। रामपुर जिले की नहर प्रणाली रियासत काल से चली आ रही है और यह नहर 100 साल से भी अधिक पुरानी है। सभी नहर प्रणालियाँ नदियों पर छोटे नियामकों, बैराजों और मिट्टी के बांधों का निर्माण करके बनाई जाती हैं। रामपुर जिले में 18 नहर प्रणालियाँ (जो मुख्य रूप से कोसी, पिलखर, भाखड़ा, सैजनी, धीमरी, बहल्ला, नाहल किछिया, डकरा, कल्याणी, कलैया आदि नदियों द्वारा संचालित होती हैं) हैं, इनमें जल की उपलब्धता नदियों के जल पर निर्भर होती है। कम बारिश होने के कारण नदियों में पानी का स्तर कम हो जाता है, और इसलिए नहरों में भी जल का स्तर कम हो जाता है।
उत्तराखंड राज्य में नहरें निम्न जलाशयों और नदियों द्वारा संचालित की जाती हैं:
1. बौर जलाशय:
बौर जलाशय उत्तराखंड राज्य में जिला ऊधम सिंह नगर में सिंचाई विभाग, रुद्रपुर के अंतर्गत आता है। बौर नदी 40 किमी तक बहती है इसके बाद यह पिलखर नदी में मिल जाती है। इस नदी से, दायीं और बांयी पिलखर प्रणालियों की दस नहरें रामपुर जिले के कैमरी बैराज जो पिलखर नदी पर स्थित है, के द्वारा संचालित की जाती हैं। बौर जलाशय के उत्प्लव मार्ग का स्तर 777.50 फीट है, और जुनार जलद्वार का स्तर 745.00 फीट है। यदि जलाशय में जल स्तर 777.50 फीट से कम हो जाए तो रामपुर जिले की नहरों में पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसके अलावा, किछिया नहर प्रणाली की तीन नहरें और डकरा नहर प्रणाली की डकरा नहर को बौर जलाशय के ककराला जलमार्ग द्वारा संचालित किया जाता है।
2. हरिपुरा जलाशय:
हरिपुरा जलाशय उत्तराखंड राज्य के जिला ऊधम सिंह नगर में सिंचाई विभाग, रुद्रपुर के अंतर्गत आता है। इस जलाशय में पानी का स्तर कम है, और इसके द्वारा 19 नहरें संचालित की जाती हैं।
3. टुमरिया जलाशय:
बहाला प्रणाली की छह नहरें और कोसी प्रणाली की 27 नहरें टुमरिया जलाशय द्वारा संचालित की जाती हैं।
4. नदियों द्वारा संचालित की जाने वाली नहरें:
जान्सकट की चार नहरें, कलैया प्रणाली की सात नहरें, वगईया प्रणाली की वगईया नहर और घूघा प्रणाली की चार नहरें सीधे नदियों द्वारा संचालित की जाती हैं।
रामपुर जिले में कोसी नदी पर रामपुर बैराज के निर्माण की घोषणा 19 अक्टूबर 2013 को की गयी थी। इस परियोजना को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुख्यालय में मुख्य अभियंताओं की समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया था। इसे समिति द्वारा स्वीकार और अनुशंसित किया गया और सरकार को भेजा गया। सरकार की जांच के बाद, 12 नवम्बर 2014 को उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में हुई बजट समिति की बैठक में इस परियोजना के लिए 21,635.90 लाख रुपये की सिफारिश की गई थी। प्रशासनिक स्वीकृति के बाद, 2014-15 में सरकार के स्तर पर 1,400.00 लाख रुपये और 2015-16 में 3,000.00 लाख रुपये आवंटित किए गए।
पूर्वी गंगा नहर परियोजना वर्ष 1977 में 48.46 करोड़ रुपये की लागत से बनायी गयी थी, जिसके तहत 48.55 कि.मी. लंबाई की मुख्य नहर और 1,367.52 किलोमीटर की वितरण प्रणाली का निर्माण किया गया था। पूर्वी गंगा नहर परियोजना का मुख्य उद्देश्य मानसून के मौसम में 1,05,000 हेक्टेयर वाली फसलों को सींचना है, जिसमें रबी और खरीफ दोनों फैसले शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट मुख्य रूप से बिजनौर, हरिद्वार और मुरादबाद जिले के लिये शुरू किया गया था।
संदर्भ:
1. http://idup.gov.in/post/en/eastern-ganga-about
2. https://bit.ly/2Y9JXlF
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