खादी, हाथ से काते गए और बुने गए कपड़े को कहते हैं। कच्चे माल के रूप में कपास, रेशम या ऊन का प्रयोग करके , उन्हें चरखे (एक पारंपरिक कताई यन्त्र) पर कातकर खादी का धागा बनाया जाता है। 'खादी' लंबे समय देश के स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति से जुड़ा रहा है, यह शब्द महात्मा गांधी की छवि और उनके स्वदेशी आंदोलन का नेतृत्व करता है। खादी एक ऐसे कपड़े के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जिसमें आमतौर पर कपास के रेशों को हाथ से काता जाता है। हालांकि,एक लोकप्रिय धारणा के विपरीत, खादी रेशम और ऊन से भी निर्मित हो सकती है, जिसे क्रमशः ऊनी खादी के रूप में जाना जाता है। इस कपड़े की बनावट को गर्मियों में आरामदेह और सर्दियों के दौरान गर्म रखने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
प्राचीन समय में खादी
कपड़े की हाथ से कताई और बुनाई हज़ारों वर्षों से चली आ रही है। सिंधु सभ्यता में कपड़े की परम्परा काफी अच्छे से विकसित थी। खादी की प्राचीनता का सबसे प्रमुख प्रमाण मोहनजोदड़ो की पुजारी की मूर्ति है जिसे कंधे पर लबादे पहने हुए दिखाया गया है तथा उसमें प्रयोग की गयी आकृतियाँ आधुनिक सिंध, गुजरात और राजस्थान में अभी भी देखी जा सकती हैं। भारतीय कपड़े की सुंदरता और जीवंतता के कई अन्य उल्लेख भी हैं जैसे अलेक्जेंडर ने भारत पर अपने आक्रमण के दौरान मुद्रित और चित्रित कपास की खोज की। उन्होंने और उनके उत्तराधिकारियों ने व्यापार मार्गों की स्थापना की जिसने अंततः एशिया और यूरोप में कपास का परिचय कराया।
खादी का पुनर्जीवन भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया जिन्होंने इसकी क्षमता को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होने और गांवों में जीवन को वापस लाने के एक उपकरण के रूप में देखा। खादी का 1920 में महात्मा गाँधी के स्वदेशी आन्दोलन में एक राजनैतिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया था। उन्होंने जल्द ही समझ लिया कि इस हाथ से बने कपड़े के उत्पादन और बिक्री से अधिक है इसका हमारे दैनिक में स्वीकृति देना अहम है, जो कि बदलाव का एक प्रतीक है। गांधी जी ने खादी को स्वदेशी आंदोलन का पर्याय बना दिया।
ब्रिटिश राज, भारतीयों को बहुत अधिक लागत में कपड़े बेच रहा था और भारतीय मिल मालिक खुद भारतीय बाजार पर एकाधिकार करना चाहते थे। गांधी जी द्वारा खादी आंदोलन का उद्देश्य विदेशी कपड़े का बहिष्कार करना था। महात्मा गांधी ने भारत में 1920 के दशक में ग्रामीण स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए खादी की कताई को बढ़ावा देना शुरू किया, इस प्रकार खादी स्वदेशी आंदोलन का एक अभिन्न अंग और प्रतीक बन गया।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission), संसद के 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956' के तहत भारत सरकार द्वारा निर्मित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अन्दर आने वाली एक शीर्ष संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य ‘ग्रामीण इलाकों में खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना और विकास करने के लिए योजना बनाना, प्रचार करना, सुविधाएं और सहायता प्रदान करना है, जिसमें वह आवश्यकतानुसार ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत अन्य एजेंसियों की सहायता भी लेते है। इसका मुख्यालय मुंबई में है, जबकि अन्य संभागीय कार्यालय दिल्ली, भोपाल, बंगलोर, कोलकाता, मुंबई और गुवाहाटी में स्थित हैं।
खादी को कच्चे माल के आधार पर भारत के विभिन्न भागों से प्राप्त किया जाता है जिसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर पूर्वी राज्यों से रेशमी माल प्राप्त किया जाता है, जबकि कपास की प्राप्ति आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होती है। पॉली खादी को गुजरात और राजस्थान में काता जाता है जबकि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर को ऊनी खादी के लिए जाना जाता है।
खादी और ग्रामोद्योग की प्रासंगिकता
औद्योगीकरण के मद्देनज़र और लगभग सभी प्रक्रियाओं का मशीनीकरण होने के कारण भारत जैसे श्रम अधिशेष देश के लिए खादी और ग्रामोद्योग की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। खादी और ग्रामीण उद्योग का एक अन्य लाभ यह भी है कि इन्हें स्थापित करने के लिए पूँजी की आवश्यकता नहीं (या बिलकुल कम) के बराबर होती है, जो इन्हें ग्रामीण गरीबों के लिए एक आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प बनाता है। कम आय, एवं क्षेत्रीय और ग्रामीण/नगरीय असमानताओं के मद्देनजर भारत के संदर्भ में इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।
आयोग के उद्देश्य
आयोग के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं जो इसके कार्यों को निर्देशित करते हैं। ये इस प्रकार हैं -
1. सामाजिक उद्देश्य - ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना.
2 . आर्थिक उद्देश्य - बेचने योग्य सामग्री प्रदान करना
3 . व्यापक उद्देश्य - लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और एक सुदृढ़ ग्रामीण सामाजिक भावना का निर्माण करना।
आयोग विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और नियंत्रण द्वारा इन उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। केंद्र सरकार आयोग को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के माध्यम से दो मदों के तहत धन प्रदान करती है: योजनाकृत और गैर-योजनाकृत. आयोग द्वारा 'योजनाकृत' मद के तहत प्रदान किये गए धन का आवंटन कार्यान्वयन एजेंसियों को किया जाता है। 'गैर-योजनाकृत' मद के तहत प्रदान किया गया धन मुख्य रूप से आयोग के प्रशासनिक व्यय के लिए होता है। धन मुख्य रूप से अनुदान और ऋण के माध्यम से प्रदान किया जाता है। संस्थाओं द्वारा निर्मित उत्पाद उनके द्वारा प्रत्यक्ष रूप से फुटकर विक्रेता और थोक विक्रेता के माध्यम से बेचे जाते हैं; या अप्रत्यक्ष रूप से "खादी भंडार" (सरकार द्वारा संचालित खादी बिक्री केंद्र) के माध्यम से। कुल मिलाकर 15431 बिक्री केंद्र हैं, जिनमें से 7,050 आयोग के अधीन हैं जो पूरे भारत में फैले हुए हैं। इन उत्पादों को आयोग द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों के माध्यम से विदेशों में भी बेचा जाता है।
स्वतंत्रता के बाद से, खादी की यात्रा परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाए रखने के बारे में है। खादी एक परंपरा है, लेकिन हर परंपरा को परिवर्तन से गुजरना पड़ता है। खादी में आज स्वीकृति की एक नई लहर आई है जो कई फैशन डिजाइनरों (Fashion Designers) जैसे सब्यसाची मुखर्जी, रितु कुमार और रोहित बल के द्वारा देखने को मिल रही है। फैब इंडिया (Fab India) और नेचर ऐली (Nature Alley) जैसे ब्रांड (Brands) ने खादी उत्पादों के साथ अपना नाम बनाया है।
ऊपर दिया गया चित्र खादी से निर्मित डेनिम जीन्स (Jeans) का है।यहां तक कि के.वी.आई.सी ने रितु बेरी को अपना सलाहकार नियुक्त किया है, जिससे खादी की उबाऊ छवि को सजीला बनाया जा सके। खादी के कार्बनिक (Carbonic) और शून्य कार्बन पदचिह्न प्रकृति को बढ़ावा देना, ई-कॉमर्स (e-Commerce) मार्ग पर जाना और रेमंड्स (Raymonds) जैसे गैर-खादी कारीगरों के साथ साझेदारी करना इस दिशा में कुछ स्वागत योग्य कदम हैं। युवाओं के लिए अनुकूल डेनिम (Denim), पतलून और टी-शर्ट (T-shirt) जैसे नए डिजाइन (Design) और उत्पादों के निर्माण ने बाजार में जीवंतता पैदा कर दी है। भारत में 19 सितंबर को खादी दिवस मनाता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2PKuu8Q
2. https://bit.ly/2vvDW6q
3. https://bit.ly/2ISbNzl
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Khadi
चित्र सन्दर्भ:
1. https://cdn.pixabay.com/photo/2013/12/25/14/57/khadi-233560_960_720.jpg
2. https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/6/6d/Sambalpuri_Saree.jpg
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.