देश की सबसे तेज़ मेट्रो प्रणाली में से एक लखनऊ मेट्रो लाइन का निर्माण 27 सितंबर 2014 को शुरू हुआ था,जिसने 5 सितंबर 2017 को अपना वाणिज्यिक संचालन शुरू किया । दूसरे चरण में आने वाले आधे से अधिक नए मेट्रो स्टेशन की बात करे तो वह भूमिगत होने जा रहे हैं। इस उद्देश्य से11.2 किमी पूर्व पश्चिम गलियारे के चारबाग से वसंतकुंज तक जाने वाले 12 स्टेशन में से 7 स्टेशन भूमिगत है।
सतत विकास के तहत कोई भी शहर सार्वजनिक परिवहन के बिना नहीं पनप सकता है। यदि हम भूमिगत बनाम अधितल मेट्रो स्टेशन के बीच के फायदे और नुकसान की बात करे तो यह शहर द्वारा अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर परिवहन प्रणाली के प्रत्येक क्षेत्र पर विचार करके बनाया जाना चाहिए। परिवहन प्रणाली को भूमिगत या अधितल बनाने का निर्णय एक जटिल योजना है, जो इसके इंजीनियरिंग, निर्माण, शहरी डिजाइन, आर्थिक और राजनीतिक निर्णय पर निर्भर करता है।आमतौर पर, जो भी अधिक सुविधाजनक होता है, लोग उसका उपयोग करते हैं , यदि हम इसके फायदे तथा नुकसान की तुलना करे तो अधितल मेट्रो स्टेशन का निर्माण कम खर्चीला होता है तथा जिसमे कोई वायु वेंटिलेशन (ventilation) की आवश्यकता नहीं होती और दिन में प्रकाश की व्यवस्था की भी आवश्यकता नहीं होती ,ज्यादातर , स्टेशन को बिजली देने के लिए सोलर रूफ टॉप(solar roof top) स्थापित किया जाता है जो कि भूमिगत स्टेशनों में नहीं किया जा सकता है।
सुरक्षा के तौर पे देखे तो आपातकालीन स्थिति में, इस स्टेशन को आसानी से फायर टेंडर का उपयोग करके खाली किया जा सकता है जो भूमिगत स्टेशनों के लिए बहुत मुश्किल है।साथ ही अगर हम अधितल मेट्रो स्टेशन के विपक्ष में बात करे तो इनमे एक मुद्दा सौंदर्यीकरण का है जिससे किसी शहर की पारम्परिक तथा ऐतिहासिक सुंदरता में काफी बदलाव आता है , हालांकि यह इतनी बड़ी परेशानी नहीं है। दूसरी परेशानी मौसम से सम्बंधित होती है जिसमे बिजली के उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है और संचार को बाधित कर सकता है।
आपने देखा है कि तूफान में, ओवरग्राउंड(overground) ट्रेनें धीमी गति से चलती हैं। साथ ही अगर भूमिगत मेट्रो की बात करे तो समय के साथ साथ जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी और उत्पादकता में सुधार हो रहा है भूमिगत निर्माण लागत में भी गिरावट आ रही है , लेकिन भूमिगत परिवहन प्रणाली की लागत इस तथ्य के कारण प्रतिबिंबित नहीं हो सकती क्योंकि कई नई प्रणालियों जैसे की बड़ी मात्रा में सार्वजनिक स्थान, एयर कंडीशनिंग सिस्टम(Air conditioning system) तथा बेहतर सतह के लिए उच्च स्तर की सुविधा और सुरक्षा का निर्माण किया जा रहा है।
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) से अनिल गलगली द्वारा प्राप्त एक आरटीआई जवाब के अनुसार, भूमिगत मेट्रो लाइन की लागत ओवरग्रॉउंड मेट्रो से ज्यादा है जिसमे अगर देखा जाये तो एलिवेटेड पैटर्न(Elevated pattern) पर मेट्रो लाइन के निर्माण की लागत 250 से 300 करोड़ रु के लगभग है जिसकी तुलना में भूमिगत लाइन के लिए लगने वाली लागत लगभग तीन गुना ज्यादा है ।गलगली ने भूमिगत विधि के माध्यम से मेट्रो लाइनों के निर्माण के लिए केंद्र या महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों की प्रतियां मांगी। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए, सार्वजनिक सूचना अधिकारी (पीआईओ) ने 43 वीं अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में निर्णय लिया गया, जिसमें मेट्रो लाइनों को बिछाने के लिए ऊंचे स्थान के बजाय भूमिगत विधि का उपयोग करने का निर्णय लिया गया ।इसका एक कारण यह भी है की मुंबई की सड़के काफी संकरी है जिसमे भूमिगत मेट्रो लाइन की सुविधा को प्रदान किया जा सकता है जिससे ट्रैफिक जैसी समस्याओं से निपटने में भी आसानी होगी।
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