भारत में कैंसर पिछले 26 वर्षों में दोगुना से अधिक हो गया है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सभी थेरेपी क्षेत्रों में , स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में सबसे आम है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में भारत में 14 लाख कैंसर रोगी थे और यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।सरकार ने चार प्राथमिकता वाले कैंसर - स्तन कैंसर(breast cancer), सर्वाइकल कैंसर(cervical cancer) ओरल कैंसर(oral cancer) और फेफड़े के कैंसर को निर्धारित किया है, जो कैंसर के बोझ का 41 प्रतिशत हिस्सा है। मृत्यु दर के मामले में, स्तन कैंसर वर्तमान में भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर है, कम उम्र के समूहों में आनुपातिक व्यापकता वैश्विक औसत से अधिक है। "
2012 में कैंसर के कारण भारत में लगभग 6.7 बिलियन अमरीकी डालर का नुकसान हुआ, जो कुल जीडीपी का 0.36 प्रतिशत था। भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतों के बाद कैंसर दूसरा सबसे बड़ा कारण है। तम्बाकू उत्पादों (जैसे सिगरेट पीना) का उपयोग दुनिया भर में मौत का एकमात्र सबसे बड़ा कारण है। भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण हर दिन 2,500 लोगों की मौत हो जाती है।2018 में पुरुषों और महिलाओं में तम्बाकू (स्मोक्ड और स्मोकलेस) के उपयोग से लगभग 3,17,928 मौतें हुई।
किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अधिक महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से मरती हैं। ग्रामीण महिलाओं को अपने शहरी समकक्षों की तुलना में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर होने का अधिक खतरा होता है।स्तन कैंसर, मौखिक, गर्भाशय ग्रीवा, गैस्ट्रिक, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर जैसे प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रासंगिकता के कैंसर का पता लगाया जा सकता है । भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु हो जाती है
कैंसर से जुड़े मिथक और तथ्य
1. मिथक: कैंसर छूत की बीमारी है।
तथ्य:- कैंसर छूत की बीमारी नहीं है। हालांकि कुछ तरह के कैंसर वायरस और बैक्टीरिया की वजह से होते हैं, जैसे ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (बच्चेदानी के मुख का कैंसर), हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी (जिगर का कैंसर (लीवर)) एपस्टीन बार वायरस (लिम्फोमा नेसोफैरिनजियल कैंसर और पेट का कैंसर) या हेलिकोबेक्टर जीवाणु (पेट का कैंसर)
2. मिथक: यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर नहीं हुआ है तो आपको भी कैंसर नहीं होगा।
तथ्य:- यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर नहीं हुआ है, तो आपको भी कैंसर नहीं होगा, इसकी कोई गांरटी नहीं है। केवल 5-10 प्रतिशत कैंसर पारिवारिक या वंशानुगत होते है। शेष कैंसर व्यक्ति के जीवनकाल में संयोगवश आनुवांशिक परिवर्तनों की वजह से, अन्यथा बढती उम्र, पर्यावरणीय कारणों जैसे तंबाकू, धूम्रपान और विकिरण की वजह से होते है।
3. मिथक: यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर है या था तो आपको भी कैंसर अवश्य होगा।
तथ्य:- कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने से रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है, परन्तु यह एक निश्चित कारक नहीं है। केवल 5-10 प्रतिशत वंशानुगत जीन्स में होते है।
4. मिथक: यदि सकारात्मक सोच हो तो कैंसर का पूर्ण उपचार हो सकता है।
तथ्य:- सकारात्मक दृष्टिकोण कैंसर के इलाज के दौरान आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है। लेकिन यह कैंसर का पूर्ण उपचार कर सकता है, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
5. मिथक: यदि आपको कैंसर का पता चल गया है तो आपकी मृत्यु जल्द ही हो जायेगी।
तथ्य:- कैंसर का जल्दी पता लगने और उपचार के क्षेत्र में उन्नति के कारण कई प्रकार के कैंसरों में जीवित रहने की दरों में वृद्धि हुई है। वास्तव में प्रारंभिक निदान के बाद कैंसर के साथ कई मरीज पांच साल या उससे अधिक भी जीवित रहते है।
6. मिथक: कैंसर हमेशा बहुत दर्दनाक होता है।
तथ्य:- ज्यादातर कैंसर प्रारंभिक अवस्था में दर्दनाक नहीं होते हैं। हालांकि जब कैंसर बढ़ता है और शरीर के अन्य भागों में फैलता है, तो इसके दर्दनाक होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिकतर मामलों में कैंसर संबंधी दर्द का दवाओं और अन्य दर्द प्रबंधन तकनीकों द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया जाना संभव है।
7. मिथक: बुजुर्ग व्यक्ति कैंसर के उपचार के लिये योग्य नहीं है।
तथ्य:- कैंसर के इलाज के लिये कोई आयु सीमा नहीं है। कई बुजुर्ग मरीजों में कैंसर का इलाज उतनी ही सफलता से किया जा सकता है, जितना कि युवा मरीजों में। कैंसर के मरीजों का उपचार उनकी उपयुक्त हालत के अनुसार होना चाहिये।
8. मिथक: कैंसर का उपचार बीमारी से भी बुरा है।
तथ्य:- कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी (बिजली की सिकाई अथवा विकिरण चिकित्सा) के दुष्प्रभाव कभी-कभी गंभीर हो सकते है। हालांकि आजकल बेहतर उपचार पद्धतियों से मरीज इन दुष्प्रभावों की सहन करने में काफी हद तक सक्षम है। उपचार के दौरान प्रतिकूल लक्षण जैसे, गंभीर मतली और उल्टी, बालों का झड़ना और ऊतकों को नुकसान जैसे लक्षण आजकल कम देखे जाते हैं। आपके चिकित्सक व उनका सहयोगी दल आपको इन दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते है
9. मिथक: कैंसर के उपचार के दौरान मरीज सामान्य गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते।
तथ्य:- कई कैंसर रोगियों का इलाज बाह्य रोगी विभाग में किया जाता है या उन्हें कुछ समय के लिये ही दाखिल किया जाता है। ये मरीज अपने दिन प्रतिदिन की गतिविधियों को साथ-साथ जारी रख सकते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान मरीज अपना अंशकालिक अथवा पूर्णकालिक रोजगार जारी रखते हुए अपने बच्चों की देखभाल तथा सामाजिक गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं।
10. मिथक: सेलफोन का अत्याधिक प्रयोग और आपके आसपास सेलफोन टावर का होना कैंसर के खतरे को बढावा देता है।
तथ्य:- अब तक आयोजित ज्यादातर अध्ययनों के मुताबिक सेलफोन कैंसर के लिये कारक नहीं पाया गया है। कैंसर आनुवांशिक परिवर्तनों के कारण होता है, सेल फोन अल्पावृति की ऊर्जा को फेंकता है जो जीन्स को नुकसान नहीं पहुॅचाती। हालांकि सेल फोन और सेल फेान टावर कैंसर के कारक हैं या नही यह अभी विवादास्पद बना हुआ है।
11. मिथक: हर्बल उत्पाद कैंसर का इलाज कर सकते हैं।
तथ्य:- हालांकि हर्बल उत्पाद (जड़ी बूटी) वैज्ञानिक रूप से कैंसर के इलाज में अभी तक कारगर साबित नहीं हुए हैं, किन्तु अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ जड़ी बूटियों सहित वैकल्पिक या पूरक चिकित्सा रोगियों को कैंसर के इलाज के दुष्प्रभावों से निपटने में मदद कर सकते है।
12. मिथक: हेअर डाई और प्रतिस्वेदक (स्प्रे या इत्र) कैंसर का कारण बन सकते हैं।
तथ्य:-ऐसा कोई निर्णायक वैज्ञानिक सबूत नहीं है की इन वजहों से कैंसर के विकास का खतरा बढ़ता है।
संदर्भ:-
1. http://cancerindia.org.in/hindi/myths-and-facts/
2. https://bit.ly/2RRefLc
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