सभी माता-पिता प्यार और स्नेह के साथ एक बच्चे का पोषण करके अपने जीवन की एक यात्रा को खुशी खुशी पूरा करते है। बच्चे के विकास के शुरुआती वर्षों में एक परिवार का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। परंतु कई बच्चे इतने भाग्यशाली नहीं होते हैं कि उनको परिवार का सुख मिल सके, ऐसे बच्चों के लिये दत्तक एक मात्र सहारा हैं जो इन अनाथों और निराश्रित बच्चों के लिए एक प्रेमपूर्ण घर प्रदान कर सकते हैं। पूरे विश्व में लगभग 15.3 करोड़ अनाथ हैं और हाल ही में अनाथ और निराश्रित बच्चों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पाया गया कि सिर्फ अकेला भारत ही 2 करोड़ अनाथ बच्चों का घर है और ये आकड़े 2021 तक बढ़ सकते हैं।
संस्था का कहना है कि इन अनाथों में से केवल 0.3 प्रतिशत बच्चे हैं जिनके माता-पिता वास्तव में मर चुके हैं, बाकी के बच्चे उनके माता-पिता द्वारा छोड़ दिये गये हैं। इस अध्ययन को संचालित एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेस इंडिया (SOS Children's Villages India) द्वारा किया गया था, जो एक अनाथ बच्चों के लिए पारिवारिक देखभाल प्रदान करता है। अध्ययन में जिन आंकड़ों का विश्लेषण किया गया वह भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 (2005-2006) के माध्यम से राष्ट्रीय जनगणना से प्राप्त किये गये थे। अध्ययन में ये भी बताया गया कि अनाथ बच्चों के बढ़ते हुए अनुपात के पीछे गरीबी एक बड़ा कारण है। अध्ययन में पाया गया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक अनाथ है। हाल ही में थाना मझोला मुरादाबाद के कोहिनूर एक्सपोर्ट फर्म के निकट पांच माह की बच्ची रोती हुई मिली, जिसे बाद में शिशु सदन रामपुर पहुंचाया गया। इस बच्ची की जानकारी मिलने पर पुलिस ने बच्ची को अपने कब्जे में लेकर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया और चाइल्ड लाइन ने बच्ची शिशु सदन रामपुर को सौंप दी।
भारत की अनुमानित 41 प्रतिशत जनसंख्या 18 वर्ष से कम आयु की है, जो विश्व की सबसे बड़ी बाल जनसंख्या है। अध्ययन केअनुसार, इनमें से 13 प्रतिशत बच्चे एकल-माता-पिता के साथ रहते हैं, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर हैं, इनमें से 85 प्रतिशत बच्चे ऐसे है जो अपनी माताओं के साथ रहते हैं। आज गरीबी, बाल श्रम और बाल तस्करी के बढ़ने से अनाथ बच्चों को संरक्षण और देखभाल की बहुत आवश्यकता है। परंतु हमारे देश में पर्याप्त अनाथालय और गोद लेने वाले परिवार दोनों ही कम है। एक अनुमान के अनुसार भारत में अनाथ बच्चों को गोद लेने की दर अनाथ बच्चों की आबादी का 4% से कम है। आज अनाथ बच्चों की जनसंख्या को कम करने की बहुत आवश्यकता है जिसके के लिए अधिक से अधिक बच्चों को गोद लिया जा सकता है तथा जन्म-दर को नियंत्रण में रखा जा सकता है जिससे एक सामाजिक परिवर्तन होगा और अनाथों को भी अपना घर तथा परिवार मिल जाएगा।
भारत में लगभग दो करोड़ अनाथ बच्चे हैं जिनमें से बहुत कम बच्चों को गोद लिया जाता है। पिछले साल कुछ हज़ार बच्चों को ही गोद लिया गया, इतनी कम संख्या में बच्चों के गोद लिए जाने की एक वजह अफ़सरशाही की बाधाएं भी हैं। हाल में ही महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा गोद लेने के नये नियमों को लागू किया गया था जिसमें अभिवावक जल्दी ही ऑनलाइन जा कर बच्चे को गोद लेने के लिये आवेदन दे सकते है। ये नियम पारदर्शिता लाने के लिए अधिसूचित किये गये है। इससे गोद लेने के इच्छुक अभिवावक उम्र, भाषा और लिंग के आधर पर अपनी पसंद के बच्चे के लिए आवेदन कर सकेंगे। कहा जा रहा है कि देश में बच्चे को गोद लेने के लिए प्रवासियों को भी भारत के नागरिकों के समान ही महत्व और अधिकार दिए जायेंगे। भारत में 2010 से 2015 तक गोद लिए गए बच्चों की संख्या निम्न है:
हाल ही में रामपुर अनाथालय से 14-महीने के अनाथ हर्षित को एक यूएस के दंपति द्वारा केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (CARA) के माध्यम से गोद लिया गया। हर्षित को पुलिस अधिकारियों ने मुजफ्फरनगर के बस स्टैंड से 28 दिसंबर, 2018 को बाल कल्याण समिति को सौपा था जहां से इस बच्चे को रामपुर अनाथालय भेज दिया गया। नैशविले-आधारित युगल को अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेंसी (AFFA) द्वारा गोद लेने के लिए योग्य पाया गया और केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया। बच्चे को अमेरिका ले जाने के बाद, सीएआरए के कार्यकर्ता समय-समय पर परिवार के साथ उनकी परवरिश पर नजर रखने के लिए जाएंगे और उनका ऑनलाइन विवरण भी रखा जायेगा।
मेनका गांधी के नेतृत्व में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा गोद लेने के लिए नियमों को अपनाया गया है। अब दत्तक जल्दी ऑनलाइन और पहले से कहीं अधिक पारदर्शी होंगे। वहीं दत्तक एजेंसियों ने सरकार के नए नियमों को अदालत में चुनौती दी है। नए नियमों के तहत, गांधी के मंत्रालय ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण या सीएआरए (CARA) द्वारा प्रबंधित एक ऑनलाइन डेटाबेस के माध्यम से सभी दत्तक माता-पिता और बच्चों को एक साथ लाया है। इस कदम में कई अंतर्निहित सकारात्मकताएं हैं जैसे, एक दत्तक माता-पिता देश के किसी भी हिस्से से बिना किसी दत्तक एजेंसी की मदद से बच्चे को चुन सकते हैं। यह एक पारदर्शी प्रणाली है, जिसमें माता-पिता को अनिश्चितकालीन प्रतीक्षा के बजाय एक बहुविकल्प दिये जाते हैं और साथ ही यह मध्यस्थता में कटौती करता है, क्योंकि दत्तक एजेंसियां अब बच्चों और माता-पिता का मेल नहीं करेंगी।
संदर्भ:
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