बाइबिल के अनुसार, ईश्वर के पुत्र यीशु ने अपनी मृत्यु के बाद फिरसे धरती पे जीवन पाया और इस दिन को इसाई धर्म के लोग ईस्टर सन्डे(Easter Sunday) के त्योहार के रूप में मनाते है। ईसाई कैलेंडर(calendar) में यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है। प्रत्येक वर्ष अलग-अलग तिथियों पर ईस्टर 21 मार्च से 25 अप्रैल के बीच होता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वसंत में पूर्णिमा कब होगी। यह यीशु के क्रॉस(cross) पर चढ़ने और दफन होने यानि गुड फ्राइडे(Good Friday) के बाद तीसरे दिन मनाया जाता है। यह दिन मसीह की वापसी का प्रतीक है जिन्होंने मानवता के पापों के लिए खुद का बलिदान कर दिया और साथ ही पुनरुत्थान उन्हे परमेश्वर का सच्चा पुत्र साबित करता है जिसने स्वर्ग पर चढ़ने से पहले बुराई और मृत्यु को हराया।
आम तौर पर ईसाई विचार के लोग इस दिन दोस्तों और परिवार के साथ विशेष भोजन का आनंद लेते है, प्रार्थना करते है और इस प्रकार यीशु मसीह के पुनरुत्थान को उत्सव के रूप में मनाते है। परन्तु ईस्टर को चिह्नित करती कुछ नयी परंपराएं भी हैं जो बहुत लोकप्रिय हैं - जैसे ईस्टर अंडे(Easter eggs), ईस्टर बनी(Easter bunny) और चॉकलेट(Chocolate)। ईस्टर बनी के रूप में जानें जाने वाले लंबे कान व कोमल पूंछ वाले प्राणी के बारे में बाइबल में कोई कहानी नहीं मिलती और यह स्पष्ट है कि असली खरगोश निश्चित रूप से अंडे नहीं देते हैं। फिर ये प्रथा कैसे बनी ?
मूल रूप से ईस्टर सप्ताह के दौरान चर्च के द्वारा अंडे खाने की अनुमति नहीं होती। इसलिए इस सप्ताह मे बने अंडो को बचाया जाता था और उन्हें पवित्र सप्ताह के अंडे के रूप में सजाया जाता था, जो पहले समय मे बच्चों को उपहार के रूप में दिए जाते थे। विक्टोरियन(Victorian) लोगों ने फिर इन्हें गत्ते से बने अंडो के रूप मे ईस्टर उपहार बनाके इस परंपरा को अपनाया जो वक़्त के साथ तत्कालीन त्योहार के रूप में प्रचलित हो गया है।
कुछ कथाए ये भी बताती है कि त्युटोनिक(Teutonic) देवी इओस्टर(Eostre) जो वसंत और प्रजनन की देवी मानी जाती है उनका प्रतीक उच्च प्रजनन दर के कारण ख़रगोश को माना गया। खरगोश चंद्रमा का भी प्रतीक है, जो ईस्टर में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। परंपरागत रूप से ईस्टर के दौरान, बच्चे टोपी या कागज की टोकरियों में खरगोशों के लिए घोंसले बनाते थे और खरगोशों को खोजने के लिए बाहर रख देते थे। रंगीन अंडों से भरे घोंसले आज भी इस भावना को जीवित रखते है।
भारत मे सबसे भव्य ईस्टर उत्सव गोवा में आयोजित किए जाते हैं, जहां पणजी के ‘आर लेडी ऑफ द इमैक्यूलेट कॉन्सेप्शन चर्च’(Our lady of the Immaculate Conception Church) में ‘वे ऑफ द क्रॉस’(Way of the Cross) समारोह किया जाता है। समारोह के दौरान मसीह के चित्र के साथ लकड़ी से बने क्रॉस को प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें सैकड़ों भक्त उपस्थित होते हैं। वही तमिलनाडु मे, भक्त प्रार्थना करने के लिए चेन्नई के ‘सेक्रेड हार्ट चर्च’(Sacred Heart Church) में इकट्ठा होते हैं। ईस्टर पर कोच्चि और मिजोरम में मेला आयोजित किया जाता है और अधिकांश भोजनालयों में विशेष ईस्टर रविवार को भोजन मिलता है।
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