नवरात्री हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें माँ दुर्गा की पूजा की जाती है तथा नवरात्री का अर्थ नौ रातें होता है, इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि देवी दुर्गा ने इस समय महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए अहंकार और बुराई पर, धर्म की विजय के प्रतीक के रूप मे नवरात्री मनाई जाती है।
1. पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है: प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है। देवी दुर्गा का यह रूप ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सामूहिक शक्ति का अवतार माना जाता है। इस अवतार में देवी को शिव की पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
2. शांति और समृद्धि के लिए दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी को समर्पित है: दूसरा दिन माता ब्रहमचारिणी की पूजा का होता है। माता के इस रूप की अराधना करने से सुख, शांति, समृद्धि, करूणा तथा मुक्ति या मोक्ष के मार्ग की प्राप्ति होती है।
3. चांद की तरह चमकता मां चंद्रघंटा का स्वरूप: तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। कहा जाता है की यह देवी सुंदरता और दया का प्रतिनिधित्व करती है और जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करती है।
4. चौथा दिन है माता कूष्मांडा को समर्पित: चौथा दिन होता है देवी कूष्मांडा के पूजन का। ऐसा कहा जाता है कि माता के इस रूप की हँसी के माध्यम से ब्रहमांड की शुरुआत हुई थी। देवी के इस अवतार को ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है।
5. नवदुर्गा का पाचवां दिन समर्पित है स्कंदमाता को: पांचवे दिन देवी के इसी रूप की पूजा होती है। कार्तिकेय (जिन्हें राक्षसों के खिलाफ युद्ध में देवताओं ने अपने सेनापति के रूप में चुना था) का नाम स्कंद कुमार भी है और इन्हीं की जननी को स्कंदमाता कहा जाता है। यह देवी एक माँ की भेद्यता का प्रतिनिधित्व करती है जो अपने बच्चे की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर किसी से भी लड़ सकती है।
6. नवरात्र का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है: छठा दिन देवी के इस रूप की पूजा की जाती है। देवी के इस रूप को कात्यायन ऋषि ने अपनी घोर तपस्या के द्वारा अवतरित कराया था तथा देवी अपने इस रूप में साहस का प्रतिनिधित्व करती है।
7. काल का नाश करनेवाली मां कालरात्रि: सातवें दिन माता कालरात्री की पूजा जाती है। यह देवी का बहुत ही भयानक रूप है, तथा यह देवी दुर्गा का सबसे उग्र रूप है। माना जाता है कि देवी के इस रूप में पूजन से सभी विध्वंसक शक्तियों का नाश होता है।
8. आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है: आठवें दिन माता गौरी की पूजा का विधान है। यह माता बुद्धि, शांति, समृद्धि और स्थिरता का प्रतिनिधित्व करती है।
9. सर्व सिद्धि देने वाली मानी जाती हैं मां सिद्धिदात्री: नौवें दिन देवी सिध्दीदात्री की पूजा की जाती है तथा इन्ही के पूजन से भक्तो को समस्त शक्ति और सिद्धि प्राप्त होती है। यह देवी मन की आनंदमय स्थिति का प्रतिनिधित्व करती है।
वैसे तो नवरात्री का उत्सव पूरे भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है जिसमें अवध नगरी भी इसमें पीछे नहीं है। यहां नवरात्रि की पूजा की समृद्ध परंपरा 100 साल से अधिक समय से चली आ रही है और यहां सबसे प्रसिद्ध पूजा है पंडालों में होने वाली दुर्गा पूजा, जिसका सबसे भव्य आयोजन बंगाली क्लब एवं युवक समिति, लखनऊ द्वारा किया जाता है। राजधानी के सबसे पुराने दुर्गा पंडालों में शामिल बंगाली क्लब एवं युवा समिति का पंडाल है। यह क्लब 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत है और इसकी स्थापना 29 सितंबर 1892 में की गई थी। इस क्लब का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य सांस्कृतिक और सामाजिक सेवाओं को प्रदान करना है। इसके अलावा इस क्लब को वर्ष 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा सम्मानित किये जाने का सौभाग्य भी प्राप्त है। श्री अतुल कृष्ण सिन्हा द्वारा 1914 में पहली बार इस क्लब में दुर्गा पूजा शुरू की गई थी। यह उत्सव बहुत ही भव्य था और आज तक इसकी भव्यता में कोई कमी नहीं आई है। आज भी इसमें विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पारंपरिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस बंगाली क्लब में आयोजित होने वाली पूजा में सभी धर्म के लोग विशेष रूप से मुस्लिम धर्म के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
1. सहारा में दुर्गा पूजा
सहारा में बने माता के भव्य पंडाल को पश्चिम बंगाल या बांग्लादेश के कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है। यह पूरे उत्तर भारत में सबसे शानदार पूजा पंडाल है. यहाँ दुर्गा पूजा सहारा वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित की जाती है।
2. लाटूश रोड (Latouche Road) पूजा संस
लाटूश रोड में सर्वजननी दुर्गा पूजा समिति शहर की सबसे पुरानी पूजा समितियों में से एक है। इसकी नींव 1942 में रखी गई थी और 75 वर्षों से, लखनऊ में इस दुर्गा पूजा पंडाल ने अपनी विशिष्ट पहचान बना रखी है। यहां दुर्गा पूजा पारंपरिक तरीके से मनायी जाती है।
3. मित्रों संघ समिति, मॉडल हाउस पार्क
मित्रों संघ समिति 1975 से मॉडल हाउस पार्क में दुर्गा पूजा मना रही है। यहां पर पुरुषों और महिलाओं की पारंपरिक बंगाली वेशभूषा तथा कार्यक्रम का पूरा सेट मिनी बंगाल की तरह लगता है. पंडाल में ढाक, ढोल, बाँसुरी, काशी, डोगर, और काशा जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाने के लिए पश्चिम बंगाल के कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। साथ ही, लखनऊ में इस दुर्गा पूजा पंडाल में देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए संध्या आरती का आयोजन किया जाता है।
4. श्री श्री दुर्गा पूजा समिति, आशियाना
आशियाना में 1999 में स्थापित, दुर्गा पूजा समिति एक पारंपरिक एहसास के साथ भव्य पंडालों के लिए की जानी जाती है। नवरात्रि के छठे दिन उत्सव की शुरुआत देवी दुर्गा की मूर्ति के अनावरण से होती है और पूजा विजयादशमी पर विसर्जन ’समारोह के साथ समाप्त होती है।
5. बंगा भारती दुर्गा पूजो पार्क, इंदिरानगर
बंग भारती दुर्गा पूजा समिति लखनऊ की सबसे प्रमुख पूजा समितियों में से एक है। यह 1978 में स्थापित की गयी थी और तब से सफलतापूर्वक इंदिरानगर के भूतनाथ मार्केट में दुर्गा पूजा समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
6. ट्रांस गोमती दुर्गा पूजा, अलीगंज
ट्रांस गोमती दुर्गा पूजा लखनऊ में सबसे अच्छी दुर्गा पूजा पंडालों में से एक है। यह पूजा पंडाल पर्यावरण के अनुकूल पूजा का आयोजन करने के लिए जाना जाता है। पिछले साल पूजा समिति ने पर्यावरण के अनुकूल मूर्ति स्थापित की थी, ट्रांस गोमती दुर्गा पूजा पंडाल के दर्शन करने से आप निश्चित रूप से उत्सव और पवित्र वातावरण से सराबोर हो जाएंगे।
7. श्री रामकृष्ण मठ दुर्गा पूजा
श्री रामकृष्ण मठ लखनऊ में सबसे शांत मंदिरों में से एक है। मठ परिसर में वर्ष भर कई धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, और दुर्गा पूजा उनमें से एक है। श्री रामकृष्ण मठ निश्चित रूप से दुर्गा महोत्सव की शांति यात्रा को अनुभव करने का स्थान है।संदर्भ:
1. https://www.thehindu.com/2003/10/02/stories/2003100201970300.htm© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.