विश्व भर में करी (curry) को दक्षिण एशिया के व्यंजन के रूप में जाना जाता है। जबकि वास्तव में यदि देखा जाए तो दक्षिण एशिया (भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान श्रीलंका आदि) में इस नाम का कोई व्यंजन नहीं है। करी शब्द मूलतः पश्चिमी देशों से आया है, इतिहास में कई भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन चले गये तथा साथ में अपने स्थानीय व्यंजनों को ले गये, इनके मसालेदार भोजन को ब्रिटेन में करी नाम दिया गया। तभी से पश्चिमी जगत में दक्षिण एशिया के मसालेदार व्यंजनों के लिए करी शब्द प्रसिद्ध हो गया।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस शब्द की व्युत्पत्ति 13वीं शताब्दी में अंग्रेजी भाषा के क्यूरी (curry याCurrey) शब्द से हुयी है। 1300 के दशक में राजा रिचर्ड द्वितीय ने 180 से अधिक रसोईयों तथा दार्शनिकों को बुलाया तथा इनसे 'द फॉर्म ऑफ क्यूरी’ (The Forme of Cury) नामक व्यंजनों की पुस्तक तैयार करवायी। 1390 में तैयार इस पुस्तक में लगभग 196 व्यंजन थे। इस पुस्तक में कहीं पर भी करी नाम का कोई भारतीय व्यंजन नहीं था।
हालांकि सभी इतिहासकार इस तथ्य से सहमत नहीं हैं, कुछ इतिहाकारों का दावा है कि करी (curry) शब्द की व्युत्पत्ति तमिल भाषा के करी (Kari) शब्द से हुयी है, जो दक्षिण भारत में मसालों तथा विभिन्न सामग्रियों से तैयार किया गया व्यंजन है। यह भी संभावना है कि यह शब्द भारत में ब्रिटिश राज के दौरान अपनाया गया था। ब्रिटिश कर्मियों ने भारत के मसालेदार खाद्य पदार्थों के लिए करी शब्द का प्रयोग किया। ब्रिटेन में करी बनाने की विधि का विवरण सर्वप्रथम 1747 में लेखक हन्नाह ग्लासे (Hannah Glasse) ने अपनी पुस्तक 'द आर्ट ऑफ़ कूकरी, मेड प्लैन एंड इजी'( The Art Of Cookery,Made Plain And Easy) में किया है। 18वी और 19वी शताब्दी तक इस पुस्तक के बीस संस्करण छपे जिनमें कई नई सामाग्रियों को जोड़ा गया। ब्रिटेन में सबसे पहला ‘करी’ हाउस मोहम्मद नामक एक व्यक्ति ने खोला जो कि पूर्वी भारत के बिहार में जन्मे (1759) थे और परिस्थितिवश ब्रिटेन पहुंच गये। जिस दौरान यह ब्रिटेन पहुंचे उस समय तक यहां भारतीय खाना काफी लोकप्रिय हो गया था। अतः यहां इनका भारतीय व्यंजन का व्यवसाय अच्छा चल गया।
करी शब्द भले ब्रिटिश मूल का हो किंतु उसका आधार दक्षिण एशिया में विशेष रूप से भारत में भी उपस्थित है। उत्तर भारत में विशेष रूप से सूखे भोजन बनाये जाते हैं। पंजाब में खाने के तरल रूप को ‘तरी’ कहा जाता है। ‘तरी’ फारसी शब्द ‘तार’ से लिया गया जो कि हिन्दी उर्दू शब्द है। कुछ लोग करी के लिए इसी शब्द को आधार मानते हैं। यहां सब्जियां सामान्यतः सूखी बनायी जाती है, चिकन , दाल, पनीर, छोले इत्यादि में पानी का उपयोग किया जाता है।यह सभी तरी के रूप हैं। इन सभी व्यंजनों में मसाले, प्याज, जीरा, लहसुन, अदरक इत्यादि का अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। उर्दू में करी का वास्तविक नाम सालन(Salan) है। करी शब्द की उत्पत्ति जहां भी हुयी हो किंतु आज यह शब्द भारत में काफी प्रसिद्ध हो गया है, यहां क्षेत्रानुसार विभिन्न प्रकार की करी बनायी जाती है। जिसे भिन्न भिन्न नाम से जाना जाता है। अक्सर हम करी और कढ़ी को एक ही मान लेते हैं किंतु वास्तव में इन दोनों के मध्य भिन्नता है। दोनों की मूल संरचना के साथ साथ पकाने की प्रक्रिया में भी भिन्नता होती है।
कढ़ी बनाने की विधि:
1. सबसे पहले, एक बड़े मिक्सिंग बाउल में 1 कप खट्टा दही और एक चौथाई कप बेसन लें।
2. इसमें आधा चम्मच हल्दी मिर्च पाउडर डालें।
3. इस पूरे मिश्रण में तीन कप पानी डालकर अच्छे से मिलाएं
4. धीमी आंच पर बड़ी कड़ाही में इस मिश्रण को डालें।
5. आंच धीमी रखते हुए, 5 मिनट तक या मिश्रण में उबाल आने तक हिलाते रहें। वरना दही जम सकती है।
6. फिर कढ़ी में हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक डालकर उबालें।
7. मध्यम आंच पर 15-20 मिनट के लिए कदचि को लगातार चलाते रहें।
8. अच्छी तरह से उबलने के बाद, कढ़ी से कच्चेपन की गंध दूर हो जाती है तथा यह गाढ़ी हो जाती है।
9. अब 2 टेबल स्पून तेल गर्म करके तड़का तैयार करें।
10. एक बार जब तेल गर्म हो जाए तो इसमें 1 टीस्पून सरसों, आधा टीस्पून जीरा, एक चौथाई टीस्पून मेथी, चुटकी भर हिंग, कुछ करी पत्ते और 2 सूखी लाल मिर्च डालें। साथ ही इसमें एक चौथाई टेबलस्पून हल्दी और मिर्च मिलाएं तथा तड़का तैयार होने तक इसे हिलाते रहें।
11. अब कढ़ी के ऊपर तड़का डालें साथ ही इसमें धनिया पत्ता भी डालें ।
करी सॅास (sauce) बनाने की विधि
सामग्री:
1. दो प्याज
2. चार कली लहसून
3. 1 से 2 लाल शिमला मिर्च
4. बारिक कटा हुआ धनिया
विधि:
•काटी हुई समाग्री को एक बड़े बरतन में मध्यम-आँच पर जैतून के तेल में डालें और लगभग 20 मिनट तक या सुनहरा होने तक पकाएं।
•1 बड़ा चम्मच पिसा हुआ धनिया, 2 चम्मच हल्दी और 1 चम्मच लाल मिर्च और गरम मसाला डालें और इसे 2 मिनट तक पकाएं।
•6 बड़े चम्मच पिसे हुए बादाम डालें और टोस्ट करें।
•टमाटर के पेस्ट का 2x 400 ग्राम का डिब्बा, 1 कार्बनिक चिकन स्टॉक क्यूब(Chicken Stock cube) के टुकड़े और 300 मिलीलीटर उबलते पानी में डालें। 5 मिनट के लिए उबाल दें।
•2x 400 ग्राम नारियल के दूध को डालकर हिलाए और आखिर में 40 मिनट के लिए उबालें तथा समय समय पर इसे हिलाते रहें।
उपरोक्त करी बनाने की विधि ब्रिटेन के लोकप्रिय शेफ जैमी ओलिवर (jamie oliver) द्वारा वर्णित है।
करी के फायदे
पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है।
शरीर में शीतलता को बनाऐ रखती है।
सिरदर्द को रोकती है।
वजन कम करने में लाभदायक होता है।
त्वचा को साफ करने में सहायक होती है।
फ्लू से बचाता है।
हृदय की रक्षा करता है।
आंखों के लिए लाभदायक है।
संदर्भ:
1.https://www.desiblitz.com/content/why-curry-is-not-indian
2.https://hebbarskitchen.com/dahi-kadhi-kadhi-chawal-rajasthani-kadhi/
3.https://www.boldsky.com/health/nutrition/2015/eleven-health-benefits-of-sol-kadhi-060138.html
4.http://www.hub-uk.com/interesting/curry-history.htm
5.https://www.quora.com/What-is-the-difference-between-kadhi-and-curry
6.https://www.jamieoliver.com/features/how-to-make-curry-sauce/
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