जहाँ आज हम इंटरनेट के माध्यम से दूर-दराज में स्थित अपनों से बात कर सकते हैं वहीं इंटरनेट में हमें सूचना, मनोरंजन और ज्ञान आसानी से मिल जाने के कारण कई लोगों में इसकी लत लगती जा रही है। यदि आपको भी लगता है कि इंटरनेट आपकी प्रतिदिन की जिंदगी में हावी हो रहा है, तो इसकी पुष्टि स्वयं से निम्न प्रश्न पुछ कर करें: क्या आप इंटरनेट पर वीडियो गेम अधिक मात्रा में खेलते हैं? क्या आप अनिवार्य रूप से ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं? क्या आप फेसबुक खोले बिना रह सकते हैं? क्या आपका अत्याधिक कंप्यूटर में लगे रहना आपके दैनिक जीवन में हस्तक्षेप कर रहा है? यदि इन प्रश्नों में से किसी भी प्रश्न का उत्तर हाँ है तो आप इंटरनेट व्यसन विकार या इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर से पीड़ित हो सकते हैं।
अन्य विकारों की तरह इंटरनेट व्यसन विकार होने का कोई सटीक कारण इंगित नहीं किया जा सकता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि इंटरनेट व्यसन विकार से पीड़ित की मानसिक स्थिति एक ड्रग्स या अल्कोहल व्यसन के समान होती है। कुछ अध्ययनों में पाया गया कि इंटरनेट व्यसन विकार में मस्तिष्क की संरचना में कुछ बदलाव आता है, विशेष रूप से इसमें प्रीफ्रंटल मस्तिष्क के क्षेत्रों में ग्रे और सफेद पदार्थ की मात्रा प्रभावित होती है। मस्तिष्क का यह हिस्सा याद रखने वाले विवरण, ध्यान, योजना और कार्यों को प्राथमिकता देता है।
इंटरनेट व्यसन विकार के संकेत और लक्षण शारीरिक और भावनात्मक दोनों अभिव्यक्तियों में दिखाई देते हैं।
इंटरनेट व्यसन विकार के कुछ भावनात्मक लक्षण निम्न हैं: अवसाद; बेईमानी; अपराधबोध की भावना; चिंता; कंप्यूटर का उपयोग करते समय उत्साह की भावनाएं आना; अनुसूचियों को प्राथमिकता देने या रखने में असमर्थता होना; अलगाव; समय का कोई ज्ञान ना होना; काम को टालना; व्याकुल होना; भाव बदलना; डर लगना; अकेलापन महसूस करना; सामान्य कार्यों को करने में ऊबना; टालमटोल करना।
वहीं इंटरनेट व्यसन विकार के कुछ शारीरिक लक्षण निम्न हैं:
पीठ में दर्द होना; कार्पल टनल सिंड्रोम होना; सिर दर्द होना; अनिद्रा रोग होना; पोषण में कमी होना; व्यक्तिगत स्वच्छता में कमी होना; गर्दन में दर्द होना; सूखी आंखें और अन्य दृष्टि समस्याएं होना; वजन बढ़ना या घटना।
भारतीय किशोरों में इंटरनेट की लत और मनोचिकित्सा के साथ इसके जुड़ाव के प्रसार पर एक अध्ययन के अनुसार 1000 छात्रों ने इस अध्ययन में भाग लिया था, जिसमें 681 (68.9%) महिलाएं और 306 (31.1%) पुरुषों ने भाग लिया था। सभी छात्रों की औसत आयु 16.82 थी। अध्ययन में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इंटरनेट की लत ज्यादा देखने को मिली थी। ज्यादातर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा सोशल नेटवर्किंग, शैक्षणिक उद्देश्यों, चैटिंग, ईमेल, गेमिंग और मीडिया फ़ाइलों का उपयोग किया जाता था। वहीं व्यसन से पीड़ितों की सोशल नेटवर्किंग, चैटिंग और मीडिया फ़ाइलों को डाउनलोड करने में अधिक रुचि सामने आई। ग्रसितों द्वारा अन्य उपयोगकर्ताओं की तुलना में ज्यादातर शाम और रात में इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता था, जबकि अन्य उपयोगकर्ता सुबह और दोपहर में भी इसका इस्तेमाल करते थे। ग्रसितों द्वारा इंटरनेट का उपयोग करने का कोई निश्चित समय नहीं था।
इंटरनेट व्यसन विकार जहाँ तेजी से फेल रहा है, वहीं इसके समाधान के लिए कई क्लीनिक भी स्थापित किये गए हैं। इसके उपचार के लिए पहले आपका यह पता लगाना आवश्यक है कि आप इस विकार से ग्रस्त भी हैं या नहीं, क्योंकि इस विकार का पता लगाना काफी मुश्किल है।
इंटरनेट व्यसन विकार के कुछ सामान्य मनोवैज्ञानिक उपचार निम्न हैं:
व्यक्तिगत, समूह, या पारिवारिक थेरेपी; व्यवहार में सुधार लाना; द्वंद्वात्मक व्यवहार थेरेपी; संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी; इक्वाइन थेरेपी; कला थेरेपी; मनोरंजन थेरेपी; रिएलिटी थेरेपी।
लखनऊ में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के व्यसन युवाओं को काउंसलिंग प्रदान करने के लिए विशेष क्लीनिक “किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी” द्वारा स्थापित किया जाएगा। विश्वविद्यालय का मनोरोग विभाग द्वारा इस क्लीनिक को चलाया जाएगा। इस क्लीनिक में युवाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का कम इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
संदर्भ :-
1. https://www.psycom.net/iadcriteria.html
2. https://bit.ly/2VqZHzn
3. https://bit.ly/2Vt9JQH
4. https://bit.ly/2EDK8yM
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