गुणों से भरपुर है सिंघाड़ा

लखनऊ

 26-02-2019 11:19 AM
साग-सब्जियाँ

नवरात्रों और दिवाली में अक्सर मिलने वाला फल सिंघाड़ा भारत में उगाया जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण लघु फलों में से एक है। इसका नवरात्रों और दिवाली में आने के पीछे का कारण महज एक संयोग है, इसकी कटाई ही सितंबर से नवंबर के महीने में होती है। भारत में 3000 साल पहले उद्धृत हुआ सिंघाड़ा मुख्य रूप से भारत के पूरे उत्तर और पूर्वी हिस्सों में: उत्तर प्रदेश, बिहार पश्चिम बंगाल और झारखंड में उगाया जाता है।

यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में, पानी में उगाए जाते हैं। यह धीमी गति से बहने वाले और स्वच्छ पानी में उगते हैं। जलवायु में परिवर्तन, जल निकायों की पोषक सामग्री में उतार-चढ़ाव की वजह से यह फल विलुप्त होने के करीब है। सिंघाड़े को मुख्य रूप से स्थानीयकृत स्थलाकृतिक गड्ढों के अलावा सड़क के किनारे वाले गड्ढों या रेलवे ट्रैकसाइड वाले गड्ढों में उगाया जाता है। वहीं भारत में 8 मिलियन हेक्टेयर के निचले स्तर वाली भूमि पारिस्थितिकी तंत्र में मौजुद है, जिनमें से पूर्वी भारत में 5.8 मिलियन हेक्टेयर उपलब्ध है जो मुख्य रूप से खरीफ मौसम के दौरान इस सिंघाड़े की खेती के लिए एक आदर्श स्थिति प्रदान करता है।

सिंघाड़े को आमतौर पर कच्चा या उबालकर खाया जाता है। वहीं धूप में सूखाकर इसका आटा भी बनाया जाता है। इसके आटे का उपयोग त्योहारों में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है और व्रत के दौरान भी इसका सेवन किया जाता है। क्योंकि व्रत के समय अनाज का सेवन नहीं किया जाता है तो इसलिए सिंघाड़े के आटे को अनाज के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है। सिंघाड़े का सिर्फ सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है, इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। आयुर्वेद में इसे एक अत्यंत पोषक फल माना गया है। यह निष्फलता, क्लीवता, खांसी, कष्टदायक लघुशंका , सामान्यीकृत कमजोरी, रक्तस्राव, गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव और थकान को ठीक कर सकता है।

लगभग 100 ग्राम सिंघाड़े में 584 मिलीग्राम पोटेशियम, 14 मिलीग्राम सोडियम होता है और इसमें बहुत कम वसा और शून्य कोलेस्ट्रॉल होता है। यह विटामिन बी6, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन सी से समृद्ध होता है।

सिंघाड़े खाने के कुछ फायदे निम्न हैं:
1. रक्त शोधक :- प्राकृतिक रूप से रक्त को साफ करना आवश्यक होता है, वहीं सिंघाड़ा एक उत्कृष्ट प्राकृतिक रक्त शोधक के रूप में कार्य करता है। सिंघाड़े में गले की खराश खांसी, श्वसन संक्रमण और पाचन समस्याओं जैसी विभिन्न समस्याओं को ठीक करने की क्षमता है।
2. एंटी-ऑक्सीडेंट गुण :- सिंघाड़े में मौजूद विटामिन सी जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट वायरल और बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
3. अतिसार और पेचिश का इलाज करता है :- सिंघाड़े आसानी से पच जाते हैं और आहार फाइबर की इष्टतम मात्रा को प्रदान करता है। साथ ही यह अतिसार के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
4. खून की कमी :- विटामिन और आयरन से भरपूर भोजन खाने से खून की कमी को आसानी से ठीक किया जा सकता है।
5. हड्डी को मजबूत करता है :- सिंघाड़ा कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। यह न केवल हड्डी को मजबूत करता है, बल्कि दांतों की संरचना को भी सहारा देता है।
6. एंटी-इंफलामेटरी (Anti-inflammatory) :- यह गले में खराश, आम सर्दी को ठीक करने में मदद करता है और त्वचा के संक्रमण, खुजली को भी ठीक करता है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी मदद करता है।
7. महिलाओं के लिए लाभदायक :- सिंघाड़ा महिलाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और इसमें मौजूद मिनरल्स हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
8. गर्भावस्था में बहुआयामी स्वास्थ्य लाभ :- यह गर्भावस्था को स्थिर करने में मदद करता है और साथ ही गर्भपात और समय पूर्व जन्म को रोकने में भी मदद करता है। इसका उपयोग लड्डू और पंजिरी बनाने में किया जाता है, जो गर्भावस्था में फायदेमंद होते हैं।
9. लस मुक्त :- सूखे और पिसे हुए बीज अनाज के लिए एक बेहतरीन विकल्प के रूप में काम करते हैं। इसलिए लस से एलर्जी होने वाले लोग इसका सेवन आसानी से कर सकते हैं।
10. वजन प्रबंधन :- सिंघाड़े में वसा (Fat) कम होता है और इनमें ऊर्जा प्रचुर रूप से होती है।

सिंघाड़े का सेवन करते समय कुछ सावधानियों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि इसके अधिक सेवन से पेट में दर्द और सूजन हो सकती है और कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कब्ज को बढ़ा सकता है।

पिछले कुछ वर्षों से सिंघाड़े का उत्पादन घट गया है। दस या पंद्रह साल पहले, गाजियाबाद के पास हिंडन नदी में इसे उगाया जाता था, लेकिन बढ़ते जल प्रदूषण के कारण इनके विकास में बाधा आने लगी। इस क्षेत्र के विक्रेता अब उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में इसका उत्पादन करते हैं, जो हिंडन से 20 किलोमीटर दूर है। लखनऊ के किसान भी गोमती नदी और उसके पास की झीलों में इसका उत्पादन कर सकते हैं।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2T0LVXA
2. http://theindianvegan.blogspot.com/2012/10/all-about-singhara-in-india.html
3. http://www.iiwm.res.in/pdf/Bulletin_37.pdf



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id