पुस्तक 'कोर्टेसन्स ऑफ़ लखनऊ' का संक्षिप्त वर्णन

लखनऊ

 23-02-2019 11:45 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

लखनऊ की प्रसिद्ध नृत्यांगना उमराव जान के बारे में तो हम सब ने सुना ही है, लेकिन औपनिवेशिक काल के कई अन्य नृत्यांगनाओं के बारे में हम इतिहासकार वीणा तलवार ओल्डेनबर्ग के शोध से पता लगा सकते हैं। वीणा तलवार ने औपनिवेशिक काल में लखनऊ शहर के नवाबों पर पड़े प्रभाव को दर्शाने में अग्रणी भुमिका निभाई। उनकी पुस्तक, द मेकिंग ऑफ़ कोलोनियल लखनऊ में 1857 में हुए ब्रिटिश बलों के खिलाफ विद्रोहियों द्वारा किए गए घेराबंदी के बाद की स्थिति के बारे में वीणा तलवार द्वारा किए गए गहन अध्ययन के बारे में दर्शाया गया है। साथ ही उन्होंने कपड़े, शासन और शहर की सांस्कृतिक नैतिकता में परिवर्तन के बारे में भी लिखा है।

वहीं उनकी कोर्टेसन्स ऑफ़ लखनऊ (Courtesans of Lucknow) को कई संग्रहों में शामिल किया गया। इस पुस्तक का एक संक्षिप्त सारांश कुछ इस प्रकार है, जब लेखक नगर निगम के कक्ष में गई तो उन्होंने देखा कि 1858-77 के नागरिक करदाताओं की सूची और संबंधित सरकारी पत्राचार को वहाँ संरक्षित रखा हुआ है। उसमें नृत्यांगनाओं को "नाचने और गाने वाली लड़कियों" की व्यवसायिक श्रेणी के तहत वर्गीकृत किया गया था। कर अभिलेख की सूची में महिलाओं के नाम का मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, लेकिन उसमें उल्लेखनीय यह था कि वे सबसे उच्च कर देती थी और उनमें एक व्यक्तिगत की आय भी सबसे अधिक थी।

औपनिवेशिक काल की नृत्यांगनाओं के नाम ब्रिटिशों द्वारा लखनऊ की घेराबंदी में उनकी सिद्ध भागीदारी और 1857 में ब्रिटिश शासन के विद्रोह के लिए जब्त की गई संपत्ति (घर, बाग और विलासिता वस्तुओं) की सूची में भी था। कुछ बीस पृष्ठों की एक दूसरी सूची में कैसर बाग की महिलाओं के कमरे से जब्त किए गए युद्ध में लूटे गए समान का अभिलेख भी मिलता है। इस लूट में पाए गए समानों का मूल्य लगभग 40 लाख था।

इन नृत्यांगनाओं का उल्लेख अन्य ब्रिटिश औपनिवेशिक अभिलेखों में भी मिलता है। ये अभिलेख गंभीर चिकित्सा संकट के संबंध में लिखे गए आधिकारिक ज्ञापनों के विषय में थे। इसमें बताया गया है कि चिकित्सा संकट के कारण यूरोपीय सैनिकों की मृत्यु दर बड़ने लगी। इस मृत्यु दर में बढ़ोतरी को लेकर यूरोपीयों ने स्वच्छता की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया। और उन्होंने लखनऊ की नृत्यांगनाओं और तवायफों के साथ-साथ भारत में अन्य 110 छावनियों का नियमन, निरीक्षण और नियंत्रण को अनिवार्य कर दिया था।


1856 में अवध साम्राज्य को ब्रिटिश द्वारा हड़पे जाने के बाद तथा उसके राजा और कई दरबारियों के निर्वासन के बाद नृत्यांगनाओं के लिए शाही सहायता बंद हो गई। वहीं संक्रामक रोगों के नियमों को लागू करने और विद्रोहियों में भारी जुर्माना और दंड लगाने से नृत्यांगनाओं को सामान्य तवायफ के रूप में जीवन व्यतीत करना पड़ गया। जो महिलाएं राजाओं और दरबारियों के साथ शान और शौकत में रहती थी उन्हें ब्रिटिशों द्वारा "नाचने और गाने वाली लड़कियों" की सूची में वर्गीकृत कर दिया गया।

लेखक ने पुस्तक में बताया है कि लखनऊ में तवायफों की दुनिया वहाँ के समाज की जटिलता के समान ही थी। वहाँ की तवायफएं आम तौर पर एक चौधरायन (मुख्य नृत्यांगना) के समक्ष काम करती थीं। ये चौधरायन अपने यहाँ काम करने वाली लड़कियों को आमतौर पर अपहरण करके लाती थी और ये पुरुष अपराधियों के साथ जुड़ी रहती थी। ये अपराधी गांवों और छोटे शहरों से छोटी लड़कियों को अगवा कर इन चौधरायनों को बेच देते थे। लखनऊ के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार मिर्जा हादी रुसवा ने अपनी उमराव जान अदा की पुस्तक में भी अपहरण कर बेचने से संबंधित कहानी के बारे में बताया था।

लेकिन पुस्तक में यह भी बताया गया है कि अधिकांश मामलों में अपहरण की वजह से कोई तवायफ नहीं बनती थी, वे या तो घर के हालातों की वजह से, किशोरावस्था में विधवा हो जाने की वजह से या माता-पिता के द्वारा बेचे जाने की वजह से तवायफ बनी थी। कई महिलाओं को इतनी दयनीय परिस्थितियों से गुजरना पड़ता था कि उनके पास वहाँ से बच निकने का कोई रास्ता ही नहीं होता था। तो वहीं कई महिलाएं वहाँ रह कर खुश रहती थी। अधिकांश महिलाओं ने बताया कि उन्होंने उस नरक से भाग कर काफी पेशेवर कौशल सीखा और स्वयं के पैसे कमाने से उनका आत्म-सम्मान विकसित हुआ।

संदर्भ :-
1. http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00urdu/umraojan/txt_veena_oldenburg.html
2. https://bit.ly/2So5t33
3. http://lucknowliteraryfestival.com/team/veena-talwar-oldenburg/



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id