अवध की चित्रकला का भारतीय चित्रकारी जगत में विशेष स्थान रहा है, जिसमें हिन्दू मुस्लिम दोनों की सहभागिता देखने को मिलती है। अवध चित्रकला में फारसी मुगल हिन्दू और यूरोपीय चित्रकला का संयुक्त प्रभाव देखने को मिलता है, यह दो शैलियों में विकसित हुयी, प्रथम चरण (1750-1800) में इसमें मुगल और राजपूत परंपराओं को चित्रित किया गया था, द्वीतीय चरण में इसमें यूरोपीय चित्रकला का प्रभाव देखने को मिलता है, इसकी नींव अवध के नवाब शुजा-उद-दौला द्वारा रखी गयी। अवध के नवाब आसफ-उद-दौला का चित्रों से विशेष लगाव था। इनके द्वारा चित्रकारों को पुरस्कृत किया जाता था तथा इनके पास मुगल चित्रों का एक दुर्लभ संग्रह था। अवध के अन्य नवाब जैसे-सफदरजंग, को भी चित्रकारी से प्रेम था इनके द्वारा भी मुगल काल के चित्रों का विस्तृत संग्रह किया गया।
नवाबी शासन के दौरान तैयार किये गये चित्रों में तत्कालीन समाज के चित्र, नवाबों की जीवन शैली एवं उनके दरबार, ऐतिहासिक घटनाओं, हिंदू पौराणिक कथाओं, कृष्ण के लीला, सामाजिक घटनाओं, इत्यादि को चित्रित किया गया था, जिसमें अवध के चित्रकारों की कल्पनाशीलता, रचनात्मकता एवं रंगों के प्रति लगाव साफ झलकता है। नवाबी दौर में हिन्दू मुस्लिम चित्रकारी का यह समिश्रण नवाबों की धर्म के प्रति व्यापक मानसिकता को दर्शाता है। अवध के चित्रकारों ने चित्रों की एक व्यापक श्रृंखला तैयार की किंतु फिर भी ये मुगल चित्रकला की बराबरी नहीं कर सके। अवध चित्रकारों में हिन्दू मुस्लीम दोनों शामिल थे। हिन्दू चित्रकारी को मुगल चित्रों में भी जगह मिली थीं, किंतु चित्रकारी में इनका स्थान अधिक व्यापक था, जिसमें हिंदू चित्रकार भी शामिल थे।
आसफ-उद-दौला के बाद इस शैली के विकास हेतु कोई विशेष कदम नहीं उठाये गये। दिवंगत राजा और नवाबों ने अपने दरबार में सिमित चित्रकार रखे थे, जिनमें से अधिकांश यूरोपियन थे, जिन्होंने अपने तरीके से कार्य किया। जिस कारण आसफ-उद-दौला के बाद उनके दरबार में किसी निश्चित शैली पर चित्रकारी नहीं की गयी तथा 19वीं सदी तक इस शैली का पतन होना प्रारंभ हो गया। अवध के शासक कला और संस्कृति के संरक्षक थे, उन्हें मुगलों की समृद्ध परंपराएं विरासत में मिलीं, जिसे इन्होंने संजो कर रखा और विकसित भी किया।
इस दौरान तैयार किये गये चित्रों का संग्रह आज भी विभिन्न भारतीय एवं विदेशी संग्रहालयों में किया गया है। जिन्हें दर्शकों द्वारा सराहा जा रहा है। इस्लामिक कला विभाग के स्थायी संग्रह में अवध के दो लघु चित्र संग्रहित किये गये हैं। जिनमें आज भी मध्यकालीन भारतीय समाज का दृश्य दिखता है।
संदर्भ:
1.https://www.metmuseum.org/blogs/ruminations/2015/desiring-landscapes
2.http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/55804/7/07_chapter%202.pdf
3.https://www.tornosindia.com/paintings-in-awadh/
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.