शिक्षा को सिद्धान्‍तों से ऊपर होना चाहिए

लखनऊ

 16-02-2019 11:47 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

शिक्षा प्रमुखतः अनुभवात्‍मक होती है ना कि सैद्धान्तिक किंतु प्रतिस्‍पर्धा के इस दौर में शिक्षा सैद्धान्तिक होती जा रही है। लोगों की यह विचारधारा बन गयी है कि अंत भला तो सब भला आज हर व्‍यक्ति कम समय में अधिक ऊंचाईयों तक पहुंचना चाहता है यदि इसमें वह कामयाब हो जाता है तो इस कामयाबी को हासिल करने में उसने जो भी कदम उठाए वे सभी सही ठहरा दिये जाते हैं। किंतु वास्‍तव में देखा जाए तो एक खराब वृक्ष, खराब फल ही देता है। एक व्‍यक्ति शांति को प्राप्‍त करने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है किंतु इस शांति को प्राप्‍त करने के लिए वह इतना आक्रोशित हो जाता है कि अपने साथ साथ औरों की भी शांति भंग कर देता है।

एक राष्‍ट्र निर्माणकार्यों हेतु लकड़ी प्राप्‍त करने के लिए अपने वनों को काट देता है जिसमें उसे कोई बुराई नहीं दिखाई देती, किंतु वास्‍तव में इसके इस कृत्‍य के दुष्‍परिणाम पारिस्‍थिकीतंत्र को भुगतने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में अक्‍सर कृत्‍य को करने के बाद अंत में परिणामों का परिक्षण किया जाता है। यदि किसी कार्य को करने के परिणाम सही होते हैं तो उसे करने का तरीका भी उचित ठहरा दिया जाता है। यही स्थिति सिद्धातों में भी होती है यदि किसी सिद्धान्‍त के परिणाम सही होते हैं तो उसे स्‍वतः ही उचित ठहरा दिया जाता है। आज की आधुनिक शिक्षा में भी इसका ही अनुसरण किया जा रहा है। आज सिद्धांतो पर ध्‍यान केंद्रित किया जाता है, जिसमें व्‍यवहारिकता पर कम बल दिया जाता है जो आधुनिक शिक्षा की सबसे बड़ी कमजोरी भी बनती जा रही है। आधुनिक शिक्षक किसी भी सिद्धान्‍त को गहनता से समझने की बजाए, उसे व्यावहारिक रूप में सही ठहराने की कोशिश करते हैं।

व्‍यक्ति को मात्र उसकी स्‍कूली शिक्षा के आधार पर आंका जाता है ज‍बकि इतिहास में देखा जाए तो कई ऐसे विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक हुए हैं जिन्‍होंने कभी स्‍कूल से कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की या स्‍कूली शिक्षा के दौरान उनका प्रदर्शन बहुत अच्‍छा नहीं रहा किंतु वे आज भी हम लोगों के लिए आदर्श बने हुए हैं जिनमें आइंस्टीन, एडिसन भी शामिल हैं। एक महान व्‍यक्ति और शिक्षक में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि इनमें से एक वास्‍तविकता पर विश्‍वास करता है तथा दूसरा अपने ज्ञान पर। लोग अकसर सरलता की ओर अकर्षित होते हैं।

एक छात्र की बारह या सोलह वर्ष की शिक्षा उसके वास्‍तविक अनुभव के ज्ञान के लिए पर्याप्‍त या आवश्‍यक नहीं है। यदि व्‍यक्ति यह जान जाए कि उसे जीवन में क्‍या शिक्षा लेनी है तो वह स्‍वयं को सिद्धांतों के अनुसार ढालने की बजाए सिद्धांतों को निर्देशित करने लगता है। विद्यालय में कई बार छात्रों को कुछ रूढि़वादी सिद्धान्‍तों को स्‍वीकार करने के लिए शिक्षक द्वारा बाध्‍य किया जाता है, जबकि वास्‍तविकता भिन्‍न होती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्‍चों का दिमाग खाली स्‍लेट के समान होता है जो पर्यावरण से सिखकर अपने व्‍यक्तित्‍व का निर्माण करते हैं। जबकि सिद्धान्‍तों के अनुसार उनमें क्रमिक परिवर्तन होता है। जीवन को वास्तविक रूप से पूरा करने हेतु बच्चों को तैयार करने की शिक्षा के लिए, उन्हें खुद को जीवन से सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। शिक्षा को सर्वोपरी होना चाहिए मात्र सैद्धांतिक नहीं होना चाहिए।

संदर्भ:
1.  SWAMI KRIYANANDA. 2006. Education For Life. Crystal Clarity Publishers.



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id