आज के दिन को कई प्यार में डूबे जोड़े ‘वैलेंटाइन्स डे’ (Valentine’s Day) के रूप में मनाते हैं। चारों ओर हमें प्यार की ना जाने कितनी बातें सुनने को मिलती हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजी शब्द "लव" (LOVE) वास्तव में एक संस्कृत शब्द ‘लभ्यति’ से उत्पन्न हुआ है। जी हां, यह शब्द संस्कृत के 'लभ्यति' से आया है, जिसका अर्थ 'अभिलाषा/इच्छा' होता है। एक इससे भी बड़ी मजेदार बात है कि अंग्रेजी शब्द ‘फ्री’ (Free) की उत्पत्ति एक दूसरे संस्कृत शब्द ‘प्रिय’ से हुई है, जिसका अर्थ ‘प्रियतम’ या ‘प्रियजन’ होता है। फ्री तथा लव दोनों ही शब्दों की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है, यदि संस्कृत भाषा से देखा जाये तो लव का अर्थ फ्री है, परन्तु वास्तव में फ्री का अर्थ लव है। क्यों, नहीं समझे? तो चलिये जानते हैं लव शब्द आखिरकार फ्री कैसे हो गया।
निस्संदेह संस्कृत दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है, और शायद इसलिए इसे देव भाषा अर्थात् देवताओं की भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत का अन्य भारतीय भाषाओं पर बहुत प्रभाव पड़ा है, जैसे कि हिंदी, कन्नड़ और मलयालम आदि। साथ ही साथ संस्कृत भाषा ने बौद्ध ग्रंथों के अनुवाद और प्रसार के साथ चीन-तिब्बती भाषाओं को प्रभावित किया है। इसके अलावा, थाईलैंड और श्रीलंका, फिलीपींस आदि देशों की भाषाएं भी संस्कृत से प्रभावित हुई हैं। साथ ही इंडोनेशिया की आधुनिक भाषा और मलेशिया में बोली जाने वाली पारंपरिक भाषा मलय पर भी संस्कृत का प्रभाव देखा जा सकता है। इन सबसे बढ़कर, अंग्रेजी जैसी अंतर्राष्ट्रीय भाषाएं भी संस्कृत से प्रभावित हुई हैं। इस प्रकार ये सभी भारतीय-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषाएं कहलाई जिसमें सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। ये सभी भाषाएँ संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती हैं, जैसे कि वह संस्कृत का ही आदिम रूप हों। उदाहरण के लिए अंग्रेजी 'प्रिमिटिव' (Primitive) शब्द 'प्राचीन' से लिया गया है, जिसका अर्थ ऐतिहासिक होता है, 'अटैक' (Attack) शब्द 'आक्रमण' से लिया गया है, 'मैन' (Man) शब्द 'मनु' से लिया गया है।
भारोपीय भाषा की व्युत्पत्ति के क्षेत्र में अध्ययनों से लगता है कि कुछ समय पहले (लगभग 4000 से 1500 ई.पू.), लोगों का एक समूह जो खुद को ‘आर्य’ के रूप में संदर्भित करता था, उन्होंने घोड़ों को पालतू बनाया, एक स्वास्तिक का चिह्न बनाया और सबसे महत्वपूर्ण, उन्होंने ‘प्राकृत’ नामक एक आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा को अपनाया। इसे उन्होंने ध्वन्यात्मक वर्णमाला के रूप में व्यवस्थित किया, नौ अंक और शून्य की अवधारणा अंकित की (जिसका हम आज भी संख्याओं के रूप में उपयोग करते हैं), और फिर इसे संस्कृत नामक एक नई भाषा को बनाने के लिए इस्तेमाल किया। फिर इसमें आर्यों ने दर्शन (वेद) को पढ़ाया और पारित किया।
जैसे जैसे ये दर्शन अलग अलग देशों में पहुंचा तो कुछ कुछ शब्दों की व्युत्पत्ति हो गई जैसे: आर्य (भारत/ पाक/ ईरानी/ अफगान) संस्कृत बोलते थे और उन्होंने कहा - ‘प्रिय’ (अंग्रेजी में जिसका अर्थ ‘लव’ होता है) परंतु कुछ सौ साल बाद यह शब्द बुल्गारिया जाते-जाते ‘प्रिज्य-तुल’ (prijya-tul - अंग्रेजी में जिसका अर्थ ‘प्रेमी’ होता है) हो गया। फिर कुछ दशकों बाद, रूस/ चेकोस्लोवाकिया/ पोलैंड के लोगों को ये शब्द ‘प्राय्तेल’ (prajtel - अंग्रेजी में जिसका अर्थ ‘दोस्त’ होता है) समझ में आया। जर्मनी के आसपास तक आते-आते ये शब्द ‘प्फ्राय’ (pfrai) में बदल गया और कुछ समय बाद ये ‘फ्राय्स’ (freis) में बदल गया अंग्रेजी में जिसका अर्थ ‘मुक्त’ था। अंततः जब ये इंग्लैंड में पहुंचा तो यहां के लोगों को ये ‘फ्री’ (free) सुनाई दिया।
अब तो आप समझ ही गये होंगे कि किस प्रकार फ्री का अर्थ लव है और लव शब्द आखिरकार फ्री कैसे हो गया। फ्री शब्द की उत्पत्ति वास्तव में संस्कृत भाषा के प्रिय शब्द से हुई थी, जिसका अर्थ अंग्रेजी भाषा के लव से संबंधित है। यदि लव शब्द की बात करें तो ये भी संस्कृत भाषा के 'लभ्यति' से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ 'अभिलाषा/इच्छा' होता है। लिथुआनिया (संस्कृत के निकटतम यूरोपीय भाषा का देश) में यह शब्द ‘लूबू / लिऑप्स’ (L'ubu / Liaupse) (प्रियतम / स्तुति का गीत) बन गया, और फिर गोथिक में ये शब्द ‘लिउफ़्स’ (Liufs) बन गया। फिर इसे जर्मन में ‘लूफू’ (Lufu) के रूप में बदल दिया गया तथा अंततः अंग्रेजी में ‘लव’ कहा जाने लगा।
संदर्भ:
1.www.etymonline.com
2.https://www.ancient.eu/Sanskrit/
3.https://www.etymonline.com/word/free
4.https://www.etymonline.com/word/love#etymonline_v_14556
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