लखनऊ शहर के चौक क्षेत्र में स्थित रौज़ा कजमें के बारे में तो आपने सुना ही होगा। गुलाम रज़ा खान द्वारा निर्मित रौज़ा काज़मैन सदियों से सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक रहा है। क्या आप यह जानते हैं कि गुलाम रज़ा खान असल में नवाब नहीं थे, इनका मूल नाम जगन्नाथ राय था और वह उरई लाई बाक़कल (बनिया) के परिवार से ताल्लुक रखते थे। इन्होंने इमाम मूसा काज़िम के सम्मान में रौज़ा काज़मैन का निर्माण करवाया था।
उनके धर्म-परिवर्तन के बाद उन्हें गुलाम रज़ा खान के नाम से जाना जाने लगा और नवाब अमजद अली शाह (1842-1847) द्वारा शराफ-उद-दौला की उपाधि से सम्मानित किया गया था। हालांकि एक काल-लेख के अनुसार, काज़मैन के निर्माण का कार्य 1269 हिजरी (1852) में वाजिद अली शाह के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ था। दो बेलनाकार गुंबदों वाला यह पवित्रस्थल, वास्तव में इराक के काज़मैन में स्थित मकबरे का प्रतिरूप है।
इराक के मूल मकबरे में गुबंद और मीनारें शुद्ध सोने से ढकी हुई हैं लेकिन लखनऊ के इस पवित्रस्थल के गुंबदों को सोने की परत चढ़े हुए पीतल से ढका गया है। दोनों ही संरचनाओं में स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। लखनऊ के पवित्रस्थल में गुंबदों के बेलनाकार निकायों की सतह पर ईंट की दीवार की संरचना (Pattern) है, जबकि काज़मैन (ईराक) में, गुंबदों की सतह समतल है और उनकी ऊपरी पट्टी बड़ी दिखाई देती है। इसके अलावा काज़मैन (ईराक) में मीनारें अधिक अलंकृत और सुंदर हैं।
लखनऊ के रौज़ा काज़मैन का प्रवेश द्वार बहुत बड़ा है और इसमें प्रवेश करने के बाद छोटे प्रवेश द्वार दिखाई देते हैं, जिससे ग़ुलाम गर्दिश (जहां मुख्य रौज़ा स्थित है) में प्रवेश करा जाता है। रौज़ा के प्रमुख कक्ष में चारों तरफ़ गलियारा है, जिनमें से एक में शराफ़-उद-दौला और उनकी पत्नी की कब्रें हैं, यह कब्रें जमीन से उभरी हुई नहीं है, यह जमीन के समतल में ही स्थित है। रौज़ा काज़मैन को मार्च 1858 में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा लूटा गया था क्यूंकि उनको विश्वास था, अवध के शहेंशाह वाजिद अली खान ने इस मकबरे में खज़ाना छुपा कर रखा है।
बकरीद के त्यौहार के तुरंत बाद, ताज़िया बनाने के लिए एक अस्थायी हस्तकला उद्योग रौज़ा काज़मैन के चारों ओर काम करते हुए दिखाई देते हैं और वहाँ कई पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बांस और ग्लेज़िंग पेपर के साथ विभिन्न आकारों में ताज़िया बनाते हुए देखा जा सकता है।
संदर्भ :-
1.http://lucknowobserver.com/rauza-e-kazmain/
2.http://lucknow.me/Rauza-Kazmain.html
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