शास्त्रीय संगीत की पहचान उसके घराने से होती है। देश में ग्वालियर, आगरा, किराना, पटियाला के साथ-साथ रामपुर-सहसवान घराने का नाम भी लिया जाता है। यह उत्तर प्रदेश के रामपुर और सहसवान के कस्बों में स्थित है। रामपुर-सहसवान गायकी ग्वालियर घराने से संबंधित है, जो कि मध्यम धीमी ताल, पूर्ण कंठ की आवाज़ और जटिल तालबद्ध क्रीड़ा जैसी विशेषतओं को प्रकट करता है। इस घराने की शैली अपनी विविधता और तान की जटिलता (तेजी से विस्तार), व तराना गायन के लिए जानी जाती है।
इस घराने के संस्थापक उस्ताद इनायत हुसैन खान (1849-1919) थे। घराने का विकास उस्ताद मेहबूब खान द्वारा किया गया, जो रामपुर राज्य के शाही दरबार में मुख्य खयाल गायक थे। उनके साथ उनके भाइयों, उस्ताद हैदर खान, उस्ताद फिदा हुसैन खान और पद्मभूषण उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान (सन 1957 में पद्म भूषण पुरस्कार के प्राप्तकर्ता) ने भी इसका अनुगमन किया।
उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान के पुत्र उस्ताद गुलाम तकी खान एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे, जो रामपुर सहसवान घराने के कड़क सपाट तान की भांति ही गायन की प्रसिद्ध शैली का प्रतिनिधित्व करते थे। ताकी खान द्वारा राग छायानट का भी प्रतिपादन किया गया, जिसे आप इस लिंक (https://youtu.be/uGvoA4jScRU) में सुन सकते हैं। छायानट हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एक राग है। इस राग की उत्तपति कल्याण थाट से मानी गई है। यह राग छाया और नट रागों का मिश्रित रूप है। धीरे-धीरे राग छायानट छाया और नट रागों से ज्यादा प्रचलित हो गया और अधिकांश कलाकार छाया और नट रागों के बजाए, राग छायानट का ही उपयोग करते हैं। राग छायानट के आरोह और अवरोह दोनों में सात सात स्वर लगते हैं, इसलिए इस राग की जाति संपूर्ण होती है। राग छाया का वादी एवं संवादी स्वर क्रमशः ‘रे’ और ‘प’ है। इस राग को प्राय: रात के पहले प्रहर में गाया और बजाया जाता है।
छायानट राग में तीव्र 'म' का प्रयोग होता है लेकिन संगीत के कुछ जानकार तीव्र 'म' का प्रयोग नहीं करते हैं। जिससे ये राग कल्याण की बजाए बिलावल थाट का हो जाता है। राग छायानट में शुद्ध मध्यम का प्रयोग, आरोह और अवरोह में समान रूप से किया जाता है। परन्तु तीव्र मध्यम का प्रयोग मात्र आरोह में ही होता है और कहीं नहीं होता। कभी-कभी आरोह में शुद्ध निषाद को छोड़कर तार सप्तक के सा' पर इस भाँति पहुंचते हैं: रे ग म प ; प ध प प सा'। इसी तरह तार सप्तक के सा' से पंचम पर मींड द्वारा आने से राग का वातावरण बनता है। इसके पूर्वांग में रे ग म प तथा उत्तरांग में प ध नि सा' अथवा प सा' सा' रे' इस तरह आते हैं। रफी साहब ने छायानट राग का प्रयोग कर एक प्रसिद्ध गीत “हम बेखुदी में तुमको पुकारे चले गए” गाया था। राग छायानट को आधार बनाकर और भी फिल्मी गानें कम्पोज किए गये थे। समय के साथ साथ इस राग का प्रयोग बढता चला आया। संगीतकार राजेश रोशन द्वारा फिल्म पापा कहते हैं के संगीत “मुझसे नाराज हो तो हो जाओ” में किया गया था।
संदर्भ :-
1.https://youtu.be/uGvoA4jScRU
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Rampur-Sahaswan_gharana
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Chhayanat_(raga)
4.https://hindi.firstpost.com/special/songs-based-on-raag-chayanat-in-hindi-cinama bollywood-raagdari-am-74277.html
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