गुप्त लेखन का एक विचित्र माध्यम - अदृश्य स्याही

लखनऊ

 08-02-2019 07:04 PM
संचार एवं संचार यन्त्र

अक्‍सर आपने अदृश्य स्याही वाले पेन के विषय में सुना होगा, और कई बार आपके मन में ये विचार भी आया होगा कि ये काम कैसे करते हैं और इनका उपयोग कौन करता होगा। वैसे तो अदृश्य स्याही को सुरक्षा स्याही के रूप में भी जाना जाता है और इसका उपयोग गोपनीय संदेश लिखने के लिए किया जाता है। अदृश्य स्याही स्टेग्नोग्राफ़ी का एक रूप है और इसका पहली बार एनीस टैक्टिकस द्वारा चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में उल्लेख किया गया था। उन्होंने उल्लेख किया था कि इसका उपयोग घेराबंदी के समय में किया जा सकता है, परंतु उन्होंने ये नहीं बताया कि वो किस प्रकार की स्याही का उपयोग करते थे।

अदृश्य स्याही की विशेषता यह है कि इसके द्वारा जिस माध्यम पर संदेश लिखा जा रहा है उस पर यह अदृश्य रहती है और इसकी दृश्यता को भौतिक परिवर्तनों या रासायनिक प्रतिक्रियाओं से उजागर किया जा सकता है। इसको बनाने के लिये अधिकांश सामान्य घरेलू सामग्रियों का उपयोग किया जाता है तथा इस अदृश्य स्याही को बनाने का उद्देश्य जासूसी, संपत्ति अंकन, विरोधी जालसाजी जैसे मामलों में गुप्त संदेश के लिये उपयोग में लाना था। प्राचीन समय में गुप्त संदेश भेजने की तकनीकों में स्टेग्नोग्राफ़ी युक्त एक तकनीक भी शामिल थी जिसमें अक्षरों के ऊपर या नीचे छोटे चित्र बनाए जाते थे। उस समय तक गुप्त संदेश भेजने के लिए अदृश्य स्याही का उपयोग नहीं किया जाता था। विश्व युद्ध और दुवितिया विश्व युद्ध के दौरान जर्मनों द्वारा गुप्त संदेश भेजने की तकनीक में बदलाव किया गया और उन्होंने अदृश्य स्याही और माइक्रोडॉट का उपयोग करना शुरू किया।

280 ईसा पूर्व के आसपास बीजोआंटियम के फिलो द्वारा ओक गालस और विट्रियल का उपयोग करके एक अदृश्य स्याही बनाने का वर्णन किया गया था। जिसके बाद लोगों को भी अदृश्य रूप से लिखने की सामग्री मिल गयी। 600 ईस्वी के आसपास अरबों द्वारा और यूरोप में 16 वीं शताब्दी के दौरान नींबू का इस्तेमाल जैविक स्याही के रूप में भी किया जाता था। प्रथम विश्व युद्ध में गुप्तचरों द्वारा अदृश्य स्याही के रूप में नींबू के रस का इस्तेमाल किया गया था। नींबू का रस एक ऐसा पदार्थ है जिसके द्वारा लिखे गये सन्देश को कई माध्यमों द्वारा उजागर किया जा सकता है। यदि नींबू के रस से लिखे संदेश को आयोडीन के संपर्क में लाया जाता है तो ये हल्का नीला हो जाता है और गर्मी के संपर्क में आने पर भूरा हो जाता है।

नींबू का रस शुरू में नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता है क्योंकि यह शर्करा, पानी और साइट्रिक एसिड से बना होता है और इनमें से किसी भी घटक में बहुत अधिक रंग नहीं होते हैं, इसलिये ये अदृश्य प्रतीत होते है। जब कागज पर ये नींबू का रस सूख जाता है तो ये पूर्णता अदृश्य हो जाते है। क्योंकि नींबू सिट्रिक अम्ल होता है जो ऑक्सीकरण को भी रोकता है, इसलिये ये संदेश वायु की उपस्तिथि में भूरा नही पड़ता है। परंतु जैसे ही आप इस संदेश को उजागर करने के लिये गर्म करते है तो सिट्रिक अम्ल विघटित हो जाता है और नींबू का रस ऑक्सीकृत हो जाता हैं तथा संदेश भूरे रंग में उजागर हो जाता है। हमारे द्वारा भी घर में नींबू के रस के माध्यम से अदृश्य स्याही बनायी जा सकती है। जिसकी विधि निम्न है:

1. कप में लगभग 1 बड़ा चम्मच (15 मिली) नींबू का रस मिलाएं। इसके लिए ताजा निचोड़ा हुआ या बोतलबंद रस भी ठीक रहेगा।
2. संदेश लिखने हेतू आप रूई की कली का उपयोग कर सकते हैं। रूई के एक छोर को नींबू के रस में भिगोकर आप अपना संदेश लिख सकते हैं।
3. एक कोरे कागज में लिखे गये संदेश को आप तभी तक देख सकते हैं जब तक नींबू का रस पृष्‍ठ पर सूख नहीं जाता सूखने के पश्‍चात संदेश अदृश्य हो जाएगा।
4. इस अदृश्‍य संदेश को पढ़ने के लिए कागज को गर्म करने की आवश्‍यकता होगी, गर्म करने के लिए आप जिस भी तकनीक का उपयोग करें, ध्यान रहे की कागज को नीचले भाग से गर्म किया जाए।

वहीं अधिकांश कागजों के दोनों भाग को गर्म करके अदृश्य स्याही संदेशों को पढ़ा जा सकता है। अब आपके मन में प्रश्‍न उठ रहा होगा कि ये कैसे हो सकता है? लिखने हेतु उपयोग किये गये नींबू के रस में मौजुद कार्बन-आधारित यौगिकों को कागज के तंतुओं (Fibers) द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। चूंकि नींबू का रस एक दुर्बल अम्ल है, इसलिए यह कागज के तंतुओं को नरम कर देता है तथा कागज के ऊष्‍मा के संपर्क में आने पर सूखे रस में उपलब्‍ध कुछ रासायनिक आबंध (Chemical Bonds) टूट जाते हैं एवं कुछ कार्बन आबंधमुक्त हो जाते हैं। ये कार्बन हवा के संपर्क में आकर ऑक्सीकृत हो जाते हैं, ऑक्सीकरण का प्रभाव चीजों को एक गहरे रंग में बदल देता है।

अभी कुछ समय पुर्व हमने चपाती के ऊपर एक पोस्‍ट लिखी जिसमें क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को भ्रमित करने के लिए चपाती को गुप्‍त संदेश के रूप में उपयोग किया।

आप इस पोस्‍ट को निम्‍न लिंक (https://rampur.prarang.in/posts/2203/Chapati-movement-Chapati-became-a-messenger-in-the-first-freedom-struggle-of-1857) में जाकर पढ़ सकते हैं।

सामान्य तौर पर, अदृश्य स्याही को पांच भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. ऊष्मा द्वारा उजागर होने वाली स्याही: इस स्याही में कुछ कार्बनिक पदार्थ शामिल हैं जो गर्म होने पर ओक्सीकृत हो जाते है, और आमतौर पर भूरे रंग में बदल जाते हैं। इस प्रकार की "हीट फिक्स्ड" स्याही के लिए अम्लीय द्रव उत्तम माना जाता है। अदृश्य स्याही बनाने के लिए निम्नलिखित पदार्थों में से किसी का भी उपयोग किया जा सकता है:

• कोला पेय
• शहद व चीनी का घोल (चीनी निर्जलीकरण द्वारा शुष्क-शर्करा में बदल जाती है)
• नींबू, सेब, नारंगी या प्याज का रस (ऊष्मा के तहत कार्बनिक अम्ल और कागज से एस्टर बनाता है)
• दूध (लैक्टोज डिहाइड्रेट्स)
• साबुन का पानी
• वाइन या सिरका
• कोबाल्ट क्लोराइड, जो गर्म होने पर नीला हो जाता है और थोड़ी देर बाद फिर से अदृश्य हो जाता है (यदि ठीक से गर्म नहीं किया गया हो)

उपरोक्त पदार्थ से लिखे गुप्त संदेश को आग से थोड़ी दूरी पर गर्म करके, रेडिएटर पर गर्म करके, या इसे इस्त्री करके, हेयर ड्रायर का उपयोग करके या ओवन में रखकर दृश्यमान किया जा सकता है।

2. रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा उजागर होने वाली स्याही: ज्यादातर मामलों में, ये स्याही अम्ल या क्षार के साथ मिश्रित होने पर रंग बदलती हैं।

• फिनॉल्फ्थेलीन:- आमतौर पर इसका उपयोग pH संकेतक के रूप में किया जाता है, ये रसायन क्षारीय पदार्थ जैसे अमोनिया धुआ या सोडियम कार्बोनेट की पस्थिति में गुलाबी हो जाता है।
• सिरका:- सिरके में एसिटिक एसिड होता है जो लाल गोभी के पानी के संपर्क में आने पर उजागर हो जाता है।
• अमोनिया:- यह भी लाल गोभी के पानी के संपर्क में आने पर उजागर हो जाता है।
• कॉपर सल्फेट:- सोडियम आयोडाइड, सोडियम कार्बोनेट, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम फेरिकैनाइड द्वारा उजागर हो जाता है।
• नींबू का रस:- आयोडीन विलियन द्वारा उजागर हो जाता है।

इनके अलावा लेड (II) नाइट्रेट, आयरन (II) सल्फेट, कोबाल्ट (II) क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड आदि ऐसे रसायन है जो अम्ल या क्षार के साथ मिश्रित होने पर रंग बदलते हैं।

3. पराबैंगनी प्रकाश (Ultra-Violet Light) के तहत दिखाई देने वाले स्याही: इस प्रकार की स्याही को जब पराबैंगनी प्रकाश के सामने लाया हाता है तो ये चमकती है। यह कई पदार्थों विशेष रूप से कार्बनिक पदार्थों और शरीर के तरल पदार्थों का एक गुण है। पराबैंगनी प्रकाश द्वारा उजागर होने वाली स्याही के उदाहरण निम्न हैं:

• लॉन्ड्री डिटर्जेंट जिसमें ऑप्टिकल ब्राइटनर होते हैं
• साबुन
• शरीर के तरल पदार्थ जैसे सीरम तथा लार
• सनस्क्रीन
• नींबू का रस

4. स्याही जो कागज की सतह को बदल देती है: इसमें लगभग सभी अदृश्य स्याही शामिल हो जाती हैं। इस स्याही में किसी भी तरल पदार्थ का अनुप्रयोग कागज की सतह के आकार या तंतुओं को बदल देता है। इसमें आयोडीन क्रिस्टल को गर्म करने से निर्मित धुएं से लेखन को उजागर किया जाता है। और तेज धूप में कागज को रखने से ये फिर से अदृश्य अवस्था में आ जाता है।

5. गायब होने वाली स्याही: इस स्याही के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा, इस स्याही से कुछ लिखने के थोड़ी देर बाद लिखा हुआ गायब जो जाता है। आमतौर पर गायब होने वाली स्याही, थाइमोलफथलिन और क्षारीय पदार्थ जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया पर निर्भर होती हैं।

संदर्भ:
1.https://www.stevespanglerscience.com/lab/experiments/secret-lemon-juice-messages/
2.https://bcachemistry.wordpress.com/tag/lemon-juice/
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Invisible_ink
4.https://rampur.prarang.in/posts/2203/Chapati-movement-Chapati-became-a-messenger-in-the-first-freedom-struggle-of-1857



RECENT POST

  • लोगो डिज़ाइन की ऐतिहासिक दौड़ में, सुंदरता के बजाय, सरलता की जीत क्यों हुई ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:42 AM


  • आइए देखें, कोरियाई नाटकों के कुछ अनोखे अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:24 AM


  • क्षेत्रीय परंपराओं, कविताओं और लोककथाओं में प्रतिबिंबित होती है लखनऊ से जुड़ी अवधी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:31 AM


  • कैसे, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, भारत के झींगा पालन उद्योग का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:32 AM


  • आनंद से भरा जीवन जीने के लिए, प्रोत्साहित करता है, इकिगाई दर्शन
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:36 AM


  • क्रिसमस विशेष: जानें रोमन सभ्यता में ईसाई धर्म की उत्पत्ति और विकास के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:35 AM


  • आइए जानें, सौहार्द की मिसाल कायम करते, लखनऊ के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:30 AM


  • आइए समझते हैं, कैसे एग्रोफ़ॉरेस्ट्री, किसानों की आय और पर्यावरण को बेहतर बनाती है
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:32 AM


  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id