बुद्धिमत्ता एक ऐसा शब्द है जिसे परिभाषित करना मुश्किल है, और यह हर व्यक्ति में भिन्न होती है। वास्तव में, बुद्धिमत्ता की परिभाषा और माप को लेकर दशकों से वैज्ञानिक समुदाय के बीच विवाद की स्थिती बनी हुई है। हर कोई इस बात से सहमत है कि आइंस्टीन अत्यधिक बुद्धिमान थे, लेकिन गांधी जैसे नेता, मोज़ार्ट जैसे कलाकार या पेले जैसे खिलाड़ी क्या बुद्धिमान नहीं थे? उनके पास भी, स्पष्ट रूप से असाधारण मानसिक क्षमता थीं, लेकिन क्या इन्हें 'बुद्धिमानों' के रूप में वर्णित किया गया है।
ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक चार्ल्स स्पीयरमैन और अमेरिकी मनोवैज्ञानिक लुईस टरमन, जिन्होंने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बुद्धिमत्ता के परीक्षण का मूलसिद्धांत रखा था, जिसमें उन्होंने माना था कि बुद्धिमत्ता को एक ही संख्या से मापा जा सकता है – ‘g’ से 'सामान्य बुद्धि' (स्पीयरमैन) और आईक्यू (IQ) से 'बुद्धिलब्धि' (टरमन)।
सामान्य बुद्धि के सिद्धांत में एकल बुद्धिमत्ता के बारे में माना जाता था कि वे मस्तिष्क के एक विशिष्ट क्षेत्र के अनुरूप सामान्य मानसिक कार्यों को करने में सक्षम होते हैं। हाल ही के शोधों में पाया गया है कि जब कोई व्यक्ति कोई पहेली सुलझाता है तो मस्तिष्क के ‘लेटरल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स’ (Lateral prefrontal cortex) नामक हिस्से में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। एम.आर.आई. द्वारा मस्तिष्क अवलोकन के आगमन की बदौलत मस्तिष्क के विकास के साथ बुद्धिमत्ता को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (National Institute of Mental Health) में अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक समूह ने बुद्धि परीक्षण और मस्तिष्क अवलोकन के लिए 300 से अधिक 6 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों के एक समूह पर परीक्षण किया, और 2006 में अपने परिणाम प्रकाशित किए। पता चला कि बालावस्था में अधिक आईक्यू वाले बच्चों के दिमाग में सेरिब्रल कोर्टेक्स (Cerebral Cortex) की मोटाई कम होती है। अतः इस तरह उन्होंने एक व्यक्ति के दिमाग की बनावट को उसकी बुद्धिमत्ता से जोड़ा। हालांकि इस जांच में ऐसा माना गया कि आईक्यू किसी की बुद्धिमत्ता का उचित माप है।
टरमन द्वारा आईक्यू की गणना निम्नलिखित तरीके से की गयी थी। उन्होंने एक ऐसी परीक्षा बनाई जिसमें प्रत्येक सवाल के साथ एक मानसिक उम्र जुड़ी हुई थी। यदि एक 5 वर्ष के बच्चे ने 6 वर्ष की मानसिक उम्र के लिए वर्गीकृत सवाल का उत्तर सही दे दिया तो उसे कुछ अतिरिक्त अंक देने के बाद 7 वर्ष की मानसिक आयु वाला सवाल दिया गया। परीक्षा अंकों को जोड़कर वर्ष और महीनों में एक मानसिक आयु की गणना की गई। आईक्यू परीक्षक ने फिर बच्चे की मानसिक आयु को उसकी आयु से भाग दिया और दशमलव को हटाने के लिए 100 से गुणा किया। बिल्कुल 100 के बराबर वाले आईक्यू से यह संकेत मिलता है कि मानसिक आयु बच्चे की आयु के बराबर है।
कई दशकों तक टरमन ने 135 या अधिक आईक्यू वाले बच्चों (टरमाइट्स/Termites) पर निगरानी रखी कि क्या उच्च आईक्यू जीवन में उच्च स्तर तक पहुंचाती है और क्या ये आईक्यू विरासत में मिली थी। पारंपरिक मानकों के अनुसार टरमाइट्स में कई भविष्य में डॉक्टर और वकील बने, कई व्यवसायी और वैज्ञानिक बने। कुछ टरमाइट्स सामान्य आबादी से काफी उच्च स्तर पर थे और उनके बच्चों में भी उच्च आईक्यू था। लेकिन किसी भी टरमाइट को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था। यहाँ तक कि टरमन के परीक्षण ने ऐसे दो व्यक्तियों को अस्वीकार कर दिया था जिन्होंने जीवन में आगे चलकर नोबेल पुरस्कार जीता।
हाल ही में, एकल बुद्धि के पारंपरिक विचार से असंतुष्ट वैज्ञानिक ने ‘कई बुद्धिमत्ता’ के वैकल्पिक सिद्धांतों को स्वीकार किया। कई बुद्धिमत्ता सिद्धांत का मानना है कि बुद्धिमत्ता कई स्वतंत्र क्षमताओं का परिणाम है जो किसी व्यक्ति के कुल प्रदर्शन में योगदान करने के लिए संयोजित होती है। मनोवैज्ञानिक हॉवर्ड गार्डनर के कई बुद्धिमत्ता के सिद्धांत में कहा गया है कि बुद्धिमत्ता को 8 अलग-अलग घटकों में विभाजित किया जा सकता है: तार्किक, स्थानिक, भाषाई, पारस्परिक, प्रकृतिवादी, किनेस्थेटिक (Kinaesthetic), संगीतिक और अंतर्वैयक्तिक।
शैक्षिक संदर्भ में, किसी व्यक्ति की बुद्धि को अक्सर उनके शैक्षणिक प्रदर्शन से मापा जाता है, लेकिन यह आवश्यक रूप से सही नहीं है। निश्चित रूप से, किसी व्यक्ति की विश्लेषणात्मक रूप से सोचने और अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग करने की क्षमता से उनकी बुद्धि का आंकलन करना चाहिए।
संदर्भ:
1.http://www.aboutintelligence.co.uk/what-intelligence.html
2.अंग्रेज़ी पुस्तक: Robinson, Andrew (2007). The Story of Measurement. Thames & Hudson
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