भारत में अब तक की संपूर्ण पंचर्षीय योजनाओं का संक्षिप्‍त परिचय

लखनऊ

 26-01-2019 10:00 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

स्‍वतंत्रता के बाद भारत एक माला से बिखरे हुए मोती के समान था, जिसे संविधान के माध्‍यम से एक धागे में पिरोया गया। अब सबसे बड़ा प्रश्‍न था देश की अर्थव्‍यवस्‍था को कैसे चलाया जाए, क्‍योंकि अंग्रेजी शासन के दौरान भारत की अर्थव्‍यवस्‍था बुरी तरह प्रभावित हो गयी थी। जिसका विकास नहीं वरन् पुनःनिर्माण किया जाना था, इसके लिए देश के राजनितिक नेताओं ने पंचवर्षीय योजना का प्रारूप तैयार किया, जिसके माध्‍यम से देश की तत्‍कालीन परिस्थितियों को देखते हुए आर्थिक विकास और आर्थिक नियोजन की योजना तैयार की गयी। पंचवर्षीय योजना का प्रारूप तत्‍कालीन सोवियत संघ (रूस) से लिया गया था। पंचवर्षीय योजना का प्रारूप पहले योजना आयोग (1951-2014) द्वारा तैयार किया जाता था और अब नीति आयोग (2015-वर्तमान) द्वारा किया जाता है। इसके अध्‍यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं और साथ ही आयोग के पास एक मनोनीत उपाध्यक्ष भी होता है जिसका पद कै‍बिनेट मंत्री के समान होता है।

पंचवर्षीय योजना को 1928 में सोवियत संघ में जोसेफ स्टालिन द्वारा प्रारंभ किया गया था। जिसे बाद में अधिकांश साम्‍यवादी राज्यों और कई पूंजीवादी देशों के द्वारा अपनाया गया। साथ ही चीन और भारत में भी इसे अपनाया गया। भारत में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्‍व में 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना प्रारंभ की गयी। इस योजना ने स्वतंत्रता के बाद भारतीय विकास के शुभारंभ में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। इस योजना के तहत प्राथमिक क्षेत्र में विशेष जोर दिया गया और साथ ही देश में औद्योगीकरण का भी प्रारंभ हुआ। इस योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों पर ध्‍यान केंद्रित किया गया।

भारत में अब तक कुल 12 पंचवर्षीय योजनाएं संचालित हो चुकी हैं:

पहली पंचवर्षीय योजना (1951-1956):
पहली भारतीय पंचवर्षीय योजना 8 दिसम्बर 1951 को भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा संसद में प्रस्‍तुत की गयी। यह योजना हैरोड-डोमार मॉडल पर आधारित थी। यह योजना मुख्‍यतः प्राथमिक क्षेत्र पर केंद्रित थी किंतु द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों को भी इसमें स्‍थान दिया गया था। इस योजना के लिए 2069 करोड़ रूपए का कुल बजट आंवटित किया गया था। इसमें वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 2.1% निर्धारित की गयी थी, हासिल की गई विकास दर 3.6% थी। 1956 में योजना अवधि के अंत में पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) प्रारंभ किये गये तथा अन्‍य सामाजिक कार्यक्रमों का भी शुभारंभ किया गया था।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961)
यह योजना भारतीय सांख्यिकीविद् प्रशांत चन्द्र महलानोबिस द्वारा विकसित महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी। यह मुख्‍यतः द्वितीयक क्षेत्रों (विशेष रूप से भारी उद्योग, पूंजीगत वस्तुओं का विकास) पर केंद्रित थी। औद्योगिक उत्पादों के घरेलू उत्पादन तथा सार्वजनिक क्षेत्र के विकास में विशेष योगदान दिया। जल विद्युत योजनाएं और पांच स्टील मिलें (भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला) स्थापित की गयीं। कोयला उत्पादन बढ़ा दिया गया था। रेलवे लाइनों को उत्तर पूर्व में जोड़ा गया था। 1948 में होमी जहांगीर भाभा के साथ परमाणु ऊर्जा आयोग के पहले अध्यक्ष के रूप में गठन किया गया था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research) को एक अनुसंधान संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था। इसमें वृद्धि दर: 4.5% आंकी गयी थी तथा वास्तविक वृद्धि: 4.27% रही।

तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-1966)
तीसरी योजना का प्राथमिक लक्ष्य भारत को एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करना था। दूसरी योजना ने देश में कृषि उत्पादन के विकास की दर को धीमा कर दिया था, जिसने भारत के आर्थिक विकास को सीमित कर दिया था। इसलिए तीसरी योजना में सभी क्षेत्रों को साथ में लेने का प्रयास किया गया। किंतु इस अवधि के दौरान भारत-चीन युद्ध (1961-62 में), भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965-66 में), भीषण सूखा-अकाल (1965-66) ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर विपरीत प्रभाव डाला जिस कारण यह योजना अपने निर्धारित लक्ष्‍यों को पूरा नहीं कर पायी।

तीन वार्षिक योजनाएं (1966-67, 1967-68, 1968-69)
तीसरी पंचवर्षीय योजना की असफलता के चलते, अगले तीन वर्षों को तीन योजनाओं में बांटा गया। हालाँकि चौथी योजना तैयार कर ली गयी थी, परन्तु युद्ध, मंदी, और सूखे के चलते उसे रोक दिया गया।

चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974)
इस योजना के दो प्रमुख उद्देश्य थे - 'स्थिरता के साथ विकास' और 'आत्‍म-निर्भरता की प्रगतिशील उपलब्धि'। इंदिरा गांधी सरकार ने 14 प्रमुख भारतीय बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया और हरित क्रांति से कृषि उन्नत हुई। इसके अलावा, 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध ने योजना के लिए वित्तीय संकट पैदा कर दिया। 1971 उद्देशित वृद्धि: 5.6% और वास्तविक वृद्धि: 3.3%।

पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-1978)
इस योजना का मसौदा प्रमुख राजनयिक डी.पी.धर द्वारा तैयार किया गया था। इस योजना के तहत रोजगार को बढ़ावा, मुद्रास्फीति की जांच, गरीबी उन्‍मूलन और न्‍याय पर जोर दिया गया। इसमें आयात प्रतिस्थापन और निर्यात प्रोत्साहन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा, इसमें आवास, पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, राष्‍ट्रीय राजमार्ग विस्‍तार आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम भी शामिल थे। निर्धारित विकास दर 4.4% और वास्तविक विकास दर: 4.8%।

छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985)
इस योजना में आर्थिक उदारीकरण को प्रारंभ किया गया तथा यह बुनियादी ढांचे पर बदलाव और कृषि पर समान रूप से केंद्रित थी। इसमें खाद्य कीमतों में वृद्धि और जीवनयापन की लागत में वृद्धि की गयी। जनसंख्या को रोकने के क्रम में परिवार नियोजन में भी विस्तार किया गया था। इसकी लक्ष्‍य वृद्धि दर 5.2% निर्धारित की गयी थी तथा वास्‍तविक वद्धि दर 5.4% रही, जो योजना की बड़ी सफलता को दर्शाती है।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-1990)
इस पंचवर्षीय योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य अनाज की उत्‍पादकता में वृद्ध‍ि तथा रोजगार का सृजन करना था। इस योजना के मार्गदर्शक सिद्धांत विकास, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय थे। लक्ष्य वृद्धि: 5.0% और वास्तविक वृद्धि: 6.01%।

आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997)
1989-91 के मध्‍य भारत में आर्थिक अस्थिरता के कारण कोई पंचवर्षीय योजना लागू नहीं की गयी थी तथा इसी बीच केंद्र सरकार में कई बदलाव हुए। जिसके कारण योजना आयोग का पुनर्गठन किया गया और आठवीं योजना के दृष्टिकोण के विभिन्न संस्करणों की तैयारी हुई। अंततः 1992 में यह योजना प्रस्‍तुत की गयी, इस योजना के तहत उद्योगों के आधुनिकीकरण पर विशेष बल दिया गया तथा इस योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य जनसंख्‍या वृद्धि पर नियंत्रण, गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन तथा बुनियादी ढांचे का विकास था। इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 5.6 रखी गयी थी जबकि वास्‍तविक वृद्धि दर 6.8 थी।

नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)
इस पंचवर्षीय योजना में औद्योगीकरण, पर्याप्त रोजगार के अवसर उत्‍पन्‍न करने, गरीबी कम करने, कृषि उत्पादकता में बढोत्तरी के साथ-साथ ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी। इसके अलावा न्याय व समानता के साथ विकास पर बल दिया गया। इस योजना के तहत आर्थिक सुधार के साथ निम्‍न बिंदुओं पर ज़ोर दिया गया था:

  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा
  • प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण
  • आश्रयहीन परिवारों को सार्वजनिक आवास सहायता
  • बच्चों को पोषण संबंधी सहायता
  • सभी गांवों और बस्तियों का संयोजन
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित करना

इस योजना की लक्षित वृद्धि दर 7.1% तथा वास्‍तविक वृद्धि दर 6.8% थी।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007)

दसवीं पंचवर्षीय योजना के कुछ प्रमुख उद्देश्‍य इस प्रकार थे:

1. अग्रिम 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी
2. उच्च विकास दर, लोगों के लिए बेहतर जीवन गुणवत्ता में बदलनी चाहिए
3. निगरानी योग्य लक्ष्य निर्धारण
4. विकास के कारक के रूप में शासन की विचारधारा
5. सभी क्षेत्रों में नीति और संस्थागत सुधार
6. अर्थव्यवस्था की प्राथमिक गतिशील क्षमता के रूप में कृषि क्षेत्र की घोषणा
7. सामाजिक क्षेत्र (स्वास्थ्य, शिक्षा आदि) पर ज़ोर

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)
11 वीं योजना का शीर्षक ‘टुवर्ड्स फास्टर एंड मोर इंक्लूसिव ग्रोथ’ (Towards Faster and more Inclusive Growth) था जिसका अर्थ है, ‘तेज़ और अधिक समावेशी विकास की ओर’। इसने लगभग 9% की उच्च विकास दर की परिकल्पना की जिसका अर्थ हुआ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7.5% की विकास दर की परिकल्पना। इसने लोगों के जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार भी सुनिश्चित किया। 11वीं योजना की दृष्टि में शामिल हैं:

1. गरीबी को कम करने और रोज़गार के अवसरों में वृद्धि के साथ तीव्रता से विकास
2. गरीबों के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं तक आसान पहुँच
3. शिक्षा और कौशल के विकास के माध्यम से सशक्तिकरण
4. सभी को रोज़गार के अवसरों का विस्तार करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कार्यक्रम का उपयोग करना
5. पर्यावरणीय स्थिरता
6. लैंगिक असमानता को कम करना
7. समग्र शासन में सुधार

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)

इस योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
1. 9% की विकास दर
2. कृषि क्षेत्र पर ध्यान और योजना अवधि के दौरान औसतन 4% की वृद्धि
3. मुद्रास्फीति के दबाव को नियंत्रित करना
4. जी.डी.पी. की वृद्धि के लिए, सुनिश्चित करना कि वाणिज्यिक ऊर्जा की आपूर्ति प्रति वर्ष 6.5-7% की दर से बढ़ती रहे।
5. एक समग्र जल प्रबंधन नीति विकसित करना
6. भूमि के अधिग्रहण के लिए नए कानून का सुझाव देना
7. स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास पर निरंतर ध्यान
8. अवसंरचना क्षेत्र के विकास में बड़ा निवेश
9. राजकोषीय सुधार की प्रक्रिया पर ज़ोर
10. उपलब्ध संसाधनों का कुशल उपयोग

संदर्भ:

1. https://en.wikipedia.org/wiki/Five-Year_Plans_of_India
2. https://www.toppr.com/guides/business-economics-cs/overview-of-indian-economy/five-year-plans-of-india/



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id