भारत में अपशिष्ट जल की व्यवस्था

लखनऊ

 22-01-2019 02:44 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

जैसे-जैसे भारत एक अधिक विकसित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, किंतु कई स्थितियों में पिछड़ भी रहा है, जिसमें पर्यावरण क्षरण भी शामिल है। तीव्रता से बढ़ते औद्योगिकीकरण ने पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि की है। प्रदूषण भी चार प्रकार के होते हैं, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण शामिल हैं। वैसे तो प्रदूषण अपने आप में सभी भयावह हैं किंतु वर्तमान स्थिति को देखते हुए जल प्रदूषण एक विकट समस्या बनता जा रहा है।

जल संदूषण के दो मुख्य स्रोत मल और औद्योगिक अपशिष्ट हैं। भारत की जनसंख्या और औद्योगिक परिदृश्य दोनों की अभूतपूर्व गति से वृद्धि के साथ ही अपशिष्ट जल की मात्रा में भी भयावही वृद्धि देखने को मिल रही है। इससे साफ पानी के स्रोतों जैसे नदियों, कुओं और भूजल का संकुचन हो रहा है।

अपशिष्ट जल के बढ़ते स्तर के कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • नदी और समुद्री जीवन पर हानिकारक प्रभाव।
  • पीने के पानी में कमी।
  • भूजल पर हानिकर प्रभाव।
  • मृदा प्रदूषण।
  • तटीय क्षेत्र में प्रदूषण का बढ़ना।

इस स्थिति को रोकने के लिए हमारे पास अपशिष्ट प्रबंधन ही सबसे अच्छा विकल्प है। भारत में अपशिष्ट उपचार संयंत्रों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ सामान्य तरीके निम्न हैं:

भौतिक-रासायनिक उपचार :- प्रदूषकों को आमतौर पर आकार के अनुसार वर्गीकृत करके और उनके अनुसार अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, बड़े कणों को गुरुत्वाकर्षण, प्लवनशीलता या निस्पंदन के माध्यम से अलग किया जाता है। हालांकि, छोटे कणों को अलग करना अधिक कठिन होता है।

जैविक उपचार :- भौतिक-रासायनिक विधियों के विपरीत, जैविक उपचार प्रदूषकों के उपचार के लिए जीवों का उपयोग करते हैं। वर्षों से, वैज्ञानिकों द्वारा अपशिष्ट जल के उपचार के लिए विभिन्न वायुजीवी या अवायवीय प्रक्रियाओं को विकसित किया गया है।

पुनश्चक्र और पुन: प्रयुक्त :- इस विधि में अपशिष्ट जल को झिल्ली आधारित प्रणाली का उपयोग करके पुनश्चक्रण किया जाता है। मेम्ब्रेन बायोरिएक्टर द्वारा अपशिष्ट जल के उपचार के लिए बायोरिएक्टर के साथ परानिस्यंदन के सरल विज्ञान का उपयोग किया जाता है। यह औद्योगिक और नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाली विधि है। पचारित जल को विभिन्न प्रयोजनों के लिए पुनश्चक्रण किया जाता है, जैसे कि सिंचाई।

शून्य तरल निर्वहन प्रणाली :- इसे अपशिष्ट प्रबंधन में अत्याधुनिक तकनीक के रूप में देखा जाता है। यह अपशिष्ट जल से सभी विघटित ठोस को निकालता है, जिससे हमें आसुत जल मिलता है। आरओ जैसे तरीके पानी को शुद्ध करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

लेकिन भारत में 37.7 करोड़ लोगों द्वारा उत्पादित सीवेज(Sewage) का 30% का अधिक उपचार नहीं किया जाता है। दिसंबर 2015 में सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में अनुमानित 62,000 मिलियन लीटर प्रतिदिन सीवेज उत्पन्न होता है, जबकि पूरे भारत में उपचार क्षमता केवल 23,277 मिलियन लीटर या उत्पन्न सीवेज का 37% है। इन आंकड़ो को और ध्यान से देखा जाए तो यह पता चलता है कि भारत भर में सूचीबद्ध 816 नगरपालिका सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से केवल 522 काम करते हैं। तो, 62,000 मिलियन लीटर प्रतिदिन में, सूचीबद्ध क्षमता 23,277 मिलियन लीटर प्रतिदिन है जिसमें से 18,883 मिलियन लीटर प्रतिदिन सीवेज का उपचार नहीं किया जाता है। इसका मतलब है कि शहरों में उत्पन्न 70% सीवेज का उपचार नहीं किया जाता है।

भारत में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां अपशिष्ट प्रबंधन की सख्त आवश्यकता है। अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों के लिए संचालन के कुछ क्षेत्र निम्न हैं :-

  • कस्बों और शहरों के लिए नगर निगम जल प्रबंधन में
  • ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग के लिए, जैसे कि सिंचाई में
  • औद्योगिक क्षेत्रों में
  • विलवणन में
  • बड़ी इमारत सोसायटी या कॉलोनियों में

भारत में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र लोगों और भूमि के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

संदर्भ :-

1.https://www.wateronline.com/doc/why-india-needs-more-wastewater-treatment-plants-0001
2.http://archive.indiaspend.com/cover-story/70-of-urban-indias-sewage-is-untreated-54844
3.https://www.thethirdpole.net/en/2017/05/15/rethinking-wastewater-management-in-india/



RECENT POST

  • जानें, प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और क्यों हो सकता है यह आपके लिए एक बेहतरीन व्यवसाय
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:32 AM


  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id