ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत के रूप में इथेनॉल

लखनऊ

 18-01-2019 12:56 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

मानव द्वारा ऊर्जा के अनवीनीकरण संसाधनों का अंधाधुन दोहन किया जा रहा है, यह दोहन मात्र ऊर्जा के साधनों का ही नहीं हो रहा है वरन् हमारे पर्यावरण का भी दोहन प्रारंभ हो गया है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए विश्‍व अब ऊर्जा के नवीनीकरण साधनों की ओर कदम बढ़ाना प्रारंभ कर रहा है। इसी क्रम में एक प्रकार की शराब भी अक्षय ऊर्जा एक बेहतर विकल्‍प के रूप में उभरकर सामने आई है, जिसे इथेनॉल (एथिल अल्कोहल) के नाम से जाना जाता है। इसे मकई, गन्ना, और अनाज से या अप्रत्‍यक्ष कागज के कचरे से तैयार किया जाता है। जैव इथेनॉल जैविक चीजों से प्राप्त किया जाता है, जो सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं, इसलिए इथेनॉल को नवीकरणीय ईंधन माना जाता है। इथेनॉल को पेट्रोल (petrol) के साथ मिलाकर मोटर वाहनों के ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol (EBP)) कार्यक्रम जनवरी, 2003 में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम में वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने की मांग की गई थी। भारत में, इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से किण्वन प्रक्रिया द्वारा गन्ना एवं गुड़ से किया जाता है। विभिन्न मिश्रणों को बनाने के लिए इथेनॉल को गैसोलीन (gasoline) के साथ मिलाया जा सकता है। इथेनॉल ईंधन का उपयोग बिजली से चलने वाले वाहनों के लिए भी किया जा सकता है। चूंकि इथेनॉल अणु में ऑक्सीजन होती है, जो इंजन (engine) को ईंधन के पूर्णतः दहन की अनुमति देता है, जिसके परिणामस्वरूप कम उत्सर्जन होता है तथा पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है।

ईंधन के रूप में इथेनॉल के लाभ:

1. अन्‍य ईंधन की तुलना में कम लागत
अन्य जैव ईंधन की तुलना में इथेनॉल ईंधन की लागत कम है, यह इसलिए भी है क्‍योंकि लगभग सभी देश इसके उत्‍पादन की क्षमता रखते हैं। यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में उत्पादन को किफायती बनाता है। विश्‍व के ज्‍यादातर देश अपनी आर्थिक और भौगोलिक क्षमता के कारण जीवाश्म ईंधन को खोजने में सक्षम नहीं हैं। इन देशों के लिए इथेनॉल ईंधन एक बेहतर विकल्‍प है।

2. पर्यावरण के अनुकुल
एक ईंधन के रूप में पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए यह एक सकारात्‍मक भूमिका निभाता है। पावर ऑटोमोबाइल (power automobiles) में इथेनॉल ईंधन का उपयोग करने से पर्यावरण में विषाक्त पदार्थों का स्तर काफी कम हो जाता है। कई स्थितियों में इथेनॉल को गैसोलीन (gasoline) के साथ मिलाकर (85:15 के अनुपात में) ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। पेट्रोल या गैसोलीन में इथेनॉल का यह अनुपात पर्यावरण के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करता है क्योंकि यह शुद्ध गैसोलीन की तुलना में सफाई से जलता है।

3. ग्लोबल वार्मिंग (global warming) को कम करता है
ग्लोबल वार्मिंग जीवाश्म ईंधन (तेल, प्राकृतिक गैस, और कोयला) के उपयोग से खतरनाक ग्रीनहाउस गैसों (greenhouse gases) का उत्‍सर्जन होता है, जो मौसम में बदलाव, समुद्र के बढ़ते जल स्तर और अत्यधिक गर्मी के लिए उत्‍तरदायी होते हैं। इथेनॉल ईंधन के दहन से केवल कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) और पानी निकलता है तथा यह निष्‍पादित कार्बन डाइऑक्साइड पर्यावरण क्षरण के लिए अप्रभावी है।

4. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है
जीवाश्म ईंधन के आयात किसी भी देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। घरेलू फसलों से उत्पादित इथेनॉल ईंधन का उपयोग किसी भी देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारने में मदद कर कर सकता है।

5. इथेनॉल ईंधन हाइड्रोजन (hydrogen) का एक स्रोत है
इथेनॉल ईंधन अभी गैसोलीन को पूर्णतः प्रतिस्‍थापित करने में सक्षम नहीं है किंतु उसके एक विकल्‍प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। शोधकर्ता इसकी दक्षता को बढ़ाने के लिए विभिन्‍न प्रयास कर रहे हैं। इथेनॉल के उपयोग से इंजन की क्षति की संभावना ज्‍यादा रहती है, इसलिए शोधकर्ता सार्थक प्रयोग के लिए इसे हाइड्रोजन के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं।

6. आसानी से उपलब्ध
एक जैव ईंधन (गन्ने, अनाज और मकई जैसे पौधों से निर्मित) होने के कारण यह सभी के लिए आसानी से सुलभ है। जैव ईंधन के सभी कारक उष्णकटिबंधीय जलवायु की फसल हैं, जो लगभग सभी देशों में लगायी जाती हैं।

7. देश को रोजगार सृजन में योगदान देता है
जब इथेनॉल ईंधन के उपयोग में वृद्धि प्राथमिक क्षेत्र (गन्ने, मकई और अनाज) में उत्‍पादकता को बढ़ाते हैं। अधिक इथेनॉल ईंधन प्रसंस्करण संयंत्रों की स्‍थापना रोजगार के अवसरों को बढ़ाएगी।

ईंधन के रूप में इथेनॉल की हानि:

1. विस्‍तृत भू-भाग की आवश्‍यकता
उपरोक्‍त विवरण से यह तो स्‍पष्‍ट है कि इथेनॉल उत्‍पादन के लिए कृषि उत्‍पादों की आवश्‍यकता होती है। इथेनॉल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करना होगा। इसका अर्थ है कि इन फसलों को बड़े पैमाने पर उगाया जाएगा, जिसके लिए विशाल एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी, जो सभी के पास पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध नहीं है। इसकी पूर्ति के लिए अधिकांश पौधे और जानवरों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो सकते हैं।

2. आसवन प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल नहीं है
किण्वित मकई या अनाज के आसवन की प्रक्रिया में लंबा समय लगता है और इसमें बहुत अधिक ऊष्मा खर्च होती है। आसवन के लिए ऊष्मा का स्रोत ज्यादातर जीवाश्म ईंधन होते हैं, और जीवाश्म ईंधन बहुत अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

3. खाद्य कीमतों में वृद्धि
इथेनॉल का मुख्य घटक मकई है। यदि इथेनॉल ईंधन की मांग में तीव्रता से वृद्धि होती है, तो इसकी कीमत में भी वृद्धि होगी तथा यह इथेनॉल उत्पादन की लागत को प्रभावित करेगा। इसके साथ ही मकई के अन्य उपयोगकर्ता को भी हानि का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, इथेनॉल ईंधन की आकर्षक कीमतें ज्यादातर किसानों को इथेनॉल उत्पादन के लिए खाद्य फसलों को छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

4. वाष्पन करने में मुश्किल
शुद्ध इथेनॉल को वाष्पित करना कठिन है। इससे ठंडे वातावरण में वाहन को प्रारंभ करने में मुश्किल होती है, इसी कारण वाहन के मालिक पेट्रोल की थोड़ी मात्रा अपने पास रखते हैं। उदाहरण के लिए, ई85 कारें जो 15% पेट्रोलियम और 85% इथेनॉल का उपयोग करती हैं।

उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पेट्रोल में 10 फीसदी भी इथेनॉल मिलाया जाए तो पेट्रोल की कीमतों में प्रतिलीटर 2.60-2.90 रूपय की बचत हो सकती है। इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के तहत, केंद्र ने 2022 तक तेल विपणन कंपनियों (oil marketing companies (OMCs)) से पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 10 प्रतिशत भाग को मिलाने का लक्ष्‍य दिया है। 2001 के दौरान, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की प्रारंभिक परियोजनाएं 3 स्थानों पर शुरू हुईं अर्थात् मिराज, मनमाड (महाराष्ट्र) और उत्तर प्रदेश में बरेली। भारत सरकार ने जनवरी, 2003 में 5% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति के लिए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया। इसके बाद, जनवरी, 2003 में 9 राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम शुरू किया गया। पिछले इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2017-18 के लिए, पेट्रोल के साथ इथेनॉल की मिश्रित मात्रा 149.54 करोड़ लीटर थी तथा औसत मिश्रण प्रतिशत 4.19% था जो ईबीपी (EBP) कार्यक्रम के इतिहास में सबसे अधिक है। सरकार ने ईबीपी प्रोग्राम के लिए इथेनॉल पर जीएसटी (GST) दर को 18% से घटाकर 5% कर दिया है।

संदर्भ:
1.https://www.conserve-energy-future.com/ethanol-fuel.php
2.http://vikaspedia.in/energy/policy-support/renewable-energy-1/ethanol-blended-petrol-programme
3.https://www.thehindubusinessline.com/economy/10-ethanol-blending-with-petrol-can-lower-fuel-price-by-3litre-experts/article25208320.ece
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Ethanol_fuel



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id