आप भी जाने कैसे बनाए जाते है भूकंपरोधी मकान

लखनऊ

 17-01-2019 01:52 PM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

भूकंप के आने की सटीक रूप से भविष्यवाणी करना असंभव है, और इसके आने से होने वाला जन धन का नुकसान भी हमारे नियंत्रण से परे होता है। परंतु इस नुकसान को सीमित करना हमारे नियंत्रण में है। कई देशों में जहां भवन भूकंप प्रतिरोधी होते हैं, यहां तो हताहतों की संख्या बहुत कम है। भूकंप प्रतिरोधी घर और इमारत बना कर हम काफी हद तक जन धन के नुकसान को कम कर सकते हैं। रामपुर और आसपास के इलाको में भी कभी-कभी भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। इसके चलते यहां पर इस सोच को बल मिल रहा है कि इस इलाके में भी इमारतें तैयार करने से पहले उन्हें भूकंपरोधी बनाना ज़रूरी है।

रामपुर के भूकंपीय क्षेत्र के ज़ोन-4 (उच्च जोखिम क्षेत्र) में आने के कारण इमारतों और घरों के धराशायी होने का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। वर्तमान में यहां ज़रूरत है भूकंपरोधी निर्माण के मानकों को भी पूरा करने की। निजी बिल्डरों (Private Builders) और कंस्ट्रक्शन कंपनियों (Construction Companies) के साथ-साथ अब आम लोगों को भी इस ओर अपनी जागरुकता बढ़ाने की ज़रूरत है। आईये जानते हैं भूकंप प्रतिरोधी घरों के निर्माण और पहले से निर्मित मकानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ दिशानिर्देशों के बारे में।

नये मकान को भूकंपरोधी बनाने के उपाय
यदि हम निम्नलिखित उपायों को अपनाएं तो अपने मकानों को आसानी से भूकंपरोधी बना सकते हैं:

1. भूकंप इंजीनियरिंग (Engineering) संरचनाओं के क्षेत्र में कुछ नयी परियोजनाएं प्रस्तुत की गई हैं। इंजीनियर ऐसी भूकंपरोधी इमारतें बनाने के प्रयत्न में लगे रहते हैं जो शक्तिशाली भूकंप के झटकों को भी आसानी से झेल लें। जैसे कि, न्यूज़ीलैंड के दूसरे सबसे बड़े शहर क्राइस्टचर्च में आये भूकंप के अध्ययन के आधार पर इंजीनियरों का मानना है कि प्रीकास्ट कंक्रीट (Precast concrete) भूकंपरोधी निर्माण के लिये बेहतर है; एक जापानी निर्माण कंपनी ने एक छह-फुट घनाकृतिक भूकंप आश्रय विकसित किया है, जो एक संपूर्ण इमारत को भूकंप-रोधी के विकल्प के रूप में सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा भूकंप समृद्ध देशों में सुपरफ्रेम (Superframe) भूकंपरोधी संरचना, स्टील प्लेट (Steel Plate) की दीवार प्रणाली, संयुक्त कंपन नियंत्रण समाधान आदि परियोजनाएं है जो मकान या बिल्डिंग को भूकंपरोधी बनाने में सहायता प्रदान करती हैं।

2. भारत के भूकंपीय ज़ोनिंग मानचित्र (Earthquake zoning map) के ज़ोन IV में आने वाली पहले से निर्मित इमारतों के मूल्यांकन के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) के अंतर्गत बिल्डिंग कोड IS: 4326-1993 “भूकंपरोधी अभिकल्पना और इमारतों के निर्माण के लिए भारतीय मानक कोड, दूसरा संशोधन” में दिए गए खतरे के स्वीकार्य स्तर, भवन प्रारूपताओं तथा निर्माण में प्रयुक्त सामग्रियों और विधियों की तुलना इस निर्मित इमारत से की जाती है। यदि यह इमारत इन सभी निर्देशों का पालन करती है तो इसे भूकंप सुरक्षित घोषित कर दिया जाता है, और यदि नहीं, तो इसको और सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है।

भवन निर्माण संहिता IS: 4326-1993 के अनुसार विभिन्न श्रेणी की इमारतों की भूकंपीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं:

दीवारों की सुरक्षा के लिए

  • नींव और दीवारों में प्रयोग किया गया कंक्रीट मसाला
  • दीवारों में दरवाज़ा और खिड़की के मुख के आकार और स्थान का ध्यान रखें
  • फर्श से छत तक दीवार की ऊँचाई का ध्यान रखें
  • प्लिंथ स्तर, दरवाज़ा और खिड़की लिंटेल (Lintel) स्तर, समतल फर्श, आदि पर क्षैतिज भूकंपीय बैंडों के लिये बनाये गये प्रावधानों को ध्यान में रखें, ये बैंड भूकंप के झटकों से पूरी इमारत की अखंडता को एक इकाई के रूप में बनाए रखते हैं। भूकंप सुरक्षा के अलावा, ये दीवारों की स्थिरता भी बढ़ाते हैं।

छतों या फर्श की सुरक्षा के लिए ध्यान में रखने वाले कारक

  • प्रीकास्ट तत्वों के साथ बनाये गए छत/फर्श
  • केंटिलिवर (Cantilever) बालकनियाँ
  • जैक आर्च की छत या फर्श

3. कंक्रीट का सही मिश्रण बनने पर ही उससे पर्याप्‍त मज़बूती प्राप्त होती है, इसलिए मिश्रण में सभी सामग्री उचित मात्रा में मिलवाएं तथा उसे सही ढंग से मिलवाने के बाद ही उपयोग में लाएं। यदि कंक्रीट के मिश्रण में चार भाग रेत और एक भाग सीमेंट हो, तो यह भूकंप में काफी मज़बूत होता है।

4. मिट्टी मार्टर का उपयोग सबसे कमज़ोर चिनाई पैदा करता है। शुष्क स्थिति में इसकी ताकत 50 प्रतिशत से भी कम हो जाती है। बरसात के महीनों में इस तरह की चिनाई को बचाने के लिए पलस्तर का उपयोग आवश्यक है।

5. सरिया चाहे कम हो अथवा ज़रूरत से ज्‍यादा, दोनों ही अवस्थाएँ नुकसानदायक होती हैं। इसलिए मकान बनवाते समय जितनी आवश्‍यकता हो, उतने ही सरिये का इस्‍तेमाल करें।

6. किसी भी दो मंजिलों के बीच की लम्बी दीवारें छोटी दीवारों की तुलना में कमजोर होती हैं। मंजिल की ऊंचाई को मोटाई अनुपात से सीमित करके नियंत्रित किया जाता है।

7. एक कमरे की सभी चार दीवारों को प्रत्येक कोने पर ठीक से जोड़ा जाना चाहिए।

8. मकान को बनाने से पहले उसका नक्‍शा किसी योग्‍य आर्किटेक्‍ट (Architect) से बनवाएं।

9. जिस स्थान पर मकान बना रहे हैं, वहां की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। इससे यह पता लगेगा कि मिट्टी में मकान के वज़न को सहने की कितनी क्षमता है।

भूकंप रोधी घर के लिए जांच सूची:
यदि आपका मकान पुराना है या अभी-अभी बना है तो निम्नलिखित बिंदुओं को ज़रूर जांचे:

1. क्या आपका मकान 1992 में या उसके बाद बना है। यदि हां, तो संभवत आपका मकान भी भूकंप के लिए तैयार है क्योंकि इस वर्ष में नए भूकंप प्रतिरोध मानकों को कोडों में पेश किया गया था।
2. क्या आपके मकान का नक्‍शा किसी योग्‍य आर्किटेक्‍ट से बनवाया गया था?
3. कहीं आपका मकान भूतकाल में किसी भूकंप से प्राभावित तो नहीं हुआ? यदि हां, तो क्या उसकी मरम्मत की गयी?
4. आपके घर का आकार कैसा है, नियमित या अनियमित? नियमित आकार वाले घर अधिक भूकंप रोधी होते हैं।
5. क्या आपके घर की बाहर की दीवार 6 इंच मोटी है और दिवारों में मानक आकार के सरिये का उपयोग हुआ है?
6. मकान की नींव ईंटों के स्‍थान पर आर.सी.सी. या कंक्रीट की बनी है या नहीं? ईंटों की तुलना में कंक्रीट की बनी नींव ज्यादा मज़बूत होती है।

संदर्भ:

1. https://en.wikipedia.org/wiki/Earthquake-resistant_structures
2. http://nidm.gov.in/PDF/safety/earthquake/link7.pdf
3. http://nidm.gov.in/PDF/safety/earthquake/link2.pdf
4. https://bit.ly/2FxlnG6


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