मकर संक्रांति का त्यौहार भारत के प्रमुख त्यौहारों में शामिल है, जिसमें सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण में आने का स्वागत किया जाता है तथा इसे अग्रणी फसल के कट कर घर में आने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति के पर्व को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी, तथा बिहू आदि कुछ ऐसे पर्व हैं जिन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति के रूप में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। परंतु इस दिन ‘तिल’ का हर जगह किसी न किसी रूप में प्रयोग होता ही है और इसके उपयोग होने के पीछे न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है।
हिंदू खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ होती है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन, सूर्य उत्तरायण से अपनी यात्रा शुरू करता है, इस दिन के बाद दिन लंबे और गर्म होने लगते हैं। यह पर्व शिशिर ऋतु की विदाई और बसंत के अभिवादन का संकेत देता है। हिंदू कैलेंडर (Calendar) के अनुसार, एक वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। इस पर्व का उल्लेख भागवत गीता और महाभारत में भी किया गया है।
मकर संक्रांति में तिल का धार्मिक महत्व
हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन तिल दान से, तिल को जल में डाल कर स्नान करने से तथा तिल के सेवन से, पापों से मुक्ति मिलती है, निराशा समाप्त होती, सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि तिल के बीज को भगवान यम का आशीर्वाद प्राप्त है और इसलिए इसे अमरता के प्रतीक के रूप में माना जाता है, और इसकी धरती पर उत्पत्ति भगवान विष्णु की पसीने की एक बूंद से हुई है। साथ ही साथ ये लक्ष्मी और विष्णु का भी प्रतीक है जो समृद्धि लाता है। भारत के कई कृषि समुदायों में यह पर्व नए साल का रूप होता है, जो तिल से जुड़ा होता है। यह भारत की सबसे प्राचीन तिलहन फसलों में से एक है तथा जीवन के प्रतीक के रूप में कई अनुष्ठानों का हिस्सा भी है।
मकर संक्रांति के मौके पर तिल और गुड़ के लड्डू तथा तिल से बनी तरह-तरह की मिठाइयां खायी और वितरित की जाती हैं, ये ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं बल्कि यह कई गुणों से भी भरपूर होती हैं। तिल से बनी मिठाइयों को वितरित करने से पहले, उन्हें किसी भगवान या देवता को भोग लगाया जाता है। इससे हमारे जीवन में शक्ति (दिव्य ऊर्जा) और चैतन्य बना रहता है। साथ ही साथ हमारे अंदर आध्यात्मिक भावना और चैतन्य जागृत होते हैं। यह लोगों में प्रेमभाव बढ़ाता है और नकारात्मक सोच को दूर करके उसे सकारात्मक सोच में बदल देता है। तिल की मिठाई का सेवन करने से आंतरिक शुद्धि होती है तथा इसको एक दूसरे को वितरित करने से, सात्विकता का आदान-प्रदान होता है।
मकर संक्रांति में तिल का वैज्ञानिक महत्व
अगर वैज्ञानिक आधार की बात करें तो तिल के सेवन से शरीर गर्म रहता है और इसके तेल से शरीर और बालों को भरपूर पोषण तथा नमी भी मिलती है। दरअसल सर्दियों में शरीर का तापमान गिर जाता है और तिल तथा गुड़ खाने से शरीर गर्म रहता है। इसलिए इस त्यौहार में ये चीजें खाई और बनाई जाती हैं। तिल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम (Calcium), आयरन (Iron), ऑलिक एसिड (Oleic acid), खनिज, फास्फोरस (Phosphorous), मोलिब्डेनम (Molybdenum), प्रोटीन (Protein), विटामिन बी (Vitamin B), बी1, बी6 और ई होता है। प्रोटीन से भरपूर, तिल शाकाहारियों के लिए बेहद ज़रूरी है तथा ये फाइबर (Fibre) से भरपूर होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। कहा जाता है कि इसमें मौजूद कॉपर (Copper) और एंटी-ऑक्सीडेंट (Anti-Oxidant) से गठिया से जुड़े दर्द और सूजन में राहत मिलती है।
तिल में पाया जाने वाला मैग्नीशियम (Magnesium) सांस की बीमारी और अस्थमा से राहत देता है। इसमें मौजूद जिंक (Zinc) और कैल्शियम, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं। तिल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (Monounsaturated Fatty Acid) और ओलिक एसिड उच्च मात्रा में मौजूद होते हैं, जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण में भी लाभकारी है तथा इसके सेवन से कैंसर होने के खतरों में भी कमी आती है। यह मांसपेशियों के ऊतकों और बालों को मज़बूत बनाए रखता है, तथा विकिरण या कीमोथेरेपी (Chemotherapy) या रेडियोथेरेपी (Radiotherapy) के हानिकारक प्रभावों से डीएनए (DNA) की रक्षा करने में बहुत फायदेमंद माना जाता है।
संदर्भ:
1.https://bit.ly/2AJPkP4
2.https://bit.ly/2Comofx
3.https://bit.ly/2QKnrfe
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.