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नववर्ष के आगमन के साथ ही लखनऊ की सड़कों पर भी इसका उत्साह देखने को मिला। सभी लोग अपने परिजनों के साथ नववर्ष को मनाने के लिए घर से निकले, जिससे लखनऊ की सड़कों में वाहनों की आवाजाही भी बढ़ गयी। वाहनों के इस सैलाब के आगे ट्रैफिक पुलिस विभाग द्वारा की गयी व्यवस्था भी शिथिल पड़ गयी। वाहनों की यह भीड़ पार्क, मंदिर, होटल और मॉल तथा अन्य पर्यटक स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों (लोहिया पथ, शहीद पथ, पॉलिटेक्निक क्रॉसिंग, हजरतगंज, विभूति खंड, महानगर, भूतनाथ, इंदिरानगर, न्यू हैदराबाद, पार्क रोड आदि) पर अधिक देखने को मिली, जिसने एक ट्रैफिक जाम का रूप धारण कर लिया। इस जाम के कारण लोगों को अपने गन्तव्य तक पहुंचने में घंटों तक इंतजार करना पड़ा, जिसका प्रभाव उनके कार्यक्रमों पर पड़ा कईयों को तो अपने कार्यक्रम ही बदलने पड़ गये। यह जाम विलंब कारण ही ना बना वरन् यह कई लोगों की जिंदगी में भी कहर बनकर टूट पड़ा, इस दौरान सामान्य दिनों की तुलना में सड़क दुर्घटना में 15% वृद्धि देखने को मिली। 31 दिसंबर और 1 जनवरी की रात में 65 सड़क दुर्घटना पीड़ितों को केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में ले जाया गया था, यहां प्रत्येक दिन सड़क दुर्घटना के औसतन 40 मामले ही आते हैं। इन 65 में भी 15 नशे की हालत में थे, जिनमें से 3 की मृत्यु हो गयी थी। आसपास के अन्य अस्पतालों में भी इनकी संख्या में वृद्धि देखी गयी थी।
वहीं, सेंट्रल दिल्ली में लोगों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए पुलिस के आदेश पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) द्वारा दोपहर 2.50 बजे से केंद्रीय सचिवालय, मंडी हाउस, प्रगति मैदान और उद्योग भवन मेट्रो स्टेशनों के निकास द्वार बंद कर दिए गए थे। पुलिस द्वारा बताया गया था कि सी-हेक्सागोन के आसपास पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद इंडिया गेट के आसपास लोग इकट्ठे होने लगे थे। वहीं रिठाला मेट्रो स्टेशन, जीपीओ नई दिल्ली गोल चक्कर के पास, नजफगढ़ मार्केट का बाहरी रोड, सावित्री सिनेमा के पास, कालकाजी मंदिर की ओर, बंगला साहिब गुरुद्वारे के बाहर और झंडेवालान मेट्रो स्टेशन के पास जाम रहा। नए साल की शुरुआत पर पब और रेस्तरां के साथ ही सभी जगहों पर भारी भीड़ देखी गई। साउथ एक्सटेंशन, डिफेंस कॉलोनी, खान मार्केट और वसंत कुंज के आसपास की सड़कों पर मंगलवार दोपहर ट्रैफिक की गति धीमी रही थी। पिछले साल, नए साल पर 2.5 लाख से अधिक लोग कनॉट प्लेस और इंडिया गेट के आसपास एकत्रित हुए, जिससे घंटों तक सड़कों पर भारी जाम देखने को मिला था, और ट्रैफिक को संभालना मुश्किल हो गया था, इसको मध्यनजर रखते हुए पुलिस विभाग द्वारा जारी एक परामर्श में लोगों से अपने निजी वाहनों का उपयोग करने के बजाय सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने की अपील की गई थी।
नए साल के पहले दिन सभी लोग आमतौर पर जश्न के साथ इस साल की शुरुआत करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि हम ऐसा क्यों करते हैं। जैसे हम अपना जन्मदिवस बड़ी धुमधाम से मनाते हैं, वैसे ही हम नए साल को अपने 365 दिनों को पुरा करने के बाद जीवन को एक ओर अवसर प्रदान करने के उपलक्ष पर मनाते हैं। वहीं हम में से कई लोग नए साल में स्वस्थ रहने, सुधार करना या अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखने जैसे संकल्प लेते हैं, क्योंकि भविष्य अस्थिरता से अनभिज्ञ है, कोई नहीं जानता कल क्या होने वाला है। ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक रिचर्ड विस्मेन के एक 2007 के अध्ययन में पाया गया कि, हम में से अधिकांश लोग, जो कहते हैं कि "नव वर्ष दिवस पर कुछ भी बदलाव नहीं हुआ" सत्य है। 3,000 लोगों वही करते हैं जो उन्होंने पिछले वर्ष किया था, 88% उनके संकल्प के लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहते हैं, हालाँकि उन्में से 52% को भरोसा रहा था कि वे संकल्प को पुरा करने में सक्षम रहेंगे।
दुनिया भर की सभ्यताएं लगभग चार सहस्त्राब्दियों से नए वर्ष की शुरुआत का जश्न मनाती आ रही हैं। हालाँकि ये जरुरी नहीं है कि दुनिया के सभी देशों में 1 जनवरी को ही नया साल मनाया जाता हो, परंतु आज अधिकांश लोग नए साल के उत्सव को 31 दिसंबर (ग्रेगोरियन कैलेंडर का अंतिम दिन) की शाम से शुरू करते हैं, और 1 जनवरी तक मनाते हैं। इस उत्सव में पार्टी करना, विशेष पकवानों को खाना, नए साल के लिए नये संकल्प लेना, आतिशबाजी का प्रदर्शन आदि परंपराएं शामिल होती हैं। परंतु क्या आपने सोचा है कि नए वर्ष 1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं और सबसे पहला नए वर्ष का उत्सव कब बनाया होगा?
दरअसल नये साल का उत्सव, 4,000 साल पहले प्राचीन बेबीलोन में उत्पन्न हुआ था, यहां के लोगों ने मार्च के अंत में जब दिन और रात समान होते हैं नए साल की शुरुआत के रूप में चुना। यह वसंत के पहले दिन से ग्यारहवें दिन तक के त्योहार के रूप में मनाया जाता था। उन्होंने इस अवसर को बड़े पैमाने पर धार्मिक उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया जिसे अकीतु (Akitu) कहा जाता था। इस समय के दौरान, कई संस्कृतियों ने साल के "पहले" दिन को तय करने के लिए सूर्य और चंद्रमा चक्र का उपयोग किया। माना जाता है कि शुरुआती रोमन कैलेंडर में 10 महीने और 304 दिन शामिल थे और प्रत्येक वर्ष नया साल वसंत विषुव (मार्च) को मनाया जाता था, परंपराओं के अनुसार, यह उत्सव रोम के संस्थापक रोमुलस द्वारा आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था। एक बाद के राजा, नुमा पोम्पीलिअस को रोमन कैलेंडर में जनवरी और फरवरी को जोड़ने का श्रेय दिया जाता है। इसके बाद रोम के सम्राट जूलियस सीज़र ने अपने समय के सबसे प्रमुख खगोलविदों और गणितज्ञों के साथ परामर्श करके 45 ईसा पूर्व जुलियन कैलंडर बनवाया था जो कि आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर जैसा दिखता है, जिसे (ग्रेगोरियन कैलेंडर) आज दुनिया भर के अधिकांश देश उपयोग करते हैं। जूलियस सीजर ने 1 जनवरी को वर्ष के पहले दिन के रूप में स्थापित किया था। तब से लेकर आज तक दुनिया के ज्यादातर देशों में 1 जनवरी को ही साल का पहला दिन माना जाता है।
1.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/2019-begins-with-jammed-streets-cancelled-plans/articleshow/67342237.cms
2.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/new-years-eve-crashes-three-killed-108-injured-in-lucknow/articleshow/67342236.cms
3.https://www.hindustantimes.com/delhi-news/traffic-jams-across-delhi-hit-new-year-festivities-to-get-worse-by-evening/story-0bT7t5vnQUIEC0tFa6qUEJ.html
4.https://www.psychologytoday.com/us/blog/how-risky-is-it-really/201312/why-we-really-celebrate-new-years-day
5.https://www.history.com/topics/holidays/new-years