नवाबों का शहर लखनऊ, अदबो तमीज़ और भव्यता से भरा है, यह अपनी खूबसूरत पुरानी इमारतों, स्मारकों, पुराने मकबरे, ब्रिटिश वास्तुकला आदि के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। आज हम इसी खूबसूरत शहर के एक खूबसूरत पुल के बारे में बताने जा रहे हैं। ये पुल गोमती नदी के तट पर बना हुआ है, जिसे हार्डिंग ब्रिज के नाम से जाना जाता है। इसको हम सभी पक्का पुल या लाल पुल के नाम से भी जानते हैं। यह पहला पुल था जो गोमती नदी पर बनाया गया था।
यह पुल सौ वर्षों से भी पुराना है। यदि इतिहास में मौजूद तथ्यों पर हम नज़र डालें तो पता चलता है कि इस पुल का निर्माण अवध के नवाब आसफ़उद्दौला द्वारा करवाया गया था। कहा जाता है कि यह पुल उस समय पत्थरों का बना हुआ था और शाही पुल के नाम से जाना जाता था। क्योंकि इसे पार करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को नवाब आसिफुद्दौला की बेगम शमशुन निशां को कर का भुगतान करना पड़ता था। परंतु प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) की आंच से घबराए अंग्रेजों ने अवध संभाला तो उन्होंने पुल को कमज़ोर बताया। अंग्रेजों का कहना था कि सेना तथा लोगों की आवाजाही और तोपों के आने-जाने से ये पुल कमज़ोर हो गया है। और फिर 1911 में नवाबी पक्के पुल को अंग्रेजों ने पूरी तरह से तोड़ दिया तथा साथ ही नए पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया। यह पुल 10 जनवरी 1914 में बन कर तैयार हो गया था, इसका उद्घाटन लार्ड हार्डिंग द्वारा किया गया था।
ब्रिटिश शासन के दौरान हार्डिंग पुल नामक एक और पुल का निर्माण बांग्लादेश में भी किया गया था। यह एक स्टील रेलवे पुल है जोकि पद्मा नदी पर बना हुआ है। यह पुल 1.8 किलोमीटर लंबा है तथा इसका नाम लॉर्ड हार्डिंग के नाम पर ही रखा गया है, जो 1910 से 1916 तक भारत के वायसराय(Viceroy) थे। इस पुल का निर्माण 1910 में शुरू हुआ था, हालांकि इसके निर्माण का प्रस्ताव 20 साल पहले पारित हो गया था। इसका निर्माण सर अलेक्जेंडर मीडोज रेंडेल के डिजाइन के आधार पर ब्रेथवेट और किर्क कंपनी द्वारा किया गया था। यह 1912 में पूरा हुआ और 1915 में इस पर रेलों की आवाजाही शुरू हो गई थी।
अंग्रेजों के शासन काल में पी.डब्ल्यू.डी. की ओर से लखनऊ के इस ऐतिहासिक हार्डिंग ब्रिज को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट (Contract) गुरप्रसाद को मिला, परंतु इसके के निर्माण में कई अंग्रेज़ अधिकारियों की टीम भी लगी हुई थी। इस टीम में तीन एग्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर (Executive engineer) - मेजर एस.डी.ए. क्रुकशैंक, ए.सी. वैरियर्स और कैप्टन जे.ए. ग्रीम; दो सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर (Superintending engineer) - एच.एस. विब्लुड और आर.जे. पावेल तथा दो असिस्टेंट इंजीनियर (Assistant engineer) - सी.एफ. हंटर और एस.सी. एडगर्ब शामिल थे। इस पुल में बहुत ही सुंदर 6-6 नक्काशीदार अटारियां यानी कि बालकनी (Balcony) बनवाई गई थीं। इसके दोनों ओर लगभग 10 मीटर ऊंचे कलात्मक स्तंभ भी बनवाए गये थे। इस पुल को उस समय लाल रंग से रंगा गया था इसलिए भी इसे लाल पुल या पक्का पुल कहा जाता है।
वर्तमान में इस पुल पर लोगों के आवागमन के साथ-साथ ट्रैफिक का लोड बढ़ भी गया था। इस समास्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार ने पक्का पुल के पास नया पुल बना कर तैयार किया है। हाल ही में ब्रिज कॉरपोरेशन के एक सर्वेक्षण के अनुसार, हार्डिंग ब्रिज हर दिन लगभग पांच लाख यात्रियों और एक लाख वाहनों (जिसमें थ्री व्हीलर, दोपहिया और भारी वाहन शामिल हैं) की आवाजाही का माध्यम बनता है। परंतु नये पुल के निर्माण से पुराने पुल पर ट्रैफिक कम हो गया है।
यह नव निर्मित पुल देखने में हार्डिंग ब्रिज के समान ही है और इसे 2016 के अंतिम चरण में नागरिकों के लिए खोल दिया गया था। पुल का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा किया गया था। यह पुराने पुल की तुलना में थोड़ा लंबा (लगभग 300 मीटर लंबा और 10.5 मीटर चौड़ा) है। यूपी स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन (UP State Bridge Corporation) के अनुसार इस पुल का निर्माण लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत के साथ हुआ है। यह पुल त्रिवेणी नगर, खदरा, फैजुल्लागंज-हुसैनाबाद और चौक जैसे क्षेत्रों को जोड़ता है और ये राज्य का सबसे अनूठा पुल है क्योंकि इसका डिजाइन नवाबी युग में निर्मित पुल के डिजाइन के समान रखा गया है।
संदर्भ:
1.http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B2_%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A4%8A
2.https://www.amarujala.com/lucknow/history-of-lucknow-2
3.https://www.pressreader.com/india/hindustan-times-lucknow/20160805/282505772980540
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Hardinge_Bridge
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.