प्राचीन मध्य पूर्व सभ्यताओं का एक नमूना लखनऊ संग्रहालय में

लखनऊ

 29-12-2018 11:09 AM
सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

हजारों साल पुरानी हमारी इस धरती का इतिहास और भूगोल दोनों ही समय के साथ-साथ बदलता रहा है। इस संसार में सभ्यता का आरम्भ कब और कहां हुआ, इस बात पर आज भी लोगों के अलग-अलग विचार हैं। अभी तक कई सभ्यताओं को खोजा जा चुका है जो प्रचीन समय में भलि-भाति फल फूल रही थी। आज हम बात करेंगे मध्य पूर्व की सभ्यताओं के बारे में। परंतु उससे पहले आपको ये जानने की आवश्यकता है की मध्य पूर्व में कौन-कौन से क्षेत्र आते है।

मध्य पूर्व, दक्षिण-पश्‍चिमी और मध्य एशिया का एक क्षेत्र है जिसमें उत्तरी अफ्रीका का क्षेत्र भी शामिल है, इस इलाके की कोई सरहद नहीं है। दक्षिण-पश्चिम एशिया को छह भागों में विभाजित किया गया है: एशिया माइनर (तुर्की का एशियाई भाग), दक्षिण कॉकेशिया (जॉर्जिया, आर्मेनिया, और अजरबैजान), इराक, ईरान, अरब और लेवंट (सीरिया, लेबनान, फिलिस्तीन और जॉर्डन) तथा उत्तरी अफ्रीका को मिस्र और मग़रेब में विभाजित किया जा सकता है। मध्य एशिया के अंतर्गत कज़ाकस्तान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान आदि आते है। इन सभी क्षेत्रों को इसे मध्य एशिया का हिस्सा माना जा सकता है।

यदि बात करे प्रचीन मध्य पूर्व क्षेत्र की तो ये दुनिया की सबसे बड़ी प्राचीन सभ्यताओं में से कुछ का घर है। पहली सभ्यता का जन्म दक्षिणी इराक में मेसोपोटामिया की सभ्यता (3500 ई.पू) के रूप में हुआ था। इसे "सुमेर" या "सुमेरिया" के नाम से भी जाना जाता है और सुमेरियन संस्कृति की बस्तियां दुनिया के पहले शहरों के रूप में विकसित हुई थी। यह सभ्यता दजला (टिगरिस) और फुरात (इयुफ़्रेट्स) नदियों के बीच के क्षेत्र में विकसित हुई थी।

दुनिया की शुरुआती चार सभ्यताएँ (मेसोपोटामिया, मिस्र, भारत और चीन) नदियों के क्षेत्र में विकसित हुई थी। जल, मछली और परिवहन के अलावा, नदियों ने इन बड़ी सभ्यताओं को समृद्ध कृषि भूमि भी प्रदान की थी। करीब 10,000 ई.पू. दक्षिण-पश्चिम एशिया में कृषि जीवन का विकास देखा गया। यह कुछ शताब्दियों के भीतर ही, टिगरिस और इयुफ़्रेट्स के मैदानों में खेती बहुतायात में होने लगी थी। स्वाभाविक रूप से, जैसे-जैसे ये समुदाय बढ़ते गए, वैसे-वैसे उनकी भोजन और वस्तुओं की मांग भी बढ़ती गई जिसके कारण कृषि तकनीकों में विकास, नहर सिंचाई के माध्यम से खेती को बढ़ावा, घर निर्माण व विस्तार, पड़ोसियों के साथ व्यापार संबंन्धो का विस्तार आदि का विकास हुआ, जिसने बड़ी मात्रा में नवाचारों को मजबूर किया जिनमें मौलिक रूप से लेखन, गणित आदि शामिल थे। इस प्रकार मध्य पूर्व में सभ्यताओं का विकास हुआ, मानव की आवश्यकताओं और इच्छाओं ने निरंतर विकास और नवाचार को बढ़ावा दिया। निम्न्वत तालिका में आप मध्य पूर्व के क्षेत्रों में विकासित सभ्यताओं को देख सकते है:

मध्य पूर्व की कुछ प्रमुख सभ्यताएं:

मेसोपोटामिया:
मेसोपोटामिया प्राचीन सभ्यता से जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण इलाक़ा है। यह एक कांस्य युगीन सभ्यता थी जहां दुनिया के पहले विकसित शहर देखे गये। यह शहर स्वतंत्र राजनीतिक शक्ति को दर्शाता है। यहां पर समाज कई वर्गो में बंटा हुआ था जिसकी सत्ता आमतौर पर सम्राट और छोटे कुलीन समूहों के हाथों में केंद्रीकृत होती थी। धीरे-धीरे राजशाही परिवारों ने अपने शहरों की सीमा के विस्तार के लिये कई शहरों पर अपना प्रभुत्व बनाया, इस प्रकार के बहु-शहर राज्य आमतौर पर साम्राज्य कहे जाने लगे। यहाँ सुमेरियन, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। नीचे दी गई तालिका में आप इन साम्राजों का कालक्रम देख सकते है:

अंत में, मेसोपोटामिया आमतौर पर 3500-550 ईसा पूर्व की अवधि की दौरान दक्षिण पश्चिम एशिया की प्रमुख शक्ति थीं और ये विभिन्न पड़ोसी राज्यों से घिरी थी तथा ये सभी मेसोपोटामिया के राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व के अधीन थे।

प्राचीन मिस्र:
प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3000 ई.पू. के आस-पास, मिस्र के राजनीतिक एकीकरण के साथ समाहित हुई। मेसोपोटामिया की तुलना में यहां का शहरीकरण बहुत कमजोर था परंतु यहां राजनीतिक स्थिरता थी। प्राचीन मिस्र की सभ्यता की सफलता, नील नदी घाटी की परिस्थितियों के अनुकूल ढलने की क्षमता से आंशिक रूप से प्रभावित थी। प्राचीन मिस्र के महान इतिहास को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है, इनमें से प्रत्येक अवधि के दौरान, मिस्र एक एकीकृत राज्य के रूप में संपन्न हुआ।

प्रारम्भिक राजवंशीय काल:
प्रारंभिक राजवंशीय काल प्राचीन मिस्र का प्रारंभिक युग था। दूसरे शब्दों में, इस अवधि के दौरान ही मिस्र ने वृद्धि और विकास (राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक) का अनुभव किया था जिसने अंततः परिपक्व मिस्र सभ्यता का निर्माण किया था। परिपक्व होने के बाद, यह सभ्यता तीनों साम्राज्य काल में फलती-फूलती रही।

प्राचीन साम्राज्य:
प्राचीन साम्राज्य के दौरान, फिरौन ने मिस्र के राज्य पर मजबूत केंद्रीकृत शासन का इस्तेमाल किया। यह राज्य विशाल स्मारकों के निर्माण को प्रायोजित करने और शाही कार्यशालाओं में कला के असाधारण कार्य शुरू करने में सक्षम हुआ। यह गीज़ा में तीन मुख्य पिरामिड सहित अन्य पिरामिड प्राचीन मिस्र की सभ्यता और उसे नियंत्रित करने वाले फ़ैरोओं की शक्ति के सबसे यादगार प्रतीक हैं। प्रारम्भिक राजवंशीय काल और प्राचीन साम्राज्य काल में मिस्र की राजधानी आमतौर पर मेम्फिस थी, जो उत्तरी मिस्र (आधुनिक काहिरा के पास) में स्थित थी।

मध्य साम्राज्य:
मध्य साम्राज्य के फैरोओं ने देश की समृद्धि और स्थिरता को बहाल किया और इस तरह मध्य साम्राज्य के फैरोन केंद्रीय शासन को फिर से स्थापित करने में असमर्थ थे। पूरे मध्य और नए साम्राज्य में मिस्र की राजधानी आमतौर पर दक्षिणी मिस्र में स्थित थेब्स थी। मध्य साम्राज्य हिक्सोस ("विदेशी शासक") के आक्रमण के साथ समाप्त हो गया। जिसने अस्थायी रूप से मिस्र के कई हिस्सों पर शासन किया था। बाद में मिस्र में हिक्सोस का वजूद स्थायी रूप से समाप्त हो गया और नवीन साम्राज्य उदय हुआ।

नवीन साम्राज्य:
नवीन साम्राज्य के दौरान फिरौन ने एक बार फिर मजबूत केंद्रीकृत शासन किया और अपनी सीमाओं को सुरक्षित और अपने पड़ोसियों के साथ कूटनीतिक संबंधों को मजबूत बनाते हुए एक अभूतपूर्व समृद्धि के काल की स्थापना की। इस समय मिस्र, शक्तिशाली और धन से समृद्ध बना था। अवधि 1000-550 ईसा पूर्व के दौरान मिस्र की अर्थव्यावथा बिगड़ने लगी और मिस्र की शक्ति क्षीण होने लगी। बाद में मिस्र को फ़ारसी द्वारा 550 ईसा पूर्व जीत लिया गया था, और स्वतंत्र प्राचीन मिस्र की सभ्यता अंत हो गया।

लखनऊ के चिड़ियाघर में बना राज्य संग्रहालय भी प्राचीन मिस्र के इतिहास को दर्शाता है। यहाँ पर तीन हजार साल पुरानी ममी को रखा गया है। यह ममी एक 13 वर्षीय लड़की की है जिसे 1952 में संग्रहालय ने एक संग्रहकर्ता (ब्रिटिश राष्ट्रीय जे जे ई पॉटर) से खरीदा था। अब राज्य संग्रहालय में मिस्र के इतिहास को दर्शाने के लिये एक अलग मंजिल समर्पित कर दी गई है। इसमें एक इजिप्ट गैलरी तैयार हो गई है जहां इस ममी को भी रखा गया है। गैलरी को इजिप्ट जैसा ही लुक दिया गया है। यहां आपको 600 ईसा पूर्व की ममी के अलावा 400 ईसा पूर्व के एक ताबूत और पिरामिड भी देखने को मिलेंगे। देश के किसी और संग्रहालय में इजिप्शियन गैलरी नहीं है। गैलरी में मिस्र के उस दौर की कई कलाकृतियां भी बनाकर लगाई गई हैं। पेंटिंग्स से भी प्राचीन मिस्र के दौर को दिखाया गया है। ऐसे में लोगों को यहां असली पिरामिड के भीतर पहुंचने जैसा लगेगा।

फिनिशिया और इजराइल:
मिस्र के अंत के बाद फिनीशियन-यहूदी युग (1000-550 ईसा पूर्व) भी आरंभ हुआ, इस अवधि में फिनीशियन और यहूदी दोनों सभ्यता अपने शिखर पर थी। मिस्र के नवीन साम्राज्य में लेवंत क्षेत्र शामिल था, जहां फिनीशियन और यहूदी दोनों ही बस गए थे। इस प्रकार मिस्र के अंत ने इन छोटी सभ्यताओं के लिए फूल का रास्ता खोल दिया (फिनीशियन और यहूदी संस्कृतियाँ अपने दोनों महाशक्तिशाली पड़ोसियों मेसोपोटामिया और मिस्र से बहुत प्रभावित थीं)। स्वतंत्र यहूदी सभ्यता कई शताब्दियों तक फलती-फूलती रही, जब तक कि फिलिस्तीन को आखिरकार मेसोपोटामिया पर विजय नहीं मिल गई। इसके बाद यहूदियों को अक्सर गंभीर रूप से सताया जाता था। इसके चलते कई यहूदियों को दूर निर्वासित कर दिया गया, जबकि अन्य लोगों ने उत्पीड़न से बचने के लिए स्वेच्छा से पलायन किया।

फारस:
फारसी साम्राज्य (550 ईसापूर्व से 650 शताब्दी) फारस (आज का ईरान और उसके प्रभाव के इलाके) से शासन करने वाले विभिन्न वंशों के साम्राज्य को सम्मिलित रूप से कहा जाता है। पश्चिमी मैदानों से कुछ खानाबदोश लोग ईरान पहुंचे थे, वे लोग "फ़ारसी" थे जो फ़ारसी भाषा को बोलते थे। पहले फारसी साम्राज्य की स्थापना “साइरस महान” ने की थी, 550 ईसा पूर्व, ये साम्राज्य तेजी से दक्षिण पश्चिम एशिया और मिस्र की प्रमुख शक्ति बन गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसे अब तक देखा गया था। ईसा पूर्व 330 में सिकंदर के आक्रमण के सामने यह साम्राज्य टिक न सका। सिकंदर ने इसे मैसिडोनिया से पाकिस्तान तक फैला दिया। सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेनापतियों ने उसके साम्राज्य को आपस में बाँट लिया। जिसके परिणामस्वरूप सेल्युकसी साम्राज्य (जो दक्षिण पश्चिम एशिया पर हावी था) और टॉलेमिक साम्राज्य (जो मिस्र पर शासन करता था) का उदय हुआ। इसके बाद दक्षिण-पश्चिम एशिया का नियंत्रण सेल्युकसी साम्राज्य से पार्थियन साम्राज्य के पास चला गया और फिर द्वितीय फारसी साम्राज्य तक। पार्थियन साम्राज्य के पतन के बाद पार्थियन यहां से चले गये। आज फारसी ईरान और दक्षिणी मध्य एशिया की प्रमुख भाषा है। भले ही फारस को इस्लामी दुनिया से जोड़ा जाता हो, लेकिन फारसी संस्कृति, फ़ारसी और इस्लामी संस्कृति का मिला जुला रूप है, जिसे फ़ारसी सभ्यता के रूप में जाना जाता है।

संदर्भ:
1.https://bit.ly/2CDL5Gr
2.https://bit.ly/2Av2uzJ
3.https://bit.ly/2AkxNgc



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