क्या था भरत का संयुक्त क्रिस्चियन आश्रम आन्दोलन?

लखनऊ

 24-12-2018 10:00 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

20वीं शताब्दी में लगभग आधी शताब्दी से अधिक के लिए डॉ ई.स्टेनली जोन्स ने मसीह के सुसमाचार को लगभग सभी संस्कृति के लोगों के मध्य फैलाया और उनके व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर प्रयुक्त किया। स्टेनली जोन्स सबसे प्रसिद्ध ईसाई मिशनरी और प्रचारक थे।

स्टेनली जोन्स का जन्म 3 जनवरी, 1884 में बाल्टीमोर, मैरीलैंड में हुआ था। उन्होंने बाल्टीमोर के स्कूलों से अपनी शिक्षा प्राप्त की थी और 1906 में केंटकी, विलमोरे के अस्बरी कॉलेज से स्नातक होने से पहले ही सिटी कॉलेज में कानून का अध्ययन कर लिया था। वे अस्बरी कॉलेज के संकाय में थे जब उन्हें 1907 में मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च के मिशन के तहत भारत में मिशनरी सेवा के लिए बुलाया गया था।

भारत में उन्होंने निम्न वर्गों वाली जातियों के सदस्यों के बीच अपना काम शुरू किया। उन्होंने हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम या किसी भी अन्य भारतीय धर्म पर आक्रमण नहीं किया। उन्होंने पश्चिमी संस्कृति और सभ्यता से यीशु मसीह के सुसमाचार को फैलाया और कभी-कभी गैर-ईसाई व्यंजकों को भी। इन्हें अधिकांश लोगों द्वारा ब्रदर स्टेनली के नाम से पुकारा जाता था। इन्हें प्राचीन विश्वविद्यालयों और विद्वानों की सभा में प्रवचन देने के लिए बुलाया जाता था। वहीं जल्द ही उन्हें उनके चर्च द्वारा ईसाई सुसमाचार की व्याख्या (विशेष रूप से शिक्षित पुरुषों और महिलाओं के लिए) करने के लिए अलग कर दिया गया। और 1919 में इन्होंने मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च के बोर्ड ऑफ मिशन द्वारा भारत या जहाँ वे चाहें, के लिए ईसाई मत के प्रचारक की व्यापक भूमिका निभाने का अवसर प्रदान किया गया।

1925 में जब वे भारत से अपने घर लौटे तो भारत में कार्यों के दौरान उन्होंने क्या-क्या सिखाया और सिखा उसका एक विवरण लिखा। जिसे बाद में "द क्राइस्ट ऑफ द इंडियन रोड" नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया और यह एक सर्वश्रेष्ठ विक्रेता भी बनी। इसकी दस लाख से अधिक प्रतियां बिकी और पुस्तक ने मिशनरी सोच के कार्यप्रणाली को भी प्रभावित किया था। इसके बाद उन्होंने कई पुस्तकें लिखी जो काफी प्रसिद्ध भी हुई, उनकी किताबों ने विश्व भर में अपनी एक अलग छाप छोड़ दी। उन्होंने पुरुषों और महिलाओं को स्वयं के आध्यात्मिक स्वरूपों, खोजों और एक व्यक्ति का धर्म उसे क्या सिखाता है का गहराई से अध्ययन करने के लिए भारतीय "आश्रम" (या वन वापसी) को फिर से स्थापित करने में मदद की। इसके बाद बहुत से लोगों ने अपने धर्म की प्रशंसा की और ईसाई सुसमाचार को झूठा बताया, लेकिन कई लोग मसीह के जीवन के तरीके को अपनाने आए। व्यक्ति का व्यक्ति से और धर्म का धर्म के साथ टकरावों ने भारत के नेताओं के विचारों और अपने प्राचीन धर्मों के विचारों और गतिविधियों को बहुत प्रभावित किया।

फिर 1930 में, एक ब्रिटिश मिशनरी और भारतीय पादरी के साथ और ईसाई मिशनरी सिद्धांत की स्वदेशीकरण की ध्वनि का उपयोग करते हुए स्टेनली ने ईसाई अनुशासन के साथ "आश्रम" का पुनर्गठन किया। इस संस्थान को "ईसाई आश्रम" के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में ईसाई आश्रम को स्थानांतरित किया, जहां यह एक मजबूत आध्यात्मिक विकास मंत्रालय बना। इन्होंने विभिन्न जगहों में , ईसाई आश्रम, और अन्य आध्यात्मिक जीवन मिशन का प्रचार किया और लगभग हर देश में ईसाई आश्रमों का आयोजन किया।

संदर्भ:
1.https://bit.ly/2QELzo8



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id