हमारे भारत वर्ष में हम रामायण को महाकाव्य के रूप में जानते हैं और लगभग देश के अधिकांश लोगों को इसकी कहानी मालूम होगी। परन्तु रामायण एक ऐसी महाकथा है की अगर हम इसे छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़े तो एक नहीं बल्कि कई कहानियाँ बन जाएँगी जो की काफी दिलचस्प है।
आज हम रामायण में से अहिल्या के कहानी की बात करेंगे। अहिल्या ब्रह्मा द्वारा रची गयी एक अति सुन्दर स्त्री थी जिसका विवाह माहाऋषि गौतम से करवा दिया गया था जो की उम्र में उनसे काफी बड़े थें। रामायण के अनुशार देवराज इंद्र अहिल्या के रूप से मोहित होकर उसके पति गौतम का रूप धारण कर उन्हें छल से लुभा लेते हैं और जब गौतम बुध को इसका ज्ञात हुआ तो उन्हों नें क्रोध में आकर अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप दिया की वह आजीवन पत्थर की शिला बन जाएँगी और केवल तबही श्राप मुक्त होकर वह पुनः मनुष्य रूप में वापस आपयेंगी जब भगवान विष्णु मनुष्य रूप धारण कर राम अवतार में आयेंगे और अपने चरण से उस पत्थर को स्पर्श करेंगे। श्राप के अनुसार त्रेता युग में जब विष्णु राम अवतार लेते हैं तो वह अहिल्या को अपने चरण से स्पर्श कर उसे ऋषि गौतम के श्राप से मुक्त करते हैं। रामायण में बताई गयी अहिल्या की कहानी आप ऊपर दिए गए विदोए में भी देख सकते हैं।
हम यह तो नहीं कह सकते की इस काहानी में कितनी सचाई है परन्तु अहिल्या की कहानी सिर्फ रामायण में ही नहीं बल्कि आधुनिक युग के कविताओं और कहानियों में भी इसका ज़िक्र किया गया है। जिसमें से कवी गुरु रबिन्द्रनाथ टेगोर नें भी अपनी कविताओं में अहिल्या का ज़िक्र किया है। उन्हों नें अहिल्या के शाब्दिक अर्थ पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अहिल्या को “अनुपजाऊ भूमि- बंजर भूमि जिसपर फसल ना उपजती हो” बताया है जिसे राम द्वारा पुनः उपजाऊ बनाया गया था और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर भारती झावेरी नें भी टेगोर के बात से सहमती जताते हुए अहिल्या को एक बंजर ज़मीन ही बताया है।
संदर्भ:
1.https://www.youtube.com/watch?v=nb21OMnHmuA
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Ahalya
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