दीपावली हमारे देश में एक बहुत बड़ा पर्व माना जाता है, दीपावली अर्थात अन्धकार का पलायन और उजाले का घोर अन्धाकार पे विजय का पर्व। हम दीपावली पे तेल से भरे दीपक जला के अंधेरे को दूर करते हैं और अपने जीवन में एक नए प्रकाश का स्वागत करते हैं । जिस प्रकार दीपक का धर्म होता हैं खुद जल के दूसरों के जीवन में प्रकाश लाना उसी प्रकार मानव का भी धर्म होता है किसी दुसरे के निराशा भरी जीवन में आशा कि दीपक जलाये, पर दूसरों के जीवन को निराश मुक्त करने केलिए और उनके जीवन में उजाला लाने केलिए पहले हमें अपने अन्दर के अन्धकार को मिटाना होगा. जब तक हम अपने अन्दर के अन्धकार को नहीं मिटाते है तब तक हम दूसरों के जीवन में प्रकाश नहीं लासकते हैं । इसी पे संत कबीर दास नें एक दोहा लिखा है :
इसका अर्थ यह है कि जब मैं अपने अहंकार में डूबा था, तब इश्वर को नहीं देख पाता था, लेकिन जब मेरे अन्दर ज्ञान का दीपक प्रकाशित हुआ तब अज्ञान का सब अन्धकार मिट गया, ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया।
आपको जान के बहुत आश्रय चकित होगा कि एक विख्यात जुलाहा (weaver) मकबूल हसन नें अपने फौक्स-पैस्ले (Faux-paisley) डिजाईन (design) में इस दोहे का सन्देश देवनगरी लिपि में लिखे हैं. यह वनारस से नयी रेशम बुनाई (2013 ए.डी) और अहिछत्र से प्राचीन मिट्टी के दीये (300 बी.सी.) हैं । मकबूल हसन नें अपने स्थान (बनारस) का उल्लेख इस साड़ी में किया है पर अपना नाम नहीं लिखा है । दीये 2000 सदी से 600 ए. दी. तक पूर्व भारत के सबसे बड़े शहर अहिछेत्र के खंडहर से हैं, यह स्थान दिल्ली से बस 3-4 घंटे के दूरी पर है। ए. एस. आई. (पुरातत्व सोसायटी ऑफ इंडिया) और वहाँ के आस पास के ग्रामीण दिये के रूप में अपने इस खाज़नें कि तलाश करते रहते हैं पर इस तरह के मिटटी के बर्तन (दीये) यहाँ इतने आम हैं कि भले ही वो 3000 वर्ष पुराने हों पर कोई भी उनमें रूचि नहीं रखता है. दीपावली में लोगों नें मिट्टी के दीये आज काफी हद तक त्याग दिये हैं परन्तु यह दीये वास्तव में एक सभ्य सभ्यता की रौशनी हैं।
संधर्भ:
1 . http://welcomenri.com/anmol-vachan/kabir-das-ke-dohe-with-meaning-in-hindi.aspx?writer_name=Kabir+Das&vachan_id=633© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.