भारत में विवाह भले ही किसी भी धर्म में क्यों न सम्पन्न हो रहा हो, इसे केवल दो लोगों के बीच संपन्न हुआ कार्यक्रम नहीं समझा जाता है। भारत में शादी को दो आत्माओं का मेल माना जाता है। इसको दो शरीर एक साँस जैसी उपाधि दी जाती है। इस मौके पर लोगों द्वारा वर-वधू के लिये कई तरह की रस्मों का आयोजन किया जाता है। ये रस्में शादी के कुछ दिन पहले शुरू होकर शादी के कुछ दिन बाद तक चलती हैं, जिनमें वर-वधू के साथ में माँ-बाप और घर के क़रीबी सदस्य बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। आज हम आपको शादी से जुड़ी ऐसी ही कुछ रस्मों के बारे में बता रहें हैं जो बरसों से रामपुर में चली आ रही हैं तथा आज भी रामपुर में इन्हें जीवित रखा गया है:
मांझा
रामपुर में आज भी एक रस्म काफी प्रसिद्ध है जिसे मांझा कहा जाता है। इस रस्म में शादी से कुछ दिन पहले दूल्हा और दुल्हन को ज़र्द या सुनहरे रंग और पीले रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं। मांझा में औरतें पहले ढोलक पर गीत गाती थी और लड़के वाले लड़की वालों के यहाँ जाते थे। लड़के वालों की तरफ से गयी महिलाएं अपने साथ ढोलक लेकर जाती थीं और वहाँ गीत बजाना करती थी। यह रस्म उस वक़्त नवाबों और पठानों में आम थी लेकिन इसे उनके सेवकों द्वारा किया जाता था जिसे वो लोग मिरासने कहा करते थे, लेकिन ये रस्म आज भी रामपुर के कई गाँवों में देखने को मिलती है।
कुचई
रामपुर में आज भी यह रस्म देखने को मिल जाती है। इस रस्म में लड़की अपने बालों को अपनी कनपटी के पास में चिपका लिया करती थी, जिसे अरबन कहा जाता था। निकाह के बाद दूल्हे को जनाने में बुलाया जाता था जहाँ औरतों की मौजूदगी में दूल्हा-दुल्हन का अरबन खोल दिया जाता था। अरबन बालों की एक लट होती है जिसे गूँथ लिया जाता था। इसे रामपुर में कुचई कहा जाता है। कुचई केवल कुंवारी लकड़ियां ही गूंथा करती थीं। यह रस्म अफगानिस्तान से आयी है। इस रस्म को अभी भी रामपुर के कुछ गाँवों में देखा जा सकता है।
लड़की के दुपट्टे को कोने से फाड़ने की रस्म
उस वक़्त यह रस्म काफी प्रचलन में थी लेकिन यह रस्म केवल खानदानी लोगों के यहाँ ही देखने को मिलती थी। आम जनता इस रस्म को नहीं दोहराया करती थी। इस रस्म में यदि लड़के की माँ को किसी कार्य्रकम में लड़की पसंद आ जाती थी तो वह लड़की के घर जाकर लड़की की चुन्नी का कोना थोड़ा फाड़ देती थी या लड़की की गोद में चावल के कुछ दाने डाल देती थी जिससे लड़की लड़के के लिये चुन ली जाती थी। यह रस्म आज भी रामपुर के कई परिवारों में देखने को मिल जाती है।
संदर्भ:
1.https://www.culturalindia.net/weddings/regional-weddings/muslim-wedding.html
2.https://www.oyorooms.com/blog/13-muslim-wedding-rituals-ceremonies-know/
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.