वर्तमान में पश्चिमी देशों में कई तरह के जादू दिखाऐ जाते हैं। परंतु एक समय था, जब भारत जादूगरी में बहुत समृद्ध था और यहां जादूगरों और सपेरों की भरमार थी। उस समय में अंग्रेजों ने भारतीय जादूगरों से जादू सीखा और उसका रूपांतरित रूप विश्व के सामने प्रस्तुत करके वे विश्व प्रसिद्ध बन गए लेकिन हमारे वे मदारी और जादूगर मानों लुप्त से हो गये।
भारत प्राचीन काल में अलौकिकता और जादूगरी की घटनाओं का एक बेहद समृद्ध देश रहा है। एक समय था, जब भारत में जादूगर, तमाशेवाला, मदारी, मायाकरी, क़लन्दर, सपेरा, कटपुतलीवाला, बहुरूपिया, सम्मोहनविद, इंद्रजाल, नट आदि व्यक्तियों की संख्या सामान्य से कई अधिक थी। इसमें से सबसे अनोखा जादू था ‘रस्सी का जादू’। पहले के जादूगर सड़कों या चौराहे पर अपना जादू दिखाते थे, जिसमें वो एक बीन की धुन बजाते थे और रस्सी सांप के पिटारे से निकलकर खुद से ही आसमान में चली जाती थी। और एक व्याक्ति उस हवा में झूलती रस्सी पर चढ़कर आसमान में पता नही कहां गायब हो जाता था।
उस समय भारत में जादू इतना समृद्ध था कि विदेश से आकर कई भ्रमणकर्ताओं और जादूगरों ने भारत से बहुत सी जादू की कलाओं को सीखा। और इस प्रकार भारत की सड़कों पर दिखाई जाने वाली जादूगरी से जन्म हुआ विश्व के प्रसिद्ध पेशेवर जादूगरों का, विशेषकर कि पश्चिमी जादूगरों का। जिनमें से एक थे अमेरिकी जादूगर और स्टंट कलाकार ‘हॅरी हुडीनी’। हुडीनी भी भारत के रहस्यवाद और जादू से बहुत ही आकर्षित हुए थे। पश्चिमी जादूगरों में भारत के लिये दिलचस्पी और आकर्षण इतना बढ़ गया कि यहाँ जादूगरों का तांता सा लग गया। जादूगरों के इस आकर्षण को देखकर ऑस्ट्रेलियाई लेखक जॉन ज़ुब्रज़ीकी ने अपनी पुस्तक, ‘जादूवालास् जग्लर्स एंड जिन्स’ (Jadoowallahs, Jugglers and Jinns) में कहा-
“विज्ञान सब कुछ समझाने में सक्षम था, परंतु फिर भी पूर्व में वादा किया जा रहा था कि वहाँ कुछ रहस्य ऐसे भी थे जिन्हें विज्ञान से भी नहीं समझा जा सकता था। पूर्व एक ऐसी जगह हो सकती है जहां वास्तविक जादू मौजूद था। इसलिए पश्चिमी जादूगर इस रहस्यमयी विद्या का फायदा उठाने के लिए बहुत उत्सुक थे।”
इस पुस्तक में, ज़ुब्रज़ीकी ने भारत में जादू की कला के समृद्ध सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास के बारे में बताया है। लेखक ने पहली बार 1970 के दशक के अंत में भारत का दौरा किया था और पश्चिम बंगाल में स्थित अलीपुरद्वार जिले में अपना पहला भारतीय सड़क का जादू देखा था। यहां एक बूढ़ा आदमी और एक जवान लड़का एक टोकरी की ट्रिक (Trick) दिखा रहे थे जिसमें वो लड़का एक छोटी सी टोकरी के अंदर जाता है और बूढ़े आदमी द्वारा उसे बार-बार आघात पहुंचाया जा रहा था। परंतु चमत्कारी रूप से वह लड़का अभेद्य बाहर आता है। फिर उन्होंने इन स्थानीय जादूगरों की जीवन शैली के बारे में जाना। उन्होंने पाया भारतीय जादू ने पश्चिमी जादू को इतना अधिक प्रभावित किया था कि 1900 की दशक की शुरुआत में कई पश्चिमी जादूगर भारतीय जादूगरों के जैसी वेशभूषा धारण करके बहुत-सी भारतीय जादू की कलाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रसिद्ध होते जा रहे हैं। परंतु भारतीय जादूगर अभी भी मात्र सीमित क्षेत्र तक ही अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। और यह विद्या धीरे-धीरे भारत से लगभग खो-सी रही है।
परंतु आज भी कई भारतीय जादूगर ऐसे हैं जिन्होंने भारत को विश्व में एक नयी पहचान दिलाई है जैसे कानपुर के जादूगर ओ.पी. शर्मा। इन्हें सबसे तेज़ जादूगर के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने ताजमहल को गायब करना, हाथी को हवा में उठाना, फिल्म के पात्रों को स्क्रीन से बाहर लाना और उन्हें वापस भेजना जैसी ट्रिकों को भी किया है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने 33,000 से अधिक शो किए गए हैं। ऐसे ही एक अन्य जादूगर जो हमारे बीच अब नहीं रहे हैं, के. लाल। अपने जादू के बूते पर उन्होंने अपना नाम विश्व में बनाया था। उनकी वेशभूषा हमेशा ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती थी। उन्होंने जादूगरी की शिक्षा गणपति चक्रवर्ती से ली थी जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध जादूगर पी. सी. सरकार सीनियर (Senior) को भी जादू सिखाया था।
1.https://economictimes.indiatimes.com/magazines/panache/how-indian-magic-caught-the-imagination-of-the-west/articleshow/65083982.cms
2.https://qz.com/india/1330572/indian-magic-once-captivated-the-world-including-harry-houdini/
3.http://mythicalindia.com/features-page/an-exclusive-chat-with-the-great-magician-o-p-sharma/
4.https://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Famous-magician-K-Lal-passes-away/articleshow/16522871.cms
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.