आज का ज़माना है तेज़ी का, एक ऐसा समय जहाँ हर किसी को पीछे छूट जाने का डर हमेशा लगा रहता है। सभी जैसे एक दौड़ में लगे हैं, जहाँ यदि कोई आगे निकल जाता है तो संतुष्ट महसूस करता है और यदि पीछे रह जाता है तो अपने जीवन में निराशा घोल लेता है। आज हम बात करने जा रहे हैं इसी निराशा से लड़ने की।
कई बार जीवन में ऐसी असफलताएं हमें झेलनी पड़ती हैं जो हमें अन्दर तक झकझोर के रख देती हैं। परन्तु क्या इसका मतलब ये है कि हम उसी निराशा के समुन्दर में गोते लगाते रहें? ऐसी परिस्थिति को दो तरीके से झेला जा सकता है। या तो ये मान लिया जाए कि यह काम हमारे लिए बना ही नहीं है, या फिर पिछली असफलता की गलती से सीखकर दोबारा खड़े होकर एक बेहतर प्रयास करें। आखिरकार दीवार पर चढ़ने का प्रयास करने वाली मकड़ी की कहानी तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। और उसका अंत भी हम सभी जानते हैं।
तो प्रस्तुत करते हैं आपके सामने कहानी एक नन्ही चिड़िया की। इस चिड़िया के बच्चे का पानी के साथ पहला अनुभव कुछ ख़ास अच्छा नहीं रहता। इसी से इसके मन में पानी का भय बैठ जाता है। परन्तु हार न मानते हुए कैसे यह अपने डर पर विजय पाता है, वह देखने लायक है। साथ ही यह वीडियो हमें एक-दो बातें बच्चों की सही परवरिश करने के बारे में भी सिखा देती है। आप इसमें देखेंगे कि कैसे कभी-कभी अपने बच्चों को उनकी परेशानियों से खुद झूझने देना उनके हित में होता है। इसी से उनका पूर्ण व्यक्तित्व विकसित होता है।
तो क्लिक कीजिये ऊपर दिए गए वीडियो पर और इस्तेमाल बिताइए अपना रविवार कुछ सकारात्मक ख़यालों के साथ।
संदर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=eWR6cbmZGss
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