रामपुर में रेशम कारीगरी

लखनऊ

 22-06-2017 12:00 PM
स्पर्शः रचना व कपड़े
रेशम के कपड़े हमारी प्राचीन सभ्यता का एक अनोखा और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं| रेशम का व्यापार प्राचीन काल से ही होता आ रहा है| महाभारत व अन्य ग्रंथों में रेशम के कपडे का जिक्र मिलता है और मौर्य साम्राज्य में भी रेशम के कई प्रमाण देखने मिलते हैं| भारत में वाराणसी, कांचीपुरम रेशम की साड़ियों का काम होता है| वाराणसी की बनारसी साड़ी अपने खूबसूरती और कारीगरी के लिए विख्यात है| वाराणसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर मुबारकपुर भी बूटी काम और ज़री काम के लिए प्रसिद्ध है| ब्रोकेड का काम बनारसी साड़ियों की खासियत है जिसको किन्काब कहते हैं| सिल्क साड़ियों पर अलग अलग तरह के आकर वाली रचनाएँ इनकी शोभा को और बढाती हैं| अलग अलग रुपांकनो से इनकी खूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं (पहले चित्र में इसका विविरण देखे)| इन्हें बनाने की कई तकनीक हैं जैसे कड़वा, मीनाकरी, फेक्वा, कत्रुआ, नक्शा, कलाबत्तू इत्यादि| सिल्क साड़ियाँ पुरे भारत में पाई जाती हैं| यह कई प्रकार की होती हैं और इनको बनाने में अलग अलग तकनीक अपनाई जाती है :- 1. वाराणसी – ब्रोकेड, ज़री 2. मुबारकपुर (उत्तर प्रदेश) – नगई साडी 3. मुर्शिदाबाद(बंगाल) – बालूचर 4. गुजरात – तन्चोई, पटोला 5. महाराष्ट्र – पैठणी 6. असम- एंडी, मुगा (चंपा अदाकारी / मेजम्कारी), सुलाकुची 7. कश्मीर 8. तमिल नाडू – कांचीपुरम 9. गणेशपुर (महाराष्ट्र) – तुस्सेर सिल्क साडी इत्यादि जैसे लखनऊ का चिकनकारी का काम प्रसिद्ध है वैसे ही वाराणसी के ज़री और ब्रोकेड सिल्क साड़ियों का कोई तोड़ नहीं| सिल्क के धागे को कपास और दुसरे अलग प्रकार के धागों से मिला कर जारजट, शिफॉन, नायलॉन इत्यादि प्रकार के कपड़े भी बनते हैं| रामपुर में जहाँ इस प्रकार के कपड़ों का उत्पादन होता था, वही आज कारीगर फूल-पत्ती और ज़री कारगरी के लिए कपड़ा आयात करते हैं| 1. तानाबाना- टेक्सटाइल्स ऑफ़ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल्स, भारत सरकार 2. आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स ऑफ़ इंडिया – इले कूपर, जॉन गिल्लो 3. हेंडीक्राफ्ट ऑफ़ इंडिया – कमलादेवी चट्टोपाध्याय 4. टेक्सटाइल ट्रेल इन उत्तर प्रदेश (ट्रेवल गाइड ) – उत्तर प्रदेश टूरिज्म


RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id