आज वर्तमान समय में लोकप्रिय वीडियो गेम (Video game) में वास्तविक लगने वाले परिदृश्य गणित के अभिन्न अंग ज्यामिति की देन हैं। ज्यामिति के मौलिक रुप को यूक्लिडियन (Euclidean) ज्यामिति कहा जाता है, जिसमें लंबाई, क्षेत्र और आयतन शामिल होते हैं। इसमें अंक, रेखाएं, तल, कोण, त्रिकोण, समानता, वृत्त और वैश्लेषिक ज्यामिति का अध्ययन शामिल है। जिस ज्यामितीय को हम गणित में पढ़ते हैं उसका उपयोग हम सर्वेक्षण, खगोल-विज्ञान, नौचालन और हमारे आस-पास के भवन में भी देख सकते हैं। दैनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में ज्यामिति का उपयोग इस प्रकार है:
कला
गणित कला से विभिन्न तरीकों से संबंधित हैं। उदाहरण के लिए, संदर्श के सिद्धांत (हमारी आंखों द्वारा देखी गई एक समतल सतह की छवी का आलेखी निरूपण) से पता चलता है कि ज्यामिति में सिर्फ चित्र के दूरीक गुणों के अलावा और भी बहुत कुछ है, और यह प्रक्षेपीय ज्यामिति की उत्पत्ति का आधार है।
तकनीक
ज्यामिति की अवधारणा में रोबोटिक्स (Robotics), कंप्यूटर (Computer) और वीडियो गेम के क्षेत्र भी आते हैं। जैसे ज्यामिति कंप्यूटर और वीडियो गेम प्रोग्राम (Program) दोनों के लिए एक आसान अवधारणा प्रदान कराती है। वीडियो गेम में उपस्थित आभासी पात्रों को क्रिया प्रतिक्रिया करने के लिए ज्यामिति गणना की आवश्यकता होती है। वीडियो गेम का इंजन आम तौर पर रेकास्टिंग (raycasting) तकनीक का उपयोग करता है, जो 2-डी मानचित्र का उपयोग करके 3-डी दुनिया को अनुकरण करने में मदद करता है।
वास्तु-कला
दूसरी कलाओं की तरह वास्तु-कला में भी गणित का उपयोग किया जाता है। भवन के निर्माण के दौरान वास्तुकार गणित के साथ-साथ ज्यामिति का भी उपयोग करते हैं। भवन के स्थानिक रूप को परिभाषित करने के लिए वास्तुकार भवन के डिज़ाइन के लिए आकार, ऊंचाई, संरचना का एक ब्लूप्रिंट (Blueprint) तैयार करता है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व के पाइथागोरियन (Pythagoreans) ने ज्यामिति के इस्तेमाल को स्पष्ट माना और इसकी मदद से उन्होंने इमारतों और उनके आसपास की सजावट और हवा की गति से उत्पन्न होने वाले खतरे को कम किया।
दैनिक जीवन में ज्यामिति के उपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण है हमारे घर की सीढ़ियां, जो घरों में ज्यामिति के कोणों के आधार स्वरूप 90 डिग्री (Degree) पर निर्मित की जाती हैं।
खगोल विज्ञान और भौतिकी
ज्यामिति अंतरिक्ष में आकाशगंगा, सौर-मण्डल, ग्रहों, सितारों और अन्य चलती चीज़ों की गणना करने में भी अहम भूमिका निभाती है। यह अंतरिक्ष वाहन की यात्रा और ग्रह के वायुमंडल के बीच के निर्देशांक की गणना करने में भी मदद करती है। नासा (NASA) के वैज्ञानिकों ने ज्यामिति के उपयोग से मंगल ग्रह में भेजे गए वाहन की यात्रा के लिए दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं और ग्रहों में प्रवेश करने के लिए ग्रह के वायुमंडल की गणना की थी।
भौगोलिक सूचना प्रणाली
ज्यामिति का उपग्रहों में उपयोग जी.पी.एस. सिस्टम (GPS System) में किया जाता है। इसका उपयोग सही त्रिकोण की गणना करने के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि इससे जी.पी.एस. का स्थान देशांतर और अक्षांश द्वारा पहचाना जाता है और जी.पी.एस. की मदद से आकाश में स्थित उपग्रह का स्थान का पता लगाया जाता है।
आज भारत के विद्यालयों में ग्रीक ज्यामिति पढ़ाई जा रही है, जबकि प्राचीन भारत के पास खुद की एक ज्यामिति पुस्तक ‘शुल्बसूत्र’ थी। शुल्बसूत्र (शुल्ब का अर्थ है नापना अथवा नापने की क्रिया) वैदों द्वारा की गयी प्राचीन रचना है, जिसका उपयोग वैदों द्वारा यज्ञ करने के लिए किया गया था। मूल रूप से शुल्बसूत्र ज्यामितीय रचनाओं पर केंद्रित है। ये शुल्बसूत्र अपने लेखकों के नाम से जाने जाते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं :- बौद्धयान, अपस्तम्ब, मानव, कटयायन और कई अन्य छोटे शुल्बसूत्र। शुल्बसूत्र में दिए गये कुछ नियमों के बारे में हम आपको बताते हैं।
बौद्धयान शुल्बसूत्र में दिया गया विकर्ण के वर्ग का नियम कुछ इस प्रकार है कि एक आयत (रेक्टेंगल/Rectangle) का विकर्ण (डायगोनल/Diagonal) उतना ही क्षेत्र इकट्ठा बनाता है जितने कि उसकी लम्बाई और चौड़ाई अलग-अलग बनाती हैं। और यही पाइथागोरस का प्रमेय भी है।
बौद्धयान के द्वारा कुछ निम्न प्रमेय भी दिए गए हैं:
1. आयत के विकर्ण एक दूसरे को सम विभाजित करते हैं।
2. समचतुर्भुज (रोम्बस/Rhombus) के विकर्ण एक दूसरे से समकोण बनाते हैं।
3. चौकोर की भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाकर बनाये गए चौकोर का क्षेत्रफल मूल चौकोर का आधा होता है।
4. आयत की भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने से समचतुर्भुज बनता है जिसका क्षेत्रफल मूल आयत का आधा होता है।
संदर्भ:
1.https://www.toppr.com/bytes/geometry-in-daily-life/
2.https://sciencing.com/geometry-used-real-life-8698204.html
3.http://www.chaturpata-atharvan-ved.com/spiritual-books-section/spiritual-books/acharya-literature/scientist-acharya-of-ancient-india/SulbaSutras-Applied-Geometry-by-John-Price-EN.pdf
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Shulba_Sutras#Geometry
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