ज्यामिति (रेखागणित/Geometry) एक प्रयास है ये समझने का कि हम जिन आकारों या फिर जिन चीजों को देखते है उनके बीच में क्या संबंध है। ज्यामिति एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जिसमें हम चीजों के आकार-प्रकार उनके नाप और माप की बात करते हैं। ज्यामिति हमें प्रकृति में भी दिखाई देती है, यहां तक कि पेड़, पौधों और फूलों में, उदाहरणतः कुछ फूलों की पंखुड़ियाँ, जो वृत्ताकार तरीके से एक दूसरे से सटीक दूरी पर व्यवस्थित होती हैं और उनका केन्द्रीय भाग भी।
प्रकृति की अपनी अंक प्रणाली होती है जिसे फिबोनाची नम्बर प्रणाली (Fibonacci Series) कहते हैं। 0 एवं 1 से प्रारम्भ होकर, यह प्राकृतिक क्रम अपने पिछले दो पदोँ के योग से अगला पद निर्धारित कर इस प्रकार बनता है; 0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144... अर्थात 0+1=1, 1+1=2, 2+1=3, 3+2=5, 5+3=8, आदि।
फिबोनाची अनुक्रम प्रकृति में हर पौधे में देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए, तने के साथ पत्तियों की नियुक्ति फिबोनाची अनुक्रम द्वारा बनी होती है, ताकि प्रत्येक पत्ता अधिकतम सूर्य की रोशनी और बारिश का सेवन कर सके। सूरजमुखी, अनानस, और नागफनी के निर्माण के पीछे भी फिबोनाची सिद्धांत का ही उपयोग किया जाता है। गोल्डन अनुपात (Golden Ratio) भी फिबोनाची अनुक्रम को ही दर्शाता है। पौधों की बनावट हर तरफ से ज्यामितीय है। वहीं कई ऐसे पौधे भी हैं जिनकी ज्यामिति दूसरे पौधों से काफी स्पष्ट है। कुछ प्रसिद्ध पौधों के नाम इस प्रकार हैं:
1) रोमनेस्को ब्रोकली (Romanesco Broccoli)
2) क्रासूला ‘बुद्धा टेम्पल’ (Crassula ‘Buddha’s Temple’)
3) एलो पॉलीफाइला (Aloe polyphylla)
4) डाहलाइया (Dahlia) (ऊपर दिए गए चित्र में दर्शाई गयी है)
5) सूरजमुखी (Sunflower)
6) लाल पत्ता गोभी (Red Cabbage)
7) एंजेलिका (Angelica)
जब आप सूरजमुखी, अनानस, और नागफनी की बनावट को देखते हैं, तो इन पौधों की द्वि सर्पिल संरचना पुष्पों में स्थित बीज तथा अन्य छोटे तत्व को संरक्षित करने में सहायता करती है। जैसे सूरजमुखी के केंद्र में स्थित आड़ी-तिरछी सर्पिलों में बीज देखने को मिलते हैं। उन सर्पिलों को यदि आप गिनेंगे तो उनकी संख्या फिबोनाची अनुक्रम के समान होगी।
यह तो हुई पौधों के आकार की बात, लेकिन क्या कभी हमने सोचा कि इन पौधों में जीवन का प्रमाण किसके द्वारा खोजा गया। 10 मई, 1901 को आचार्य जगदीश चंद्र बोस द्वारा यह साबित किया गया कि पौधे भी अन्य जीवित प्राणियों की तरह ही जीवित होते हैं। और इनका भी जीवन चक्र होता है, साथ ही ये अपने आस-पास के परिवेश को भी महसूस कर सकते हैं।
उनके द्वारा किये गये क्रेस्कोग्राफ़ आविष्कार में वे दिखाते हैं कि कैसे पौधे प्रतिक्रिया करते हैं। उनके क्रेस्कोग्राफ़ (Crescograph) में गियर (Gear) और एक धुंधली कांच की प्लेट (Smoked glass plate) थी, जिसकी मदद से 1/10,000 के चुंबकीय पैमाने के तहत एक पौधे की प्रतिक्रिया का अभिलेख किया जा सकता था। कांच की प्लेट द्वारा पौधे के प्रतिबिंब को कैद किया गया, जो उसकी प्रतिक्रिया को दर्शाता है। फिर पौधे को एक जहर (ब्रोमाइड/Bromide) में डुबोया गया, और कांच की प्लेट में उसकी तेज धड़कन एक छोटी से दाग के रूप में दिखायी गयी। जिससे यह साबित हो गया कि पौधों में भी जीवन होता है।
संदर्भ:
1.https://transjardins.org/activities-connected-to-garden-v1/geometry-in-plants/
2.https://www.amusingplanet.com/2015/04/the-geometry-of-plants.html
3.https://www.collective-evolution.com/2017/02/01/15-plants-that-teach-us-sacred-geometry-in-all-its-beauty/
4.https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/jagadish-chandra-bose-proved-plants-have-life-322594-2016-05-10
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