रामायण की कथा हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं। तथा इतनी बार इसे सुनने और फिल्मों आदि के रूप में देखने के बाद यह हमारे दिल और दिमाग में बैठ सी गयी है। परन्तु आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि रामायण की कथा सिर्फ हमारे देश भारत में ही एक खास स्थान प्राप्त नहीं करती है। जी हाँ, रामायण से ही उत्पन्न हुआ ‘रामकियेन’ थाईलैंड का राष्ट्रीय महाकाव्य है।
रामकियेन का शाब्दिक अर्थ हुआ ‘राम की महिमा’। किंवदंतियों के अनुसार रामायण को वाल्मिकी द्वारा भारत के जंगलों में चौथी शताब्दी में लिखा गया था। इसके बाद भारतीय व्यापारियों और विद्वानों के साथ रामायण दक्षिणपूर्व एशिया तक पहुंची। पहली सहस्राब्दी की शुरुआत में इसे थाई लोगों द्वारा अपना लिया गया। इसके थाई संस्करण को पहली बार 18वीं सदी में अयूथया साम्राज्य के दौरान लिखा गया था। अयूथया पर बर्मा की सेनाओं के हमला कर देने के बाद इसके कई संस्करण लापता हो गए।
चकरी वंश के खोजकर्ता राजा राम प्रथम (1726-1809) ने सन 1799 से 1807 के बीच रामकियेन के प्रसिद्ध संस्करण की रचना करवाई तथा कई भागों को खुद भी लिखा। उनके बाद उनके पुत्र राजा राम द्वितीय (1766-1824) ने ‘खोन’ नामक एक नाटकीय प्रस्तुति के लिए अपने पिता के इस संस्करण को अनुकूलित किया। यह रंगमंच का एक रूप था जिसमें थाई नर्तक बिना कुछ बोले विस्तृत वेशभूषा और मुखौटे पहने एक प्रदर्शनी देते हैं। और साथ ही साथ स्टेज के एक तरफ एक समूह पूरे रामकियेन का वर्णन कहता है। इस खोन नाटक का एक वीडियो ऊपर प्रस्तुत किया गया है।
थाई लोगों में रामकियेन के परिचय के बाद से यह इनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। राजा राम प्रथम के रामकियेन को थाई साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता है। इसे अभी तक पढ़ा जाता है तथा स्कूलों में तक पढाया जाता है।
संदर्भ:
1.http://ignca.nic.in/coilnet/rktha010.htm
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Ramakien
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