कोठी हयात बक्श से राज भवन तक का सफ़र

लखनऊ

 08-10-2018 03:28 PM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

चित्र में दर्शाई गयी कोठी कोई और नहीं बल्कि वर्तमान के लखनऊ में स्थित राज भवन है। यह इमारत लगभग 200 वर्ष पुरानी है। परन्तु यह हमेशा से राज भवन नहीं हुआ करती थी। निर्माण के समय इसे ‘हयात बक्श’ के नाम से जाना जाता था। हयात बक्श से राज भवन तक का सफ़र काफी रोचक और ज्ञान से भरपूर है। तो चलिए जानते हैं इस सफ़र के बारे में थोड़े संक्षेप में।

सन 1798 में जब नवाब सआदत अली खान को अवध का शासक घोषित कर दिया गया तो नवाब ने क्लाउड मार्टिन द्वारा यूरोपीय वास्तुकला में निर्मित इमारतों को काफी पसंद किया। तथा उन्होंने मार्टिन से ऐसी एक और ईमारत बनवाने की इच्छा ज़ाहिर की। यह दो मंज़िली आलीशान कोठी हरियाली से घिरे हुए शहर के पूर्वी हिस्से में बनाई गयी। ‘हयात बक्श’ का अर्थ होता है ‘जीवनदायी’। और क्योंकि ये इमारतें भारतीय वास्तुकला से भिन्न थीं इसलिए इन्हें कोठी कहा जाता था। सिर्फ कोठी के अन्दर का राजदरबार भारतीय वास्तुकला में बनाया गया था, इसके अलावा पूरी कोठी पर पश्चिमी प्रभाव था।

हालांकि इस कोठी का नामकरण स्वयं नवाब द्वारा किया गया था, परन्तु वे कभी इसमें रहे नहीं। क्योंकि छत्तर मंज़िल, कोठी दौलत सराय सुल्तानी और राजदरबार, सभी यहाँ से काफी दूर थे। इसलिए मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन ने इसे अपना निवास बनाया। सन 1830 में बादशाह नसरुद्दीन हैदर के शासन में कर्नल रोबर्ट्स ने इस कोठी में निवास किया। 1857 की ग़दर के दौरान सर हेनरी लॉरेंस का भी यहाँ काफी आना-जाना था। इसके बाद जब कर्नल इंग्लिश सेना के कमांडर बने, तब उनके यहाँ रहने की वजह से यह कोठी छावनी क्षेत्र में आने लगी। मेजर जॉनशोर बैंक के मुख्य आयुक्त बनने के साथ इस कोठी ने उनके निवास का कार्य किया और साथ ही कोठी को ‘बैंक कोठी’ के नाम से जाना जाने लगा तथा कोठी के पश्चिमी द्वार से लेकर कैसरबाग़ तक की सड़क को ‘बैंक रोड’ का नाम दिया गया। यहाँ तक कि मेजर हडसन ने भी अपनी आखरी साँस हयात बक्श कोठी में ही ली थी।

सन 1873 में सर जॉर्ज कूपर के निर्देशानुसार यहाँ सुन्दर बगीचे, फब्बारे और ड्राइंग रूम (Drawing Room) बनवाए गए। सड़क की दूसरी ओर ‘पार्क एलन एंड कंपनी’ नामक एक वाणिज्यिक संगठन भी उभरा। सन 1907 में कोठी के एक भाग को गिराकर एक स्नानगृह का निर्माण करवाया गया। साथ ही एक सुन्दर नृत्य कक्ष का निर्माण कराया गया जो अपने फर्श के लिए काफी मशहूर हुआ। इस फर्श को महँगी लकड़ी से बनवाया गया था तथा आज इस कक्ष को ‘अन्नपूर्ण’ कहा जाता है और इसे भोजन कक्ष के रूप में प्रयोग किया जाता है।

आज़ादी से पहले ही कोठी हयात बक्श को संयुक्त प्रांत आगरा और अवध के राज्यपाल का आधिकारिक निवास घोषित कर दिया गया था। उस समय ही राज भवन को उसका अंतिम आकार दिया गया था। आज़ादी से पहले ब्रिटिश राज्यपाल यहाँ रहे और आज़ादी के बाद भारतीय राज्यपाल इसमें निवेश करने लगे। आज़ादी के बाद ही इसे ‘राज भवन’ का नाम दिया गया।

इतने वर्षों बाद आज भी राज भवन की सुन्दरता देखते बनती है। समय-समय पर इसकी सुन्दरता में वृद्धि करने के लिए प्रयास किये जाते हैं। यहाँ के मुख्य द्वार पर राज्य सरकार की मुहर को दर्शाता एक फब्बारा लगाया गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती की प्रतिमाएं भी यहाँ स्थापित हैं। तथा कई कक्षों के नाम बदलकर हिंदी में रख दिए गए हैं, जैसे ‘शतदल’, ‘नीलकुसुम’, ‘कलाकक्ष’, ‘अन्नपूर्ण’, ‘तृप्ति’, ‘परिमल’, ‘अमलतास’, ‘कदम’, ‘कचनार’ आदि।

दरोगा अब्‍बास अली (सहायक नगरपालिका अधिकारी) द्वारा लिए गये लखनऊ के 50 खूबसूरत तस्‍वीरों में इस मंज़िल को भी शामिल किया गया। यह एल्बम सर जॉर्ज कूपर को समर्पित की गयी थी। इसकी छपाई कलकत्ता में करवाई गयी थी तथा सन 1874 में इसे प्रकाशित किया गया था। ऊपर दिखाया गया चित्र इसी एल्बम से लिया गया है।

संदर्भ:
1.http://upgovernor.gov.in/upgovernor.gov.in/history_E.htm
2.https://www.tornosindia.com/top-5-little-known-mansions-that-help-you-understand-lucknow-better/



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id